दोस्तों Dg set full form “Diesel generator set” होता है इसका उपयोग हम इलेक्ट्रिसिटी के वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में करते है जब मुख्य पावर सप्लाई जो की पावर हाउस से आती है।
वह बाधित होता है तो इसी को स्टार्ट करके हम अपनी इलेक्ट्रिसिटी की जरुरत को पूरा करते है।
What is DG Set full form | डीजल जनरेटर क्या होता है
डीजल जनरेटर सेट एक ऐसा उपकरण है जोकि मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में या यूं कहें विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
यह 2 भागों से मिलकर बना होता है जिसमें से पहला भाग होता है इंजन और दूसरा भाग होता है अल्टरनेटर इसमें जो इंजन होता है वह डीजल इंजन होता है
यानी कि इसमें हम डीजल डालकर चलाते हैं जिससे हमें मैकेनिकल ऊर्जा प्राप्त होती है और यह ऊर्जा इंजन के सॉफ्ट में होती है और यह सॉफ्ट अल्टरनेटर के सॉफ्ट से जोड़ दिया जाता है
अब जैसे ही हम सेल्फ से डीजल इंजन को स्टार्ट करते हैं तो इंजन की सॉफ्ट पर मैकेनिकल ऊर्जा आ जाती है और इंजन की सॉफ्ट घूमने लगती है इसके साथ अल्टरनेटर की सॉफ्ट भी घूमने लगती है
और इससे इलेक्ट्रिसिटी पैदा होने लगती है इस इलेक्ट्रिसिटी को हम बाहर निकाल लेते हैं और जो विद्युत के उपकरण होते हैं उनको हम इस इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई से जोड़ देते हैं
जिससे वे उपकरण सुचारू रूप से चलने लगते हैं।
Diesel generator working principle | डीजल जनरेटर का सिद्धांत
जैसा कि आपको ऊपर बताया गया है कि डीजी सेट मुख्य रूप से दो भागों से मिलकर बना होता है जिसमें से पहला डीजल इंजन होता है और दूसरा अल्टरनेटर होता है
इन्हीं दोनों को जब हम जोड़ देते हैं तो डीजल जनरेटर बन जाता है परंतु इन दो भागो में जो डीजल इंजन होता है वह अलग कार्य सिद्धांत पर कार्य करता है
और जो अल्टरनेटर होता है वह अलग कार्य सिद्धांत पर कार्य करता है।
सबसे पहले हम डीजल इंजन की बात करते हैं डीजल इंजन एक डीजल से चलने वाला इंजन होता है इसमें हम ईंधन के रूप में डीजल का उपयोग करते हैं
सबसे पहले जब हम इंजन में डीजल डालते हैं और सेल्फ लगाते हैं इससे डीजल इंजन के अंदर कंप्रेशन की प्रक्रिया होती है जिससे पावर जनरेट होती है जोकि मैकेनिकल पावर होती है।
अब बात आती है अल्टरनेटर की अल्टरनेटर एक सिंक्रोनस मोटर होता है जिसका आरपीएम 1500 होता है अल्टरनेटर मुख्य रूप से तीन भागों से बना होता है
जिसमें से पहला होता है तांबे की क्वाएल दूसरा परमानेंट मैग्नेट और तीसरा रोटर अल्टरनेटर का स्टेटर का भाग फिक्स होता है और रोटर का भाग घूमता है
अब चूंकि रोटर के चारों तरफ परमानेंट मैग्नेट होता है और उसी परमानेंट मैग्नेट में कॉपर की क्वायल लपेटी होती है अब जैसे ही हम अल्टरनेटर के रोटर को इंजन के माध्यम से घुमाते हैं
तो रोटर के घूमने से जो परमानेंट मैग्नेट होता है उसकी मैग्नेटिक फील्ड डिस्टर्ब होती है जिससे ईएमएफ पैदा होता है और इस ईएमएफ को हम विद्युत ऊर्जा के रूप में उपयोग कर लेते हैं।
अवश्य पढ़े:- 1- आग से सुरक्षा कैसे करे?
2- सोलर सिस्टम कितने प्रकार के होते है?
Advantages of dg set | Dg set से फ़ायदा
Dg set full form से हम अपनी जरूरत के अनुसार विद्युत सप्लाई का उत्पादन कर सकते हैं यदि आप अधिक क्षमता वाले विद्युत उपकरण का उपयोग करते हैं
तो आपको अधिक क्षमता वाला Dg set full form उपयोग करना होगा। Dg set full form को हम एक बार चालू कर दें तो वह लगातार विद्युत सप्लाई का उत्पादन करता रहता है
और यह तब तक चलता रहता है जब तक की डीजल इंजन के अंदर पड़ा हुआ डीजल खत्म ना हो जाए।
Disadvantages of dg set | Dg set से नुक्सान
Dg set full form को चलाने में चूंकि डीजल का उपयोग किया जाता है इसलिए इसमें बहुत ज्यादा धुआं निकलता है
इसी वजह से इससे बहुत ज्यादा प्रदूषण उत्पन्न होता है और चूंकि इसमें इंजन का उपयोग किया जाता है इसीलिए इसमें बहुत ज्यादा आवाज होती है
जिससे इसके आसपास रहने में शोर के कारण बहुत परेशानी होती है और चूंकि इसमें ईंधन के रूप में डीजल का उपयोग किया जाता है और डीजल काफी महंगा मिलता है
इसीलिए इससे विद्युत का उत्पादन करना बहुत खर्चीला होता है और चूंकि इंजन होने के कारण समय-2 पर इसकी सर्विस भी करानी पड़ती है जिसे कराने में काफी खर्च आता है।
कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि Dg set full form से विद्युत का उत्पादन बहुत महंगा पड़ता है।
Type of Diesel generator | डीजल जनरेटर के प्रकार
Dg set full form को उसके कार्य के आधार पर 3 भागों में बांटा जाता है।
1- Portable Generator (पोर्टेबल जनरेटर)- इस जनरेटर का उपयोग प्रमुख रूप से बिजली के छोटे उपकरणों को चलाने में किया जाता है
इस जनरेटर को चलाने के लिए ईंधन का उपयोग किया जाता है जैसे डीजल, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, गैस आदि के उपयोग से जनरेटर को चलाया जाता है
यह जनरेटर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लाया और ले जाया जा सकता है।
2- Inverter Generator (इन्वर्टर जनरेटर)- इस जनरेटर से बिजली उत्पन्न करने के लिए हम अल्टरनेटर का उपयोग करते हैं
और इस अल्टरनेटर को घुमाने के लिए हम एक डीजल इंजन का उपयोग करते हैं इस जनरेटर से जो बिजली उत्पन्न होती है वह तीन चरणों से होकर के गुजरती है
जिसमें से पहले चरण में एसी पावर सप्लाई उत्पन्न होती है और फिर दूसरे चरण में वह एसी सप्लाई डीसी सप्लाई में बदली जाती है
इसके बाद अंतिम चरण में इस डीसी सप्लाई को फिर से एसी सप्लाई में बदल दिया जाता है इसके बाद इस एसी सप्लाई को उपकरण से जोड़ दिया जाता है।
3- Standby Generator (स्टैंडबाई जनरेटर)- ये जनरेटर बहुत ज्यादा पावर उत्पन्न करते है इनका उपयोग कारखानों में ऑफिस में या जहां पर बिजली की ज्यादा खपत होती है
वहां पर इस जनरेटर को लगाया जाता है इस जनरेटर की पावर (KVA) काफी ज्यादा होता है जब फैक्ट्रियों में ऑफिस में या बड़े-2 अपार्टमेंट में पावर हाउस से आने वाली विद्युत सप्लाई बाधित हो जाती है
तो उस समय इस जनरेटर का उपयोग इमरजेंसी पावर सप्लाई के रूप में किया जाता है यह फैक्ट्रियों, ऑफ़िस, बड़े-बड़े अपार्टमेंट को जितना पावर सप्लाई की जरूरत होती है वह पूरा कर देता है।
Parts of diesel generator | डीजल जनरेटर के भाग
डीजल जनरेटर कई पार्ट से मिलकर बना होता है। जिसमे से कुछ महत्वपूर्ण पार्ट की जानकारी यहाँ दी गई है।
डीजल टैंक (Diesel Tank)- इस टैंक को डे-टैंक के नाम से भी जाना जाता है इसका उपयोग हम डीजल टैंक के रूप में करते हैं
इस टैंक की कैपेसिटी 500 लीटर 1000 लीटर 2000 लीटर जितना बड़ा जनरेटर उतनी क्षमता का डीजल टैंक होता है।
फ्यूल वाॅटर सेपरेटर (Fuel Water Separator)- कभी-2 जहां पर डीजल रखा होता है वहां पर बरसात का पानी आ जाता है
जिसकी वजह से पानी टैंक में चला जाता है और कभी-2 जिस टैंकर से डीजल आता है तो टैंकर वाले डीजल चोरी करने के चक्कर में टैंकर में पानी भर देते हैं
जिसकी वजह से भी डीजल में पानी आ जाता है अब यह पानी अगर सीधे इंजन में जाएगा तो इंजन खराब हो जाएगा अब यहां पर वाटर सेपरेटर का उपयोग किया जाता है
जिससे पानी का घनत्व ज्यादा होता है तो पानी वाटर सेपरेटर में नीचे हो जाता है और डीजल का घनत्व ज्यादा होने के कारण डीजल ऊपर आ जाता है
जिससे इंजन में सिर्फ और सिर्फ डीजल ही जाता है पानी नहीं जा पाता और बाद में हम वाटर सेपरेटर के नीचे लगा हुआ एक नाब होता है जिसे हम खोल करके पानी को बाहर निकाल देता है।
फ्यूल फिल्टर/आयल फिल्टर (fuel filter/oil filter)- यह इंजन में लगा हुआ होता है इसका काम होता है की इंजन में जो ईंधन जाता है
वह टैंक से निकलकर आता है इस प्रक्रिया में ईंधन में कुछ अशुद्धियां आ जाती है जैसे कचरा, जंग लगा लोहा आदि आ जाता है
अब यदि यह सब अशुद्धियां इंजन में चली जाएंगी तो इंजन को खराब ही करेंगी। फ्यूल फिल्टर से होकर के जब ईंधन गुजरता है तो फ्यूल फिल्टर इन अशुद्धियों को रोक लेता है और शुद्ध ईंधन इंजन में भेजता है।
एक्चुएटर (Actuator)- एक्चुएटर एक विशेष प्रकार की क्वायल होती है जो गवर्नर में लगाई जाती है इसका इनपुट वोल्टेज 24 वोल्ट होता है
यह इंजन के सबसे महत्वपूर्ण भाग में से एक है और इसके साथ में एक वाल्व लगा हुआ होता है
अब जब इंजन चलता है तो इंजन पर एक समान तो लोड होता नहीं है अलग-2 समय में अलग-2 लोड डाला जाता है अब जब लोड बढ़ता है तो इंजन को ज्यादा ईंधन की जरूरत होती है
तो यह एक्चुएटर ही निर्धारित करता है की इंजन को कितना ईंधन की जरूरत है वह इंजन में जरूरत के अनुसार ईंधन की आपूर्ति करता है
इससे ईंधन की बर्बादी भी नहीं होती है और इंजन की क्षमता भी बढ़ जाती हैं।
इंजन (Engine)- इंजन में जब ईंधन जाता है तो इंजन के अंदर ईंधन का दहन होता है और उसके फल स्वरूप मैकेनिकल पावर इंजन से प्राप्त होता है
और इस मैकेनिकल पावर को हम अल्टरनेटर को देते हैं जिससे अल्टरनेटर एसी सप्लाई को देता है।
लुब्रिकेंट आयल फिल्टर ( Lubricant Oil Filter)- इंजन जब चलता है तो इंजन के चलने के दौरान इंजन के पार्ट एक दूसरे से रगडते हैं
तो इस घर्षण को रोकने के लिए लुब्रिकेंट ऑयल का उपयोग किया जाता है परन्तु जब घर्षण होता है तो इस घर्षण को कम करने का कार्य लुब्रिकेंट ऑयल करता है
इस प्रक्रिया में इन पार्ट से कुछ लोहा के कण निकलकर लुब्रिकेंट ऑयल में आ जाते हैं अब वही लुब्रिकेंट ऑयल वापस इंजन में जाएगा तो वह जो छोटे-2 लोहे के कण है
वह इंजन के पार्ट के बीच में आ जाएंगे जिससे इंजन को भारी नुकसान हो जाएगा।
लुब्रिकेंट ऑयल फिल्टर इन लोहे के कण, कचरा को फिल्टर करके शुद्ध लुब्रिकेंट ऑयल को इंजन में भेजता है।
प्राइमरी ल्यूब आयल पम्प (Primary Lubricant Oil Pump)- यह एक पंप होता है जब इंजन चलता है तो इंजन के चलने के दौरान इंजन के प्रत्येक भाग में ल्यूब ऑयल को प्रेशर से पहुंचाने का कार्य करता है।
कूलेंट टैंक (coolant tank)- जब इंजन चलता है तो उसके हर एक भाग में मूवमेंट होता है उसके पार्ट आपस में रगड़ते हैं जिससे इन पार्ट के बीच में गर्मी पैदा होती है
इंजन के पार्ट के बीच में ज्यादा घर्षण ना हो इसके लिए ल्यूब आयल होता है इंजन के पार्ट की गर्मी से ल्यूब आयल गर्म होता है अब इस ल्यूब आयल को ठंडा करना होता है
जिसके लिए कूलेंट का उपयोग किया जाता है यह कूलेंट एक विशेष प्रकार का पानी होता है इस पानी को कूलेंट टैंक में इकठा करके रखा जाता है।
रेडिएटर और फैन (Radiator and Fan)- जैसा कि आपको ऊपर बताया गया है कि ल्यूब ऑयल जब गर्म होता है तो उसे कूलेंट से ठंडा किया जाता है
इस प्रक्रिया में कूलेंट बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है अब कूलेंट को ठंडा करना बहुत जरूरी होता है जिसके लिए रेडिएटर लगाया जाता है
रेडिएटर में गर्म कूलेंट ऊपर जाता है और ठंडा होकर नीचे आता है इस रेडिएटर में कॉपर की ट्यूब लगी होती है जो ऊपर नीचे घुमावदार होती है और यह ट्यूब एलमुनियम की पतली-2 विंग्स के अंदर होती हैं
इस प्रकार से रेडिएटर तैयार होता है रेडिएटर के पीछे एक पंखा लगा होता है जो इंजन की सॉफ्ट से जुड़ा होता है अब जैसे ही इंजन चलता है
उसके साथ पंखा घूमता है और इस पंखे की हवा रेडिएटर पर पड़ती है चूँकि रेडिएटर के अंदर एलमुनियम की पतली-2 विंग्स के अंदर कॉपर की ट्यूब लगी होती है और इसी पर हवा का प्रेसर पड़ता है
जिससे रेडिएटर में लगी कॉपर की ट्यूब ठंडी हो जाती है और इससे उसके अंदर का कूलेंट भी ठंडा हो जाता है।
नोट- कूलेंट एक विशेष प्रकार का पानी होता है जिसे केमिकल डालकर बनाया जाता है यदि हम नार्मल पानी का उपयोग करते है तो उसके अंदर कुछ बाई कार्बोनेट होते है
जो एक पपड़ी के रूप में ट्यूब के अंदर जम जाते है जिससे कॉपर की ट्यूब चोक (जाम) हो जाती है और इस प्रकार से इंजन ठंडा नहीं हो पायेगा।
परन्तु यदि हम कूलेंट का उपयोग करते है तो उसमे ये बाई कार्बोनेट नहीं होते जिस कारण से ट्यूब में पपड़ी नहीं जम पाती और ट्यूब चोक नहीं होती।
कन्ट्रोल पैनल/पावर कंट्रोलर (Control Panel/Power controller)- यह एक विशेष प्रकार का डिजिटल डिस्प्ले होता है
इसकी मदद से हम Dg set full form के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि इसमें एक डिजिटल डिस्प्ले लगा होता है यहीं से हम इंजन को बंद व चालू कर सकते हैं
इसके साथ-2 कितना वोल्टेज आउटपुट में मिल रहा है कितनी फ्रीक्वेंसी मिल रही है इंजन का आरपीएम कितना है कितना करंट चल रहा है
कितने किलोवाट का लोड इंजन से जुड़ा हुवा है इससे जुड़ी और भी बहुत सारी जानकारी जोकि Dg set full form के बारे में है प्राप्त कर सकते हैं।
एयर फिल्टर (Air Filter)- इंजन की परिकल्पना मनुष्य के शरीर के अनुसार की गई थी जैसे मनुष्य का शरीर सांस लेता है ठीक उसी प्रकार से इंजन भी सांस लेता है
अब चूँकि वातावरण में बहुत से धूल के कण उड़ते रहते हैं और यदि यही धूल के कण इंजन के अंदर चले जाएं तो इंजन को भारी नुकसान होगा इस समस्या से निपटने के लिए हम एयर फिल्टर का उपयोग करते हैं
यह एयर फिल्टर इन्हीं धूल के छोटे-2 कणों को अपने अंदर सोख लेता है और एकदम शुद्ध हवा इंजन के अंदर भेजता है।
वैक्यूम इंडिकेटर (Vacuum indicator)- एयर फिल्टर से हो करके जो एयर लाइन इंजन में आती है उसमें एयर फिल्टर के ठीक बाद में वैक्यूम इंडिकेटर लगा होता है
यह वैक्यूम इंडिकेटर एयर फिल्टर की क्या स्थिति है उसको बताता है अगर एयर फिल्टर चोक होगा तो वैक्यूम इंडिकेटर पर लाल रंग की पट्टी दिखेंगी
क्योंकि जब एयर फिल्टर चोक होगा तो इंजन में सही ढंग से हवा नहीं जा पाएगा।
लेकिन इंजन हवा को अपने अंदर खींचेगा तो इंजन और एयर फिल्टर के बीच में वैक्यूम हो जाएगा और यही वैक्यूम इंडिकेटर सेंस करता है।
टर्बो चार्जर (Turbo Charger)- टर्बो चार्जर एक प्रकार का पंखा होता है इसके सॉफ्ट के दोनों सिरों पर दो पंखे लगे होते हैं
जब एयर फिल्टर से हवा शुद्ध होकर आता है तो टर्बो चार्जर उस शुद्ध हवा को प्रेशर के साथ इंजन में पहुंचाने का काम करता है और इसके साथ-2 जो इंजन से निकला हुआ धुआं होता है
उस धुआं को बाहर भी निकालने का काम करता है टर्बो चार्जर को घूमने के लिए कोई अलग से मोटर नहीं लगाई जाती है वह इंजन से निकलने वाले धुवें के प्रेशर से ही घूमता होता है
इसका आरपीएम बहुत ज्यादा होता है लगभग 1 लाख आरपीएम प्रति मिनट होता है।
साइलेंसर (Silencer)- साइलेंसर इंजन में जहां से धुआं निकलता है वहां पर लगाया जाता है क्योंकि जब धुआं निकलता है
तो बहुत ज्यादा आवाज होती है और इसके साथ-2 धुआं में बहुत से हानिकारक गैस होती है वह भी इंजन से निकलती हैं
साइलेंसर उन तत्वों को सोख लेता है और भारी मात्रा में निकलने वाली आवाज को भी कम कर देता है।
कपलिंग (Coupling)- Dg set full form में इंजन एक अलग भाग होता है और अल्टरनेटर 1 अलग भाग होता है इंजन से मैकेनिकल एलर्जी पैदा की जाती है
जो कि उसके सॉफ्ट में होती है इसी सॉफ्ट से अल्टरनेटर को जोड़ दिया जाता है अब क्योंकि दोनों की साफ्ट अलग-2 होती है तो दोनों को जोड़ने के लिए कपलिंग का उपयोग किया जाता है
यह कपलिंग विशेष प्रकार की होती है यह इंजन से निकलने वाले जर्क को कंट्रोल करता है और केवल रोटेशन ही अल्टरनेटर को दिया जाता है जिससे आसानी से अल्टरनेटर घूम कर बिजली पैदा करता है।
अलटरनेटर (Alternator)- एसी सप्लाई को पैदा करने के लिए हम अल्टरनेटर का उपयोग करते हैं अल्टरनेटर ब्रशलेस होता है
इसके अंदर एक परमानेंट मैग्नेट होता है और एक वाउंड रोटर होता है रोटर के चारो तरफ परमानेंट मैग्नेट की मैग्नेटिक फील्ड होती है
अब जब रोटर घूमता है तो उसके चारों तरफ जो मैग्नेटिक फील्ड होती है वह डिस्टर्ब होती है और इस तरह से विद्युत ऊर्जा पैदा हो जाती है।
आटोमेटिक वोल्टेज रेगुलेटर (Automatic voltage regulator)- जैसा कि नाम से पता चल रहा है यह ऑटोमेटिक वोल्टेज रेगुलेटर है
मतलब यह वोल्टेज को ऑटोमेटिक तरीके से मेंटेन करता है इसका मतलब यह हुआ की डीजी सेट जब चलता है तो उससे लोड कनेक्ट किया जाता है
अब यह लोड कभी अचानक से ज्यादा और कभी कम हो जाता है इस कारण से जब लोड बढ़ता है तो वोल्टेज ड्रॉप होता है और जब लोड कम होता है तो वोल्टेज बढ़ जाता है
अब यदि उपकरण को कम वोल्टेज मिलेगा या उपकरण को ज्यादा वोल्टेज मिलेगा तो इन दोनों ही परिस्थितियों में उपकरण सही ढंग से कार्य नहीं कर पायेगा।
अब यदि हम यहां पर ऑटोमेटिक वोल्टेज रेगुलेटर लगाते हैं जोकी एक विशेष प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक कार्ड होता है जिसे वोल्टेज कितना रखना है बताया जाता है
और वह इस बढे और घटे हुए वोल्टेज को उसी सेट किए हुए वोल्टेज पर फिक्स करके रखता है
जिससे उपकरण को ना तो बढ़ा हुआ और ना ही घटा हुआ वोल्टेज मिलता है जितना वोल्टेज चाहिए उतना ही वोल्टेज मिलता है।
एक्साइटर (Exciter)- इसका काम जरनेटर से निकलने वाली वोल्टेज की निगरानी करना होता है अगर वोल्टेज कम या ज्यादा होती है
तो यह अल्टरनेटर के अंदर के चुंबकीय क्षेत्र को नियंत्रित करके सही ढंग का वोल्टेज उपकरण तक पहुंचा देता है।
बैटरी (Battery)- बैटरी का उपयोग Dg set full form में लगे हुए इलेक्ट्रॉनिक पैनल को सप्लाई देने के लिए करते है इसके साथ-2 जनरेटर में लगा हुआ जो सेल्फ होता है
उसको सप्लाई देने का काम करता है जिससे सेल्फ इंजन को घुमा सके और इंजन आसानी से स्टार्ट हो सके सेल्फ की अपनी इनपुट वोल्टेज होती है
यह सेल्फ 12 वोल्ट, 24 वोल्ट, 48 वोल्ट डीसी का भी होता है 12 वोल्ट के लिए एक बैटरी, 24 वोल्ट के लिए 2 बैटरी और 48 वोल्ट के लिए 4 बैटरी का उपयोग किया जाता है।
क्रेंक मोटर/स्टार्टर मोटर (Cranking Motor/Starter Motor)- यह एक विशेष प्रकार की मोटर होती है इसको हम सेल्फ के नाम से जानते हैं
इसका काम बस इतना ही होता है की जैसे छोटे इंजन को स्टार्ट करने के लिए हैंडल का उपयोग किया जाता है परंतु बड़े इंजन को हैंडल से स्टार्ट नहीं किया जा सकता वह इसी सेल्फ के माध्यम से स्टार्ट किये जाते है।
जब हम सेल्फ को ऑन करते हैं तो सेल्फ इंजन को उसके 90% आरपीएम तक घुमा देता है जिससे इंजन स्टार्ट हो जाता है यह प्रक्रिया ऑटोमेटिक रूप से की जाती है।
गवर्नर (Governor)- गवर्नर इंजन का एक विशेष भाग होता है डीजी सेट का इंजन सामान्य रूप से 1500 आरपीएम पर घूमता है
परंतु जब लोड कम और ज्यादा होता है तो उस वक्त अल्टरनेटर की स्पीड में परिवर्तन होता है
उसकी स्पीड कम या ज्यादा होने लगती है तो इस स्पीड को 1500 आरपीएम पर नियत करने का कार्य गवर्नर का होता है।
फ्लाईव्हील (Flywheel)- फ्लाईव्हील एक लोहे का बहुत बड़ा चक्का होता है जो इंजन और अल्टरनेटर के बीच में लगा होता है
जब इंजन चलता है तो इंजन पर लोड बहुत ज्यादा ना पड़े उस जर्क को कम करने के लिए फ्लाईव्हील का उपयोग किया जाता है
यह इंजन की स्पीड को ना तो कम होने देता है और ना ही बढ़ने देता है और ना ही इंजन पर लोड पड़ने देता है।
सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker)- जैसा कि नाम से पता चल रहा है की इसका काम सर्किट को बंद करना व चालू करना होता है
यह एमसीबी के रूप में भी हो सकता है या एसीबी के रूप में भी हो सकता है। अल्टरनेटर से निकलने वाली सप्लाई और लोड के बीच में इस सर्किट ब्रेकर को लगाया जाता है
जिसे आवश्यक्ता पड़ने पर बंद व चालू करके डीजी को लोड से जोड़ा वह हटाया जा सकता है।
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट से आप Dg set full form के बारे में समझ गए होंगे की डीजल जनरेटर क्या होता है यह कैसे काम करता है इसका क्या कार्य सिद्धांत होता है
डीजल जनरेटर से क्या फ़ायदा और क्या नुकसान है डीजल जनरेटर कितने प्रकार के होते है इसके जो महत्वपूर्ण भाग होते है
उनकी सम्पूर्ण जानकारी आप सीख गए होंगे अगर फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे जरूर पूछे।
नोट- यह भी पढ़े।
1- सर्किट ब्रेकर कितने प्रकार के होते है?
2- इलेक्ट्रिकल वायरिंग में क्या-2 सामान लगता है
3- सोलर सिस्टम कितने प्रकार का होता है
4- हीटर का सप्लाई वायर गरम क्यों नहीं होता?
5- इलेक्ट्रिकल वायरिंग में क्या-2 सामान लगता है
6- इलेक्ट्रीशियन के टूल्स के नाम
8- इलेक्ट्रिकल काम में सुरक्षा
अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर “rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।
अगर आपको इलेक्ट्रिकल की वीडियो देखना पसंद है तो आप हमारे चैनल “target electrician“ पर विजिट कर सकते है। धन्यवाद्
Dg set full form से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-
1- क्या डीजल जनरेटर का उपयोग करना सस्ता है?
जी नहीं डीजल जनरेटर का उपयोग करना बहुत ही महंगा पड़ता है क्योकि डीजल, पेट्रोल की कीमत बहुत ही ज्यादा है। अगर आप पावर हाउस से आने वाले इलेक्ट्रिसिटी को देखे तो उसमे 1 यूनिट का खर्च लगभग 7 रुपये पड़ता है परन्तु यदि आप डीजल जनरेटर का उपयोग करते है तो इसमें 1 यूनिट का खर्च 15 से 17 रुपये के बीच में पड़ता है।
2- कौन सी कंपनी का जनरेटर अच्छा होता है?
आप किसी भी कंपनी का जनरेटर लगा सकते है किलोस्कर, ग्रेव्स, कमिंस बहुत सी कंपनी के जनरेटर सेट आते है परन्तु कमिंस का जनरेटर सेट काफी अच्छा परफॉरमेंस देता है।
3- जनरेटर में कौन सा तेल डाला जाता है?
सामान्य रूप से जनरेटर में लुब्रिकेंट ऑयल 15W40 का उपयोग किया जाता है। क्योकि इसकी थिकनेस ज्यादा होती है।
4- क्या जनरेटर पेट्रोल से चल सकते हैं?
जनरेटर सेट को हम डीजल से, पेट्रोल से, मिट्टी के तेल से, गैस से चला सकते है।
5- डीजल जनरेटर कितने समय तक लगातार चल सकता है?
डीजल जनरेटर की कैपेसिटी बहुत ज्यादा होती है इसको 24 घंटे, 48 घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक लगातार चला सकते है बस उसकी सावधानी पूर्वक हर आधे घंटे पर निगरानी करते रहना होगा उसकी रीडिंग लेते रहना होगा।