DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?

DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?
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दोस्तों इस पोस्ट में हम लोग DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए? (डायरेक्ट आनलाइन स्टार्टर) के बारे में जानेंगे की Dol starter क्या होता है, इसकी वायरिंग हम कैसे करते हैं, इसमें कितने प्रकार की वायरिंग होती है, जब Dol starter बन जाता है।

उसके बाद हम मोटर का कनेक्शन कैसे करते हैं, DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए? Dol starter में कितने प्रकार से मोटर का कनेक्शन होता है, Dol starter का वर्किंग प्रिंसिपल क्या होता है, इसकी ड्राइंग कैसे बनती है, इसका फायदा क्या है और नुकसान क्या है, Dol starter का कनेक्शन करते समय हमें क्या-2 सावधानी बरतनी चाहिए।

और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आप जान जाएंगे और मेरा विश्वास मानिए इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको और किसी पोस्ट को पढ़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

क्योंकि इसी में आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी।

तो आइए एक-2 करके इन सभी पॉइंट्स को विस्तार पूर्वक समझते हैं।

What is Dol starter | Dol स्टार्टर क्या है?

दोस्तों हमारे आपके जीवन में मोटर का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि मोटर के बिना हम कोई भी कार्य नहीं कर सकते।

जैसे कि जमीन से पानी निकालना, कारखाने में लगी मशीनें चलाना बिना मोटर के नहीं चल सकती है।

आज के समय में हमारे चारों तरफ जो भी चीजें काम कर रही है उसमें मोटर का बहुत ज्यादा उपयोग होता है तो अब बात आती है कि मोटर का उपयोग तो होता है।

लेकिन उस मोटर को हम चालू कैसे करते है इसका क्या तरीका है क्योंकि कोई भी मोटर बिना स्टार्टर के नहीं चल सकती है तो आपको बता दूँ की इसीलिए हम Dol starter का उपयोग करते हैं।

यह स्टार्टर एक सामान्य प्रकार का स्टार्टर होता है इसका उपयोग हम मोटर को कहीं दूर से सप्लाई देने के लिए करते हैं।

परन्तु Dol starter से हम 7.5 HP से बड़ी मोटर को नहीं चला सकते अगर मोटर 7.5 HP से बड़ी है तो हम इस स्टार्टर का उपयोग उस मोटर पर नहीं करेंगे।

परंतु ऐसा भी नहीं है कि इस स्टार्टर का उपयोग हम 7.5 हॉर्स पावर से ऊपर की मोटर पर नहीं कर सकते।

कुछ विशेष परिस्थितियों में हम बड़ी मोटरों को Dol starter से चलाते हैं।

जैसे जब बड़ी मोटर को चलाना हो तो कुछ मैकेनिकल उपकरणों की मदद से बड़ी मोटर को Dol starter से चला सकते हैं।

जैसे कि फ्लोट कपलिंग अगर हम मोटर में लगा दें तो बड़ी मोटर को भी Dol starter से चला सकते है।

किसी मोटर को चलने के लिए दो चीजों की आवश्यकता होती है पहला वोल्टेज दूसरा करंट परंतु वोल्टेज फिक्स होता है इसका मान कम व ज्यादा नहीं हो सकता।

परंतु जो करंट होती है उसका मान कम व ज्यादा होता रहता है और इसी से मोटर को सबसे ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि मोटर की फुल लोड करंट से ज्यादा करंट मोटर में जाती है तो मोटर जल जाएगी।

Dol starter इसी करंट को मैनेज करता है कंट्रोल करता है और जितना करंट हम सेट कर देते है उतने से ज्यादा करंट मोटर में नहीं जाने देता है जिससे मोटर सुरक्षित बनी रहती है।

इसे भी पढ़े-

1- सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?

2- 3 फेज को मोटर से कैसे कनेक्ट करें?

Dol स्टार्टर का कार्य सिद्धांत

जब किसी इंडक्शन मोटर को 3 फेज सप्लाई देते हैं तो सप्लाई देने से पहले इंडक्शन मोटर का रोटर स्थिर पोजीशन में होता है।

अब जैसे ही हम सप्लाई ऑन करते हैं तो तुरंत इंडक्शन मोटर का रोटर स्थिर पोजीशन से रनिंग पोजीशन में चला जाता है।

लेकिन इस स्थिर पोजीशन से रनिंग पोजीशन में जाने में वह अपने फुल लोड करंट का लगभग 8 से 10 गुना ज्यादा करंट लेता है।

अब अगर यह 8 से 10 गुना करंट मोटर में सीधे चला जाएगा तो मोटर की वाइंडिंग इस हाई करंट को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी और हो सकता है मोटर की वाइंडिंग जल जाए।

अब यदि हम मोटर की वाइंडिंग को जलने से बचाना चाहते हैं तो मोटर को सीधे सप्लाई ना देकर एक स्टार्टर के माध्यम से सप्लाई दें इससे यह फायदा होगा की स्टार्टर में जो थर्मल रिले लगाई जाती है।

वह मोटर में हाई करंट जाने से रोकती है अब चूंकि Dol starter लाइन के सिरीज में होता है और इसमें जो इनपुट वोल्टेज होता है।

वह एक Coil के लिए 220 वोल्ट होता है इसी कारण से जब वोल्टेज कम हो जाता है तो करंट बढ़ जाता है।

इसमें ध्यान देने की बात यह है कि Dol starter का उपयोग बड़ी मोटरों में नहीं किया जाता है।

Dol starter के भाग

Dol starter कई भागों से मिलकर के बनता है जैसे इसमें सबसे पहले 1 पावर की एमसीबी होती है और दूसरी कंट्रोल की एमसीबी होती है।

उसके बाद एक पावर कांटेक्टर होता है और उसके बाद एक बाईमेटलिक ओवरलोड रिले होता है एक ऑन पुश बटन होता है और एक ऑफ पुश बटन होता है इसके साथ-2 3 इंडिकेटर होते हैं।

जिसमें से एक ऑन दूसरा ऑफ और तीसरा ट्रिप का सिग्नल देता है और कुछ वायर का उपयोग किया जाता है इसकी वायरिंग करने के लिए। अब आइए इनके पार्ट को एक-2 करके समझ लेते हैं।

DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?

1- MCB- DOL स्टार्टर पार्ट में दो प्रकार की एमसीबी का उपयोग किया जाता है जिसमें से पहली एमसीबी कंट्रोल की एमसीबी होती है इसकी करंट रेटिंग 2 एंपियर की होती है।

इसके स्थान पर हम फ्यूज का भी उपयोग कर लेते हैं और दूसरी एमसीबी पावर एमसीबी होती है जोकि मोटर को थ्री फेज की पावर सप्लाई देने के लिए उपयोग किया जाता है।

यह एमसीबी मोटर के सीरीज में होती है ध्यान रहे यह एमसीबी मोटर के फुल लोड करंट के 2 गुना से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

2- पावर कांटेक्टर- इसका जैसे नाम से पता चल रहा है यह पावर कांटेक्टर होता है इसका उपयोग हम मोटर को पावर सप्लाई देने के लिए करते हैं

क्योंकि मोटर को सीधे हम पावर सप्लाई नहीं दे सकते इसीलिए इसका उपयोग किया जाता है इसमें ऊपर और नीचे कनेक्शन करने के लिए तीन कांटेक्ट ऊपर और तीन कांटेक्ट नीचे होते हैं

जहां पर T1 T2 T3 लिखा होता है वहां पर ओवरलोड रिले को लगाते है

ऊपर जो हमारी मेन थ्री फेज सप्लाई कि केबल होती है उसका कनेक्शन करते हैं और नीचे जो मोटर को सप्लाई ले जाने वाली केबल होती है उसको लाकर ओवरलोड रिले के नीचे वाले भाग में कनेक्शन कर देते हैं

ऊपर और नीचे कहां पर कनेक्शन करना है अगर आपको इसमें कन्फ्यूजन होती है तो जहां पर 3 फेज की सप्लाई देनी है कांटेक्टर के ऊपर वाले भाग पर L1 L2 L3 लिखा होता है

जिसका मतलब होता है लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3 और कांटेक्टर के नीचे वाले भाग पर T1 T2 T3 लिखा होता है इसका मतलब होता है टर्मिनल 1, टर्मिनल 2, टर्मिनल 3 इस कांटेक्टर में 2 भाग होते हैं

पहला पावर का जो कि 3 फेज का होता है और दूसरा कंट्रोल का जोकि कंट्रोल वायरिंग में उपयोग होता है इसकी पावर सप्लाई सिंगल फेज (110 वोल्ट, 230 वोल्ट) की होती है

जब आप कांटेक्टर को खोल कर के देखेंगे तो उसके अंदर एक सिलिकॉन स्टील की बनी कोर होती है जिसका आकार E l के आकार का होता है आप देखेंगे कि यह कोर दो भागों में कांटेक्टर में होता है

नीचे वाले भाग में क्वायल को पहनाया जाता है जब तक क्वायल में सिंगल फेज की सप्लाई नहीं आएगी तब तक जो 3 फेज की सप्लाई L1 L2 L3 पर आ रही थी वह T1 T2 T3 पर नहीं आएगी अब जब क्वायल में सप्लाई दी जाती है

तो क्वायल के अंदर मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है इससे सिलिकॉन स्टील की नीचे वाली कोर एक अस्थाई चुम्बक बन जाती है जो ऊपर वाली कोर को अपनी ओर खींच लेती है

और ऊपर वाली कोर से लगा हुवा जो प्लंजर होता है उसी में सप्लाई बंद और चालू करने वाली किट जुडी होती है अब जब ऊपर वाला प्लंजर नीचे वाले प्लंजर से आकर चिपक जाता है

तो सप्लाई पास करने वाली किट भी चिपक जाती है और 3 फेज की सप्लाई L1 L2 L3 से T1 T2 T3 पर पहुंच जाती है और वह सप्लाई मोटर के टर्मिनल पर पहुंच जाएगी जिससे मोटर चालू हो जाएगी।

3- बाईमेटलिक ओवरलोड रिले यह एक थर्मल रिले होती है यह बाईमेटलिक सिद्धांत पर काम करती है थर्मल रिले में करंट को सेट करने का एक नांब होता है

इसमें बाईमेटलिक का मतलब होता है द्वि-धात्विक मतलब इसमें दो धातु का उपयोग किया जाता है पहली धातु की पट्टी से करंट का प्रवाह किया जाता है

अगर करंट उसकी सेट पॉइंट से ज्यादा प्रवाहित होती है तो उसके साथ में लगी हुई दूसरी धातु की जो पट्टी होती है उसका मेल्टिंग प्वाइंट पहली पट्टी से कम होता है

जिससे करंट जब ज्यादा फ्लो होती है तो कम मेल्टिंग प्वाइंट वाली जो मेटल की पट्टी होती है वह मुड़ जाती है जिससे रिले कांटेक्टर की कंट्रोल सप्लाई को काट देता है

जिससे क्वायल की सप्लाई बंद हो जाती है और क्वायल के अंदर का मैगनेट ख़तम हो जाता है और सिलिकॉन स्टील की कोर का जो मैगनेट होता है वह भी ख़त्म हो जाता है और इससे ऊपर का जो प्लंजर छूट जाता है

सप्लाई पास करने वाली किट छूट जाती है और मोटर को सप्लाई जाना बंद हो जाती है।

इसे भी पढ़े-

1- रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं?

4- पुश बटन- जैसा की नाम से ही पता चल रहा है की पुश बटन इसका मतलब होता है की ऐसा बटन जिसको पुश किया जाता है

यह पुश बटन 2 रंग में होता है पहला पुश बटन हरा रंग का होता है और दूसरा बटन लाल रंग का होता है और इसमें 2 प्रकार के एलिमेंट लगे होते है हरा रंग का जो पुश बटन होता है

उसमे NO (नार्मल ओपन) का एलिमेंट लगा होता है और लाल रंग के पुश बटन में NC (नार्मल क्लोज) का एलिमेंट लगा होता है। हरा पुश बटन स्टार्टर को ऑन करता है और लाल पुश बटन स्टार्टर को बंद करता है। 

5- इंडिकेटर DOL स्टार्टर किस स्थिति में है मतलब वह ऑन है या ऑफ है या ट्रिप है इसकी जानकारी के लिए इंडिकेटर लगाया जाता है इसमें हरा रंग का इंडिकेटर तब जलता है

जब DOL स्टार्टर ऑन होता है मतलब मोटर चल रही होती है और लाल रंग का इंडिक्टर तब जलता है जब DOL स्टार्टर ऑफ होता है मतलब मोटर बंद होती है और अंतिम इंडिकेटर पीला रंग का होता है

यह तब ऑन होता है जब मोटर ओवर लोड होती है जिस कारण से मोटर में ज्यादा करंट जाने पर ओवर लोड रिले ट्रिप हो जाती है और पीला रंग का इंडिकेटर ऑन हो जाता है

अब अगर आप DOL स्टार्टर को ऑन करेंगे तो DOL स्टार्टर ऑन नहीं होगा DOL स्टार्टर को ऑन करने के लिए पहले ओवरलोड रिले को रिसेट करना होगा

तब पीला रंग का इंडिकेटर बंद होगा और तभी DOL स्टार्टर ऑन होने के लिए हेल्दी होगा।

Dol starter की ड्राइंग

DOL स्टार्टर में 2 प्रकार की वायरिंग होती है जिसमे पहली वायरिंग से हम मोटर को 3 फेज पावर सप्लाई देते है जिससे मोटर चलती है इसे पावर वायरिंग कहते है

और दूसरी वायरिंग से हम इस मोटर को मिलने वाली पावर सप्लाई को कंट्रोल करते है इसका मतलब हुवा की स्टार्टर में लगा हुवा जो कॉन्टैक्टर (जो 3 फेज सप्लाई को पास करता है) होता है

उसकी कंट्रोल सप्लाई सिंगल फेज में होती है यानी 110 वोल्ट या 230 वोल्ट होती है उसको रिमोट से दूर से ऑन और ऑफ करते है।

इस सप्लाई को कंट्रोल सप्लाई कहते है कुल मिलाकर हम यह कह सकते है की स्टार्टर में दो प्रकार की वायरिंग होती है पहली पावर वायरिंग और दूसरी कंट्रोल वायरिंग।

Dol starter की कंट्रोल ड्राइंग

Dol starter की कंट्रोल ड्राइंग

ऊपर DOL स्टार्टर की कंट्रोल ड्राइंग है इसमें कांटेक्टर को रिमोट से कंट्रोल करते है Dol starter में जो-2 उपकरण  का उपयोग होता है

उसमे MCB,ओवरलोड रिले,ऑफ पुश बटन,ऑन पुश बटन,कांटेक्टर और कांटेक्टर का एक NO कांटेक्ट होता है।

इसमें सिंगल फेज सप्लाई 1 नंबर से निकलकर 2 नंबर MCB के इनपुट में आएगा और 3 नंबर MCB के आउटपुट  से निकलकर 4 नंबर ओवरलोड रिले के NC पॉइंट पर जायेगा

और 5 नंबर NC पॉइंट से निकलकर 6 नंबर OFF पुश बटन में जायेगा और 7 नंबर ऑफ पुश बटन से निकलकर 8 नंबर ON पुश बटन में जायेगा

और 9 नंबर ON पुश बटन से निकलकर 10 नंबर कांटेक्टर के A1 पॉइंट पर जायेगा और कांटेक्टर के A2 पॉइंट 11 नंबर पर न्यूट्रल की सप्लाई आएगी

अब जब ON पुश बटन को हम दबाएंगे तो सिंगल फेज सप्लाई MCB से निकलकर ओवरलोड रिले में जाएगी फिर ओवरलोड रिले से निकलकर OFF पुश बटन में जाएगी

और फिर OFF पुश बटन से निकलकर ON पुश बटन में जाएगी और ON पुश बटन से निकलकर कांटेक्टर की क्वायल पर आएगी

और दूसरे साइड पर न्यूट्रल आएगा तो कांटेक्टर एक बार तो ON होगा पर जैसे ही आप ऑन पुश बटन से ऊँगली हटाएंगे तुरंत कांटेक्टर ऑफ हो जायेगा

मतलब कांटेक्टर होल्ड नहीं होगा तो इसके लिए एक होल्डिंग सप्लाई देनी होगी यह सप्लाई हम ऑफ पुश बटन के आउटपुट 7 नंबर से निकाले या ON पुश बटन के इनपुट 8 नंबर से निकाले

और कांटेक्टर के NO पॉइंट 12 नंबर पर दे और उसके आउटपुट 13 नंबर से निकलकर ऑन पुश बटन से आउटपुट 9 नंबर पर लगा दे

अब जब आप ऑन पुश बटन को दबाएंगे तो एक बार कांटेक्टर ऑन होगा और जैसे ही कांटेक्टर ऑन होगा तो तुरंत कांटेक्टर का NO कांटेक्ट NC में बदल जायेगा और सप्लाई जो 12 नंबर पर आ रही थी

वह 13 नंबर से निकलकर 9 नंबर पर पहुंच कर कांटेक्टर को होल्ड करा देगी जिससे कांटेक्टर परमानेंट ON ही रहेगा (इसी सप्लाई को होल्डिंग सप्लाई कहते है) जब तक आप पुश बटन से कांटेक्टर को ऑफ न कर दे।

Dol starter की पावर ड्राइंग

Dol starter की पावर ड्राइंग

इसमें 3 फेज सप्लाई सबसे पहले MCB के इनपुट में जायेगा और फिर MCB के आउटपुट से सप्लाई निकलकर कांटेक्टर के इनपुट L1 L2 L(लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3) में आएगा

और कांटेक्टर के आउटपुट T1 T2 T(टर्मिनल 1, टर्मिनल 2, टर्मिनल 3) से निकलकर ओवरलोड रिले के इनपुट में जाएगा और ओवरलोड रिले के आउटपुट से निकलकर सीधा मोटर के टर्मिनल में पहुंच जायेगा।

Dol starter मोटर कनेक्शन

दोस्तों Dol starter में मोटर का कनेक्शन दो प्रकार से किया जाता है। जिसमे से पहला स्टार कनेक्शन और दूसरा डेल्टा कनेक्शन तो आइए इन कनेक्शन को एक-2 करके समझते हैं।

1- स्टार कनेक्शन- दोस्तों Dol starter में सबसे मुख्य कनेक्शन स्टार कनेक्शन होता है सबसे ज्यादा इसी में मोटर का कनेक्शन किया जाता है

इस कनेक्शन में सबसे मुख्य रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है की स्टार्टर से निकलकर जो तीन फेज आते है तो उसको हम मोटर के साथ कैसे कनेक्ट करें

क्योंकि मोटर के टर्मिनल पर एक प्लेट लगी होती है उसमें मोटर के अंदर से निकलकर 6 वायर की लीड निकलती हैं

जब आप प्लेट को देखेंगे तो उसमें U1 V1 W1 और उसके नीचे U2 V2 W2 लिखा होता है और इन्हीं में आपको थ्री फेज देना होता है

परंतु इसमें यह कन्फ्यूजन होती है कि 6 टर्मिनल होते हैं और सप्लाई 3 फेज की यानी की 3 तार होते हैं तो कनेक्शन कैसे करें इसके लिए हम मोटर का कनेक्शन स्टार में करते हैं

इसमें U1 U2 एक क्वायल, V1 V2 एक क्वायल और W1 W2 एक क्वायल है

अब सबसे पहले हम स्टार में कनेक्शन करने के लिए या तो U1 V1 Wको एक स्ट्रिप से शार्ट कर दे मतलब तीनो क्वायल का एक सिरा शार्ट कर दे और बाकी बचे U2 V2 W2 में 3 फेज RYB कनेक्ट कर दे

या U2 V2 Wको शार्ट कर दे और U1 V1 W1 में 3 फेज RYB कनेक्ट कर दे तो मोटर स्टार में चलने लगेगी। इसमें मोटर का कनेक्शन करने पर मोटर में जाने वाली जो हाई करंट है वह कंट्रोल हो जाती है

इस कनेक्शन का उपयोग सामान्य रूप से 0 से 7.5 हॉर्स पावर की मोटर में ही किया जाता है।

नोट- इस कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ इतना ही मुख्य रूप से ध्यान देना है की मोटर की एक क्वायल को केवल 230 वोल्ट ही देना है इससे ना कम और ना इससे ही ज्यादा।

2- डेल्टा कनेक्शन- इस कनेक्शन में 3 कोर की केबल 1 केबल का उपयोग किया जाता है जिसमें RYB तीनो फेज आते है।

डेल्टा कनेक्शन छोटी मोटरों के लिए नहीं होता है परन्तु ऐसा भी नहीं है की डेल्टा कनेक्शन छोटी मोटर में नहीं कर सकते है

यह कनेक्शन मोटर पर कितना प्रतिशत लोड है इस पर निर्भर करता है।

इस कनेक्शन का उपयोग बड़ी मोटरों में किया जाता है क्योंकि जैसा मैंने आपको ऊपर बताया की मोटर की टर्मिनल प्लेट पर U1 U2 V1 V2 W1 W2 लिखा होता है

तो मोटर को डेल्टा में कनेक्शन करना है तो सबसे पहले आप को अपने दिमाग में यह रखना है की इसमें मोटर की एक क्वायल को 415 वोल्ट देना है

तो अब जैसा की ऊपर बताया की U1 U2 एक क्वायल, V1 V2 एक क्वायल और W1 W2 एक क्वायल है

तो U1 को R फेज दे और इस क्वायल के दूसरे सिरे U2 में B फेज दे तो इस तरह से U1 Uएक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा।

अब V1 V2 में V1 को Y फेज दे और इस क्वायल के दूसरे सिरे V2 में R फेज दे तो इस तरह से V1 V2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा और अंतिम में W1 W2 में W1 को B फेज दे

और इस क्वायल के दूसरे सिरे W2 में Y फेज दे तो इस तरह से W1 W2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा।

नोट- इस कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ इतना ही मुख्य रूप से ध्यान देना है की मोटर की एक क्वायल को केवल 415 वोल्ट ही देना है इससे ना कम और ना इससे ज्यादा।

DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?

कब मोटर का कनेक्शन स्टार में करे और कब डेल्टा में-

अगर मोटर का कनेक्शन डेल्टा में कर दिया तो चूकी मैंने आपको ऊपर बताया की मोटर की एक क्वायल को 415 वोल्ट यानी 2 फेज देते है

तो मोटर के स्टेटर में ज्यादा मैग्नेटिक फील्ड बनेगी और उस समय मोटर पर लोड कम डाला गया है तो मोटर की एफिशिएंसी कम हो जाएगी

इसको एक उदाहरण से समझते है की अगर कोई 10 हॉर्स पावर की मोटर है और उसका कनेक्शन अगर डेल्टा में है तो उस मोटर पर कम से कम 60 से 70% लोड तो होना ही चाहिए

अगर लोड 20 से 30% ही है तो मोटर की एफिशिएंसी बहुत ही कम हो जाएगी और मोटर में लॉसेस बहुत ही बढ़ जायेंगे मतलब 10 हॉर्स पावर की मोटर का फुल लोड करेंट 15 एम्पेयर है

पर अगर क्लैंप मीटर से करंट नापने पर 10 से 11 एम्पेयर आ रहा है तब तो मोटर को डेल्टा में चलने दे परन्तु अगर 5 से 6 एम्पेयर आ रहा है तो तुरंत मोटर का कनेक्शन स्टार में कर दे।

Dol starter का कनेक्शन करने में सावधानी

स्टार्टर में जो पुश बटन लगे होते हैं उनका कनेक्शन अच्छी प्रकार से करना चाहिए। वायर को अच्छे से टाइट करें जिससे कनेक्शन ढीला ना रह जाए

क्योंकि कनेक्शन अगर ढीला रह गया तो स्टार्टर प्रॉपर तरीके से काम नहीं करेगा।

कनेक्शन करते समय जितनी जरूरत हो उतना ही वायर का उपयोग करें क्योंकि अधिक वायर जब आप ले लेते हैं तो बढे हुए वायर की ड्रेसिंग नहीं हो पाती।

मोटर का कनेक्शन करने के बाद मोटर को चला करके एक बार जरूर देख ले क्योंकि 3 फेज की मोटर में फेज सिक्वेंस होता है

जिसकी वजह से मोटर उल्टी भी घूम सकती है अगर मोटर उल्टी दिशा में घूम रही है तो MCB के इनपुट या  कांटेक्टर के इनपुट से RYB थ्री फेज के वायर में किन्ही दो फेज को आपस में बदल दे।

जैसे यदि RYB का कनेक्शन किया हुआ है तो मोटर उल्टी चल रही है तो चाल पलटने के लिए जिससे मोटर सीधी चले MCB या कांटेक्टर कि जो इनपुट सप्लाई है

वहां पर Y के स्थान पर B और B के स्थान पर Y, या  R के स्थान पर B और B के स्थान पर R, या Y के स्थान पर R और R के स्थान पर Y का कनेक्शन कर दें कुल मिलाकर किन्ही दो फेजों को इंटरचेंज कर दें।

Dol starter से लाभ

1- यह स्टार्टर अन्य स्टार्टर की तुलना में बहुत सस्ता पड़ता है।

2- इसे चलाना बहुत ही आसान है और इसका मेंटेनेंस भी काफी सस्ता है।

3- इसका कंट्रोल सर्किट और पावर सर्किट बनाना बहुत ही आसान है।

4- चूंकि इसकी सर्किट बहुत ही आसान है इसलिए इसमें किसी फाल्ट को खोजना बहुत ही आसान होता है।

5- इस स्टार्ट से जैसे ही मोटर स्टार्ट होती है तो वह 100% टार्क से चलती है।

      Dol starter से हानि

1- इस स्टार्टर से मोटर की स्टार्टिंग करंट को कम नहीं किया जा सकता।

2- जब मोटर स्टार्ट होती है तो वह अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना ज्यादा करंट लेती है।

3- स्टार्टर को जब स्टार्ट किया जाता है तो इसकी लाइन वोल्टेज बहुत कम हो जाती है।

4- स्टार्टर से जब मोटर को चलाते हैं तो उसका स्टार्टिंग टार्क बहुत ज्यादा होता है मतलब जहां पर कम टार्क की जरूरत हो वहां के लिए यह स्टार्टर उपयुक्त नहीं है।

निष्कर्ष

दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगो ने DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?, कब मोटर का कनेक्शन स्टार में करे और कब डेल्टा में के बारे में जाना Dol starter क्या होता है।

इसकी वायरिंग हम कैसे करते हैं, इसमें कितने प्रकार की वायरिंग होती है, जब Dol starter बन जाता है उसके बाद हम मोटर का कनेक्शन कैसे करते हैं।

Dol starter में कितने प्रकार से मोटर का कनेक्शन होता है, Dol starter का वर्किंग प्रिंसिपल क्या होता है, इसकी ड्राइंग कैसे बनती है, इसका फायदा क्या है और नुकसान क्या है।

Dol starter का कनेक्शन करते समय हमें क्या-2 सावधानी बरतनी चाहिए और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आप ने जाना। फिर भी आपका कोई प्रश्न है उसे जरूर पूछे मैं उसका उत्तर जरूर देने का प्रयास करूँगा।

यह भी पढ़े।

1- अर्थिंग क्यों किया जाता है?


अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।

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DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-

1- Dol starter स्टार्टर कैसे काम करता है?

Dol स्टार्टर इस स्टार्टर में मोटर फुल लोड पर चलाई जाती है इसमें मोटर का स्टार्टिंग टार्क ज्यादा होता है इसमें मोटर को मिलने वाला करंट उसके फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना होता है। इसमें 5 से 7.5 हॉर्स पावर से ऊपर की मोटर नहीं चलानी होती है।

2- स्टार्टर क्यों लगाया जाता है?

कोई भी मोटर जब स्टार्ट होती है तो वह आपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना ज्यादा करंट लेती है और अगर यह हाई करंट मोटर की वाइंडिंग को सीधे दे दिया जाए तो मोटर की वाइंडिंग जल सकती है स्टार्टर इसी स्टार्टिंग करंट को कंट्रोल करने का काम करता है।

3- मैं डायरेक्ट ऑनलाइन स्टार्टर का उपयोग कहां कर सकता हूं?

जहां पर कम पावर की मोटर का उपयोग किया जाता है 7.5 एचपी की मोटर ही इस स्टार्टर से चलाई जाती है जहां पर हाई स्टार्टिंग टॉर्क की जरूरत होती है वहां पर इस स्टार्टर का उपयोग किया जाता है।

4- स्टार्टर के कितने भाग होते हैं?

Dol starter में एमसीबी एक पोल और तीन पोल, कांट्रेक्टर, ऑन पुश बटन, ऑफ पुश बटन, ओवरलोड रिले आदि।

5- क्या आप बिना स्टार्टर के मोटर शुरू कर सकते हैं?

किसी मोटर को बिना स्टार्टर की नहीं चलाना चाहिए क्योंकि मोटर में जाने वाली जो स्टार्टिंग करंट होती है वह बहुत ज्यादा होती है और यदि आप स्टार्टर का उपयोग नहीं करेंगे तो वह करंट चीजें मोटर में चली जाएगी जिससे आप की मोटर जल्दी सकती है।