हम अपने आस-पास बहुत सी मोटर का उपयोग करते है और इस मोटर के कितने भाग होते हैं?, इंडक्शन मोटर कितने प्रकार के होते हैं?, मोटर का कनेक्शन हम कैसे करते है इन सभी प्रश्नो का उत्तर आज आपको मिल जायेगा।
इंडक्शन मोटर का इतिहास
यह घटना सन 1885 की है जब गैलीलियो और निकोलस टेस्ला एक मोटर के मॉडल पर काम कर रहे थे।
और आगे जाकर इन दोनों के प्रयास से 1887 में अल्टरनेटिंग करंट कम्यूटेटर फ्री Three phase induction motor को दुनिया के सामने रखा।
और टेस्ला ने सन 1887 के अक्टूबर के महीने में अमेरिकी पेटेंट के लिए आवेदन किया और मई 1888 में पेटेंट मिला।
इसीलिए इंडक्शन मोटर का अविष्कार सन 1888 माना जाता है।
इंडक्शन मोटर क्या है
यह मोटर एसी सप्लाई से चलती है इसको सप्लाई के आधार पर दो भागों में बांटा जाता है जिसमें से पहला है 1 phase Induction motor और दूसरा है 3 phase Induction motor
लेकिन इसमें सिंगल फेस मोटर की तुलना में 3 phase Induction motor ज्यादा पावरफुल, ज्यादा एफिशिएंट और अच्छा टार्क मिलता है।
इसीलिए 3 phase Induction motor का उपयोग ज्यादा बड़े पैमाने पर किया जाता है इस मोटर में मेंटेनेंस लगभग ना के बराबर होता है।
इसकी एफिशिएंसी थोड़ी कम होती है लगभग 75% के आसपास। इंडस्ट्री के लिए यह मोटर एक वरदान है इंडस्ट्री में इस मोटर सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है।
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1- DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?
इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत
इंडक्शन मोटर को सिंक्रोनस मोटर के नाम से भी जाना जाता है Induction motor एसी सप्लाई इनपुट में लेता है मतलब Ac करंट मोटर को दिया जाता है और आउटपुट में मोटर मैकेनिकल एनर्जी हमें देता है।
यह मोटर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन के सिद्धांत पर कार्य करता है इसके अंतर्गत जब हम इंडक्शन मोटर के स्टेटर में Ac सप्लाई देते हैं तो स्टेटर में एक चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है जो कि अल्टरनेटिंग प्रवृत्ति का होता है।
जब यहां अल्टरनेटिंग चुंबकीय फ्लक्स रोटर के द्वारा काट दिया जाता है तब उसमें फैराडे का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन का सिद्धांत लागू होता है। और इस कारण से रोटर में विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है।
और इसी कारण से रोटर में भी चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न हो जाता है जब यह चुंबकीय फ्लक्स स्टेटर के मुख्य चुंबकीय फ्लक्स के साथ लिंक करता है
तब लेंज के नियम के अनुसार वह हमेशा अपने आपको एक ऐसे क्षेत्र में ले जाने कोशिश करता है
जहां स्टेटस के चुंबकीय फ्लक्स का प्रभाव कम हो और इस प्रक्रिया में रोटर के क्वायल के चालक पर एक बल कार्य करने लगता है और इस कारण से रोटर घूमने लगता है। और यही इंडक्शन का नियम है।
इंडक्शन मोटर कितने प्रकार के होते हैं?
1- फेज के आधार पर 1 फेज मोटर और 3 फेज मोटर होती है।
2- स्पीड के आधार पर स्थिर, परिवर्तनशील या एडजेस्टबल मोटर होती है।
3- बनावट के आधार पर पूरी बंद, आधी बंद, खुले प्रकार की मोटर होती है।
4- बनावट के आधार पर सिंक्रोनस या नॉन सिंक्रोनस मोटर होती है।
सिंक्रोनस मोटर प्लेन सिंक्रोनस तथा ऑटो सिंक्रोनस प्रकार की होती है। नॉन सिंक्रोनस मोटर को इंडक्शन मोटर भी कहा जाता है
आधुनिक टेक्नोलजी के अनुसार सिंक्रोनस फ्रिक्शनल हॉर्स पावर तथा स्टांपिंग या स्टैंपर मोटर बनाई जाती है स्टैंपर मोटरो के कई प्रकार हैं
वेरिएबल रिलक्टैंस, स्टैंपर मोटर, परमानेंट मैग्नेट स्टैंपर मोटर, हाई ब्रैंड स्टैंपर मोटर तथा स्विचड रिलक्टैंस मोटरें हैं।
5- इंडक्शन मोटर या नॉन सिंक्रोनस मोटरों को आगे स्क्वैरल केज, स्लिप रिंग तथा कम्यूटेटर प्रकार की मोटरों में बांटा जा सकता है।
6- स्क्वैरल केज मोटरों के अंतर्गत 1- सिंगल स्क्वैरल 2- डबल स्क्वैरल 3- डीपबार प्रकार की होती है।
7- सिंगल फेज मोटरों के अंतर्गत
स्प्लिट फेज तथा कम्यूटेटर प्रकार की होती है।
स्प्लिट फेज मोटर के अंतर्गत
1- कपैसिटर स्टार्ट इंडक्शन मोटर
2- परमानेंट कपैसिटर
3- कपैसिटर स्टार्ट कपैसिटर रन मोटर
4- शेडेड पोल टाइप की मोटर
5- कम्यूटेटर प्रकार की मोटरों को ही यूनिवर्सल तथा रिपल्शन मोटर में बांटा जाता है।
8- फ्रिक्शनल हार्सपावर मोटरों के अंतर्गत
1- स्प्लिट फेज मोटर
2- कपैसिटर मोटर
3- रिपल्शन मोटर
4- शेडेड पोल मोटर
5- यूनिवर्सल प्रकार की मोटरें जरुरत के अनुसार एक BHP से कम की बनाई जाती है इन्हे इसी कारण से फ्रिक्शनल हार्सपावर मोटरें कहते है।
मोटर के कितने भाग होते हैं?
Induction motor कई पार्ट से मिलकर बनता है। कुछ प्रमुख भाग-
1- स्टेटर 2- रोटर वाउन्ड टाइप, बिना वाउन्ड 3- शाफ़्ट 4- बियरिंग 5- पंखा 6- मोटर टर्मिनल 7- आयरन कोर 8- वाइंडिंग
1- स्टेटर- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत यह मोटर का एक स्थिर भाग होता है यह रोटर को घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र प्रदान करता है इसकी बॉडी कॉस्ट आयरन की बनी होती है
मतलब ढलवा लोहा की बनी होती है और यही मोटर का ऊपरी हिस्सा होता है जिसे हम आसानी से हम छू सकते है।
2- रोटर- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत रोटर इंडक्शन मोटर के बीच का भाग होता है जो शाफ़्ट से जुड़ा होता है। इसका स्वरुप बेलनाकार होता है जब स्टेटर में सप्लाई के कारण मैग्नेटिक फील्ड बनती है उसमे रोटर तेजी के साथ घूमता है।
रोटर सामान्यतः दो प्रकार के होते है –
1- वाउन्ड टाइप – मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत इस प्रकार के रोटर को स्लिप रिंग रोटर भी कहा जाता है जिसमे रोटर वाइंडिंग को स्लिप रिंग के द्वारा बाहर के प्रतिरोध से जोड़ा जाता है।
इसमें प्रमुख बात यह होती है की प्रतिरोध को समायोजित करने से मोटर के टार्क को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
2- स्क्वीररेल केज टाइप – मोटर के कितने भाग होते हैं?इसके अंतर्गत इसमें स्टील को लेमिनेट करके बेलनाकार रूप में बनाया जाता है
इंडस्ट्रियल उपयोग में स्क्वीररेल -केज टाइप बहुत लोकप्रिय है क्योंकि ये 1 किलोवाट से कम से लेकर 10000 हॉर्स पावर के आकार में उपलब्ध है।
इसमें खास बात ये होती है की ये सरल और सेल्फ स्टार्टर होता है और कम लोड और फुल लोड पर भी स्थिर गति बनाए रखता है।
3- शाफ़्ट- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत यह मोटर का बहुत की महत्वपूर्ण भाग होता है क्योकि मोटर का जो भी आउटपुट हमें मिलता है
मकैनिकल ऊर्जा के रूप में वह इसी पर मिलता है शॉट पर ही हम पुली लगाकर या जिस चीज को हमें घूमना होता है इसी से कनेक्ट करते है।
मतलब मोटर से जो हमें पावर मिलती है वह इसी जगह पर मिलती है।
4- बियरिंग- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत यह मोटर का जो रोटर होता है उसके दोनों तरफ फिट होता है और इसी के बीच में रोटर घूमता है इसे लगाने से यह फ़ायदा होता है की जब रोटर घूमता है तो रोटर को घूमने में घर्षण नहीं होता है।
5- पंखा- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत रोटर के 2 सिरे होते है जिसमे एक सिरे को हम शॉट के रूप में उपयोग करते है और दूसरे सिरे पर एक पंखा लगा होता है जब मोटर चलती है
तो मोटर की बॉडी गर्म होती है और अगर मोटर की बॉडी को ठंडा न किया जाये तो मोटर जल जाएगी तो मोटर की बॉडी को ठंडा करने का काम यही पंखा करता है
आपने देखा होगा की मोटर की बॉडी के बाहरी भाग पर गहरी-2 नालियां बनी होती है अब जब पंखा चलता है तो उसकी हवा इन्हीं नालियों से बहती है और मोटर ठंडी हो जाती है।
6- मोटर टर्मिनल- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत यह मोटर का एक विशेष भाग होता है चाहे मोटर 1 फेज की हो या 3 फेज की हो मोटर टर्मिनल पर ही सप्लाई के तार को जोड़ा जाता है जिससे मोटर चल पाती है।
7- आयरन कोर- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत मोटर के स्टेटर में यह आयरन कोर फिट होता है यह नर्म लोहे का बना होता है और इसके अंदर खांचे कटे होते है इसका काम यह होता है की यह मैग्नेटिक फील्ड को और अधिक शक्तिशाली बनता है।
8- वाइंडिंग- मोटर के कितने भाग होते हैं? इसके अंतर्गत यह स्टेटर में फिट जो आयरन कोर होती है और उसमे कटे जो खांचे होते है उसी में वाइंडिंग को फिट किया जाता है
यह तांबा व एल्युमीनियम के तार को लेमिनेट करके उसकी coil बनाया जाता है और इसी में इलेक्ट्रिक सप्लाई दिया जाता है।
इंडक्शन मोटर का कनेक्शन
3 फेज इंडक्शन मोटर-
दोस्तों मोटर का कनेक्शन दो प्रकार से किया जाता है। जिसमे से पहला स्टार कनेक्शन और दूसरा डेल्टा कनेक्शन तो आइए इन कनेक्शन को एक-2 करके समझते हैं।
1- स्टार कनेक्शन- दोस्तों मोटर में सबसे मुख्य कनेक्शन स्टार कनेक्शन होता है सबसे ज्यादा इसी में मोटर का कनेक्शन किया जाता है
इस कनेक्शन में सबसे मुख्य रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है की स्टार्टर से निकलकर जो तीन फेज आते है तो उसको हम मोटर के साथ कैसे कनेक्ट करें
क्योंकि मोटर के टर्मिनल पर एक प्लेट लगी होती है उसमें मोटर के अंदर से निकलकर 6 वायर की लीड निकलती हैं
जब आप प्लेट को देखेंगे तो उसमें U1 V1 W1 और उसके नीचे U2 V2 W2 लिखा होता है और इन्हीं में आपको थ्री फेज देना होता है
परंतु इसमें यह कन्फ्यूजन होती है कि 6 टर्मिनल होते हैं और सप्लाई 3 फेज की यानी की 3 तार होते हैं तो कनेक्शन कैसे करें इसके लिए हम मोटर का कनेक्शन स्टार में करते हैं
इसमें U1 U2 एक क्वायल, V1 V2 एक क्वायल और W1 W2 एक क्वायल है
अब सबसे पहले हम स्टार में कनेक्शन करने के लिए या तो U1 V1 W1 को एक स्ट्रिप से शार्ट कर दे मतलब तीनो क्वायल का एक सिरा शार्ट कर दे और बाकी बचे U2 V2 W2 में 3 फेज RYB कनेक्ट कर दे
या U2 V2 W2 को शार्ट कर दे और U1 V1 W1 में 3 फेज RYB कनेक्ट कर दे तो मोटर स्टार में चलने लगेगी। इसमें मोटर का कनेक्शन करने पर मोटर में जाने वाली जो हाई करंट है वह कंट्रोल हो जाती है
इस कनेक्शन का उपयोग सामान्य रूप से 0 से 7.5 हॉर्स पावर की मोटर में ही किया जाता है।
नोट- इस कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ इतना ही मुख्य रूप से ध्यान देना है की मोटर की एक क्वायल को केवल 230 वोल्ट ही देना है इससे ना कम और ना इससे ही ज्यादा।
2- डेल्टा कनेक्शन- इस कनेक्शन में 3 कोर की केबल 1 केबल का उपयोग किया जाता है जिसमें RYB तीनो फेज आते है।
डेल्टा कनेक्शन छोटी मोटरों के लिए नहीं होता है परन्तु ऐसा भी नहीं है की डेल्टा कनेक्शन छोटी मोटर में नहीं कर सकते है
यह कनेक्शन मोटर पर कितना प्रतिशत लोड है इस पर निर्भर करता है।
इस कनेक्शन का उपयोग बड़ी मोटरों में किया जाता है क्योंकि जैसा मैंने आपको ऊपर बताया की मोटर की टर्मिनल प्लेट पर U1 U2 V1 V2 W1 W2 लिखा होता है
तो मोटर को डेल्टा में कनेक्शन करना है तो सबसे पहले आप को अपने दिमाग में यह रखना है की इसमें मोटर की एक क्वायल को 415 वोल्ट देना है
तो अब जैसा की ऊपर बताया की U1 U2 एक क्वायल, V1 V2 एक क्वायल और W1 W2 एक क्वायल है
तो U1 को R फेज दे और इस क्वायल के दूसरे सिरे U2 में B फेज दे तो इस तरह से U1 U2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा।
अब V1 V2 में V1 को Y फेज दे और इस क्वायल के दूसरे सिरे V2 में R फेज दे तो इस तरह से V1 V2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा और अंतिम में W1 W2 में W1 को B फेज दे
और इस क्वायल के दूसरे सिरे W2 में Y फेज दे तो इस तरह से W1 W2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा।
नोट- इस कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ इतना ही मुख्य रूप से ध्यान देना है की मोटर की एक क्वायल को केवल 415 वोल्ट ही देना है इससे ना कम और ना इससे ज्यादा।
1 फेज इंडक्शन मोटर-
मोटर टर्मिनल की पहचान-
4 वायर का पंखा- जब पंखा के अंदर की वाइंडिंग से 4 वायर निकलते है।
दोस्तों Single phase induction motor सिंगल फेज से चलती है अब जहाँ तक रही मोटर टर्मिनल की बात तो इससे पहले आपको मोटर की वाइंडिंग के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
Single phase induction motor में 2 प्रकार की वाइंडिंग होती है जिसमे से पहली स्टार्टिंग वाइंडिंग और दूसरी रनिंग वाइंडिंग होती है
मुख्य वाइंडिंग या रनिंग वाइंडिंग वह वाइंडिंग होती है जो बाहर के साइड होती है इसमें बड़ी क्वायल और लपटों की संख्या अधिक रखी जाती है इसका प्रतिरोध अधिक होता है।
स्टार्टिंग वाइंडिंग वाइंडिंग वह वाइंडिंग होती है जो अंदर के साइड होती है इसमें छोटी क्वायल और लपटों की संख्या कम रखी जाती है इसका प्रतिरोध कम होता है।
कुलमिलाकर मोटर में 2 वाइंडिंग होती है जिसमे से पहली रनिंग और दूसरी स्टार्टिंग होती है।
अब जानते है की वाइंडिंग को कैसे पहचाने-
इसके लिए आपके पास सीरीज लैंप या मल्टीमीटर होना चाहिए रनिंग वाइंडिंग को जब चेक करेंगे
तो रनिंग वाइंडिंग के 2 सिरे होंगे जब आप सीरीज लैंप से चेक करेंगे तो सीरीज लैंप के 2 तार होंगे तो उसे रनिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाए
तो सीरीज बल्ब में कम रोशनी होगी यानी बल्ब धीमा जलेगा।
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1- सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?
अब अगर आप मल्टीमीटर से चेक करते है तो मल्टीमीटर को रेजिस्टेंस के मोड पर सेट करे और मल्टीमीटर के दोनों तारों को रनिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाएं
तो मल्टीमीटर पर की रीडिंग अधिक आएगी यानी वाइंडिंग का रेजिस्टेंस अधिक होगा।
अब जानते है की स्टार्टिंग वाइंडिंग के बारे में तो सीरीज लैंप के दोनों सिरों को स्टार्टिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाएं
तो सीरीज बल्ब रनिंग वाइंडिंग के तुलना में तेज जलेगा यानी रनिंग वाइंडिंग की तुलना में अधिक रोशनी देगा।
अब मल्टीमीटर से चेक करने पर मल्टीमीटर से दोनों तारों को स्टार्टिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाएं तो रनिंग वाइंडिंग की तुलना में मल्टीमीटर पर रीडिंग कम आएगी
यानी स्टार्टिंग वाइंडिंग का रेजिस्टेंस रनिंग वाइंडिंग की तुलना में कम होगा।
तो इस प्रकार से रनिंग और स्टार्टिंग वाइंडिंग के सिरों का पता चल गया।
1 फेज मोटर कनेक्शन-
3 वायर का पंखा- जब पंखा के अंदर की वाइंडिंग से 3 वायर निकले होते है तो उस पंखा की वाइंडिंग को ऐसे पहचानते है की जैसा ऊपर आपको बताया की रनिंग वाइंडिंग के 2 सिरे और स्टार्टिंग वाइंडिंग के 2 सिरे होते है
और जब इसको हम पता कर लेते है तब एक रनिंग वाइंडिंग का सिरा और एक स्टार्टिंग वाइंडिंग का सिरा दोनों को आपस में ट्विस्ट कर देते है और इसी को कॉमन वायर कहते है
अब बाकी बचे 2 वायर जिसमे से एक वायर रनिंग वाइंडिंग का और दूसरा स्टार्टिंग वाइंडिंग का तो कुलमिलाकर 3 वायर है।
इसमें पहला कॉमन का वायर दूसरा रनिंग वाइंडिंग का एक वायर और तीसरा स्टार्टिंग वाइंडिंग का वायर अब कुछ-2 पंखो में यही वायर बाहर होते है
अब इसमें रनिंग वाइंडिंग को पहचानने के लिए सीरीज लैंप का 1 वायर कॉमन पर लगाए और एक-2 करके दोनों वायर पर लगाए तो जिसमे बल्ब धीमा जलेगा वह रनिंग वाइंडिंग है
और फिर कॉमन का वायर हटाना नहीं है और दूसरे वायर में सीरीज का वायर लगाए तो बल्ब तेज जलेगा तो यह स्टार्टिंग वाइंडिंग का तार हुवा।
इसी तरह से मल्टीमीटर को रेजिस्टेंस पर सेट करे और उसके एक वायर को कॉमन पर लगाए और दूसरा एक-2 करके दोनों वायर पर लगाए
तो एक में रेजिस्टेंस ज्यादा आएगा दूसरे की तुलना में तो वह रनिंग वाइंडिंग हुवा और दूसरे में रेजिस्टेंस कम आएगा तो वह स्टार्टिंग वाइंडिंग का होगा।
अब जब आपने रनिंग और स्टार्टिंग वाइंडिंग के सिरों का पता लगा लिए तो अब मोटर को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए कपैसिटर का कनेक्शन करना होगा।
इसके लिए रनिंग वाइंडिंग का एक सिरा और स्टार्टिंग वाइंडिंग का एक सिरा दोनों को आपस में जोड़ दे यह सिरा कॉमन सिरा होगा इसी में न्यूट्रल के तार को जोड़ा जायेगा।
अब बाकी बचे दो सिरे जिसमे से एक सिरा रनिंग वाइंडिंग का और एक सिरा स्टार्टिंग वाइंडिंग का होगा
अब इन्ही दोनों सिरों के बीच में कपैसिटर को कनेक्ट कर दे और जो सिरा रनिंग वाइंडिंग का हो उसी में फेज का वायर कनेक्ट कर दे पंखा सीधा चलेगा।
3 वायर के पंखा में कपैसिटर का कनेक्शन-
3 वायर के पंखा में जो कॉमन वायर है उसमे न्यूट्रल का कनेक्शन करे और बाकी बचे दोनों तारों में कपैसिटर का कनेक्शन कर दे और रनिंग वाइंडिंग में फेज कनेक्ट कर दे।
नोट- इसमें याद रखने की बात यह है की कॉमन में न्यूट्रल का वायर कनेक्ट होगा और रनिंग वाइंडिंग के सिरे में फेज का वायर कनेक्ट होगा। इस तरह से पंखा एक बार में ही सीधा चलेगा।
इंडक्शन मोटर की कंट्रोलिंग
इंडक्शन मोटर को हम सामान्य रूप से कण्ट्रोल नहीं कर सकते है मोटर को कण्ट्रोल करने के लिए अलग-2 जरुरत के अनुसार स्टार्टर लगाया जाता है
जिसमें से डायरेक्ट ऑनलाइन स्टार्टर, रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर, सॉफ्ट स्टार्टर, स्टार डेल्टा स्टार्टर आदि का उपयोग किया जाता है।
स्टार्टर में कॉन्टैक्टर, ओवरलोड रिले के साथ पुश बटन का कनेक्शन करके स्टार्टर बनाया जाता है जिससे मोटर को हम दूर से कण्ट्रोल कर सकते है।
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगो ने मोटर के कितने भाग होते हैं? के बारे में जाना।
इसमें हम इंडक्शन मोटर क्या है और इंडक्शन मोटर का कनेक्शन हम कैसे करते है और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आपने जाना।
फिर भी आपका कोई प्रश्न है उसे जरूर पूछे मैं उसका उत्तर जरूर देने का प्रयास करूँगा।
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1- 3 फेज को मोटर से कैसे कनेक्ट करें?
अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर “rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।
अगर आपको इलेक्ट्रिकल की वीडियो देखना पसंद है तो आप हमारे चैनल “target electrician“ पर विजिट कर सकते है। धन्यवाद्
मोटर के कितने भाग होते हैं? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-
1- इंडक्शन मोटर कैसे काम करती है?
जब हम मोटर के टर्मिनल पर सप्लाई के तार का कनेक्शन करते है तो मोटर के स्टेटर में मैग्नेटिक फील्ड पैदा हो जाती है और यह फील्ड रोटर को घूमती है।
2- इंडक्शन मोटर की दक्षता कितनी होती है?
इंडक्शन मोटर की दक्षता 75 से 80 प्रतिशत के बीच में रहती है।
3- इंडक्शन मोटर में स्लिप का मान कितना होता है?
इंडक्शन मोटर में स्लिप का मान 3 प्रतिशत से लेकर 5 प्रतिशत तक होती है।
4- इंडक्शन मोटर में रोटर क्यों घूमता है?
इंडक्शन मोटर में जो रोटर होता है उसके दोनों तरफ 2 बेअरिंग होती है अब जब मोटर में सप्लाई दिया जाता है तो स्टेटर में मैग्नेटिक फील्ड बनती है जो की रोटर को घुमाती है।
5- इंडक्शन मोटर और स्लिप रिंग मोटर में क्या अंतर है?
इंडक्शन मोटर का उपयोग हम सामान्य रूप से पानी की मोटर में, ड्रिल मशीन में, छत्त के पंखे में आदि में करते है परन्तु स्लिपरिंग मोटर को हम क्रेन, केज होस्ट में, या जहाँ पर सुरुवात में हाई तर्क की जरुरत होती है वहां पर स्लिपरिंग मोटर को लगाते है।