जब भी हम आप अपने घर के लिए इन्वर्टर खरीद कर लाते हैं तो हम यही सोचते हैं की इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन हम कैसे करेंगे।
क्योंकि जब तक इन्वर्टर का बैटरी के साथ कनेक्शन नहीं होगा तब तक हमारा इन्वर्टर काम नहीं करेगा तो इस कनेक्शन को करने के लिए आप किसी इलेक्ट्रीशियन को बुलाते हैं
जो आपसे ₹500 से ऊपर ही लेगा। इस पोस्ट में आपको इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन आसान तरीके से करना सिखाया जाएगा।
इन्वर्टर क्या होता है?
आपने इन्वर्टर के बारे में तो जरूर सुना होगा क्योकि जब तक आप इन्वर्टर के बारे में नहीं जानेंगे तबतक आप इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन को नहीं समझ पाएंगे हो सकता है आपके घर में इन्वर्टर लगा भी हो तो आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा कि what is inverter (इन्वर्टर क्या होता है)।
इन्वर्टर एक ऐसा विद्युत का उपकरण है जो कि एक आकस्मिक विद्युत सप्लाई सोर्स के रूप में उपयोग किया जाता है।
इसके माध्यम से हम डीसी करंट को एसी करंट में बदल देते हैं और एसी करंट को डीसी करंट में बदलते हैं इसको आसान शब्दों में हम कहें तो जो पावर हाउस से Ac सप्लाई आती है।
उसे हम इन्वर्टर के माध्यम से डीसी में बदलकर बैटरी चार्ज कर लेते हैं और आवश्यकता पड़ने पर जब पावर हाउस से आने वाली विद्युत सप्लाई बाधित हो जाती है।
तो उस वक्त हमें अपने घरों के उपकरणों को चलाने के लिए एसी विद्युत सप्लाई की जरूरत पड़ती है तो यह जरूरत हम इन्वर्टर के माध्यम से पूरी कर लेते हैं
मतलब इन्वर्टर बैटरी से डीसी सप्लाई लेकर उसे Ac सप्लाई में बदलकर हमें दे देता है जिससे हम अपने घर में लगे हुए उपकरण को आसानी से चला लेते हैं।
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इन्वर्टर के प्रकार
इन्वर्टर कई प्रकार के होते हैं जिसमें से फ्रीक्वेंसी के आधार पर वोल्टेज के आधार पर-
फ्रीक्वेंसी के आधार पर इन्वर्टर
फ्रीक्वेंसी के आधार पर इन्वर्टर तीन प्रकार के होते हैं जिसमें से पहला प्योर साइन वेव इन्वर्टर, दूसरा मोडिफाइड साइन वेव इन्वर्टर और तीसरा स्क्वायर वेव इन्वर्टर।
प्योर साइन वेव इन्वर्टर– हमारे घरों में जो उपकरण लगे हुए होते हैं उनको मिलने वाली इलेक्ट्रिक सप्लाई जोकी पावर हाउस से आती है उसमें जो फ्रीक्वेंसी होती है।
वह साइन वेव फ्रीक्वेंसी होती है और जो उपकरण होते हैं उनको जिस वैकेंसी के लिए बनाया जाता है वह साइन वेव फ्रीक्वेंसी होती है।
तो पावर हाउस से मिलने वाली फ्रीक्वेंसी और उपकरण जिस फ्रीक्वेंसी पर डिजाइन किया गया है वह मैच कर जाती है जिससे उपकरण सही प्रकार से और लंबे समय तक चलते हैं।
मोडिफाइड साइन वेव इन्वर्टर– इस इन्वर्टर से निकलने वाली जो फ्रीक्वेंसी होती है वह प्योर साइन फ्रीक्वेंसी नहीं होती है।
यह फ्रीक्वेंसी घर में उपयोग होने वाले उपकरण के अनुकूल नहीं होती है।
स्क्वायर वेव इन्वर्टर– पहले जो इन्वर्टर उपयोग होते थे उनकी फ्रीक्वेंसी स्क्वायर वेव फ्रीक्वेंसी होती थी इसका जो वेबफॉर्म होता है वह स्क्वायर वेव में होता है।
यह फ्रीक्वेंसी साइन वेव और मॉडिफाइड साइन वेव फ्रीक्वेंसी से एकदम अलग होता है चूँकि घरों में लगे हुए उपकरण साइन वेव फ्रीक्वेंसी पर बेस होते हैं
तो जब उनको स्क्वायर वेव में फ्रीक्वेंसी मिलती है तो आपने देखा होगा की पंखे से या ट्यूबलाइट से आवाज आती है जब वह इन्वर्टर से चलता है।
इसका मतलब यही होता है कि उसको मिलने वाली सप्लाई की जो फ्रीक्वेंसी है वह स्क्वायर वेव फ्रीक्वेंसी है इसीलिए वह फ्रीक्वेंसी उसकी फ्रीक्वेंसी से मैच नहीं करती इसीलिए उपकरण में आवाज आती है।
वोल्टेज के आधार पर इन्वर्टर
ये इन्वर्टर वोल्टेज बेस्ट इन्वर्टर होते हैं इस इन्वर्टर को जो डीसी सप्लाई दी जाती है वह 1 बैटरी (12 वोल्ट), 2 बैटरी (24 वोल्ट), 4 बैटरी (48 वोल्ट) की होती है।
इसके साथ-2 इसको दी जाने वाली जो इनपुट एसी सप्लाई होती है वह सिंगल फेज (220 वोल्ट), थ्री फेज (415 वोल्ट) की होती है।
बैटरी कनेक्शन के प्रकार
बैटरी का कनेक्शन 2 प्रकार से किया जाता है।
1- सीरीज कनेक्शन 2- पैरेलल कनेक्शन
सिरीज़ कनेक्शन
जब बैट्री का सिरीज़ में कनेक्शन करते हैं और दोनों बैटरी 12 वोल्ट की है तो पहली बैट्री का +ve सिरा दूसरी बैट्री का -ve सिरा को एक तार की मदद से जोड़ें
और बाकी बचे हुए टर्मिनल दोनों बैटरी के पहली बैटरी का -ve सिरा और दूसरी बैटरी का +ve सिरा पर जब हम मल्टीमीटर से वोल्टेज चेक करेंगे तो 24 वोल्ट शो होगा।
इसी प्रकार से 2 या 2 का अधिक बैटरी को सीरीज में जोड़ सकते है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
पैरेलल कनेक्शन
जब बैट्री का पैरेलल में कनेक्शन करते हैं और दोनों बैटरी 12 वोल्ट की है तो पहली बैट्री का +ve सिरा दूसरी बैट्री का +ve सिरा को एक तार की मदद से जोड़ें
और फिर पहली बैटरी का -ve सिरा और दूसरी बैटरी का -ve सिरा एक तार की मदद से जोड़ दे अब दूसरी बैटरी के +ve सिरा और दूसरी बैटरी के -ve सिरे पर मल्टीमीटर से वोल्टेज चेक करेंगे तो 12 वोल्ट शो होगा।
इसी प्रकार से 2 या 2 का अधिक बैटरी को पैरेलल में जोड़ सकते है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
नोट- इसमें नोट करने वाली बात यह है की बैटरी में एम्पेयर ऑवर (AH) और वोल्टेज होता है और ये दोनों अलग-2 कनेक्शन में जुड़ती है
जब हम सीरीज में कनेक्शन करते है तो दोनों बैटरी का वोल्टेज जुड़ता है पर जब हम बैटरी का कनेक्शन पैरेलल में करते है
तो दोनों बैटरी का वोल्टेज नहीं जुड़ता किसी एक बैटरी का जो वोल्टेज होगा वही वोल्टेज आपको मिलेगा परन्तु बैटरी का एम्पेयर ऑवर (AH) जुड़ जायेगा।
अब यहाँ तक आपने इन्वर्टर क्या होता है और टाइप ऑफ़ इन्वर्टर इसके साथ-2 टाइप ऑफ़ बैटरी कनेक्शन को जान गए होंगे अब आप इन्वर्टर और बैटरी के कनेक्शन को समझ पाएंगे।
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1- घर के इलेक्ट्रिक स्विच बोर्ड का कनेक्शन
इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन
दोस्तों आपने जो इन्वर्टर लिया है उसमे इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन करना है तो उसको आप सही तरीके से देखे की उसकी इनपुट वोल्टेज (Ac) और इन्वर्टर की आउटपुट वोल्टेज (Dc) क्या है।
अब अगर उसकी इनपुट वोल्टेज 230 वोल्ट है तो आप उसको इनपुट में 230 वोल्ट दे और उसकी आउटपुट वोल्टेज 12 वोल्ट (Dc) है
तो आप इन्वर्टर के आउटपुट के तार देखेंगे तो उसमे आप देखेंगे की उसमे कलर कोड होता है एक तार लाल रंग का और दूसरा काला रंग का होगा है
तो इन्वर्टर का बैटरी के साथ कनेक्शन करते समय लाल रंग के तार को पॉजिटिव टर्मिनल पर और काले रंग के तार को नेगेटिव टर्मिनल पर कनेक्शन कर दें
ध्यान रहे अगर कहीं गलती से ये तार बदल गए और लाल तार नेगेटिव टर्मिनल पर छू गया और काला तार पॉजिटिव टर्मिनल पर छू गया तो पूरी उम्मीद है की इन्वर्टर का डीसी फ्यूज उड़ जाएगा
तो आपको या तो इन्वर्टर को दुकान पर ले जाना होगा या उसका घर पर ही डीसी फ्यूज बदलना होगा इसीलिए ध्यान रखें की लाल तार पॉजिटिव में और काला तार नेगेटिव में ही लगाएं।
नोट- इसमें यह नोट करने वाली बात है की अगर आप इन्वर्टर को Ac सप्लाई इनपुट में देते है तो आपको आउटपुट में Dc नहीं मिलेगा।
क्योकि इस समय के इन्वर्टर से जबतक बैटरी कनेक्ट नहीं की जाती है तब तक इन्वर्टर Dc सप्लाई आउटपुट में नहीं देता है
क्योकि इन्वर्टर बैटरी के आतंरिक प्रतिरोध को सेंस करता है और जब तक उसे बैटरी का आतंरिक प्रतिरोध नहीं मिलेगा तबतक वह Dc सप्लाई आउटपुट में नहीं देगा।
विशेष ध्यान आकर्षण- जब भी हम आप इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन करते है तो उसमें एक बहुत बड़ी गलती करते है की इन्वर्टर से जो Ac सप्लाई लेते है उसमें फेज और न्यूट्रल दोनों मिलता है परन्तु इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन के बाद सॉकेट से केवल फेज के सप्लाई का एक वायर ही उपयोग करते है जो की एक गलत तरीका है अगर आप फेज और न्यूट्रल दोनों उपयोग करते है तो आपके बैटरी की लाइफ ज्यादा होगी लगभग 2 गुनी होगी क्योकि यदि आप इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन में यदि केवल फेज की ही सप्लाई उसे करते है तो केवल +ve प्लेट ही गलती है -ve प्लेट वैसी की वैसी बनी रहती है आप जरा यह सोचो की जिस इंजीनियर ने इन्वर्टर को बनाया था वह केवल फेज की ही सप्लाई का आउटपुट देता न्यूट्रल का क्यों देता अगर फेज न्यूट्रल दोनों का आउटपुट हमें मिलता है तो उसका यही कारण है।
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट से आप इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन और बैटरी का सीरीज और पैरेलल में कनेक्शन और इन्वर्टर का बैटरी के साथ कनेक्शन करना सीख गए होंगे अगर फिर भी आपके मन में कोई क्वेश्चन है तो उसे जरूर पूछे।
नोट- यह भी पढ़े।
1- सही मान का MCB कैसे ढूंढे?
2- सोलर सिस्टम कितने प्रकार का होता है?
अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर “rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।
अगर आपको इलेक्ट्रिकल की वीडियो देखना पसंद है तो आप हमारे चैनल “target electrician“ पर विजिट कर सकते है। धन्यवाद्
इन्वर्टर में बैटरी का कनेक्शन से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-
1- इन्वर्टर बैटरी चार्ज करने के लिए कितना वोल्टेज चाहिए?
बैटरी Dc सप्लाई से चार्ज होती है और बैटरी की जो आउटपुट वोल्टेज होती है उससे थोड़ा ज्यादा वोल्टेज बैटरी को देना होता है जैसे 12 वोल्ट की बैटरी को 13.8 या 14 वोल्ट की Dc सप्लाई देनी होती है तभी बैटरी चार्ज होती है।
2- आप श्रृंखला में बैटरी को इन्वर्टर से कैसे जोड़ते हैं?
पहली बैट्री का +ve सिरा दूसरी बैट्री का -ve सिरा को एक तार की मदद से जोड़ें और बाकी बचे हुए टर्मिनल दोनों बैटरी के पहली बैटरी का -ve सिरा और दूसरी बैटरी का +ve सिरा पर जब हम मल्टीमीटर से वोल्टेज चेक करेंगे तो 24 वोल्ट शो होगा। तो अब लाल तार +ve टर्मिनल से और काला तार -ve टर्मिनल से जोड़ दे और इन्वर्टर का कनेक्शन हो गया और इन्वर्टर का Ac आउटपुट घर में लगे उपकरण को दे।
3- इन्वर्टर बैटरी में सबसे पहले कौन सा तार कनेक्ट करना है?
इन्वर्टर से जब बैटरी का कनेक्शन करे तो सबसे पहले लाल तार या +ve तार को जोड़े फिर -ve तार या काले तार को बाद में कनेक्ट करे।
4- इन्वर्टर की बैटरी कितने साल तक चलती है?
इन्वर्टर की बैटरी की लाइफ उसके उसे और उसके मेंटेनेंस पर निर्भर करता है यानी की बैटरी पर कितना लोड डाला जाता है और बैटरी में पानी सही टाइम पर डाले तो बैटरी की लाइफ बहुत अच्छी रहती है आप बैटरी को 7 से 8 सालो तक उसे कर सकते है।
5- इन्वर्टर की बैटरी में पानी कब डालना चाहिए?
बैटरी में पानी का विशेष काम होता है इसके लिए बैटरी पर एक इंडिकेटर लगा होता है जिसमे एक लाल रंग का मार्क होता है अगर वह नीचे है तो पानी डालने की जरुरत है और अगर मार्क ऊपर है तो पानी का लेवल सही है।