जब भी आप रेजिस्टेंस को देखते होंगे तो यह सवाल जरूर आता होगा की रेजिस्टेंस को कैसे मापा जाता है? क्योकि रेजिस्टेंस के ऊपर कई रंगो की पट्टी होती है और जब तक आप रेजिस्टेंस को मापेंगे नहीं तब तक उसकी वैल्यू आप पता नहीं कर सकते और उसका सही तरीके से आप उपयोग नहीं कर सकते।
परिभाषा :- रेजिस्टेंस किसी पदार्थ का वह गुण होता है जो कि विद्युत धारा के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करता है उसे रेजिस्टेंस कहते है।
रेजिस्टेंस को मापने इकाई ओम है।
“वह प्रतिरोध जिसमें से एक एम्पीयर का स्थिर मान का करंट बहने पर एक जूल प्रति सेकेंड की दर से ताप उत्पन्न होता है, तो इसको 1 ओह्म का रजिस्टेंस कहते है।”
इसको R से प्रदर्शित करते है रेजिस्टेंस को मापने की इकाई Ohm Ω होती है।
इसमें दो word होते हैं रेजिस्टेंस और रेसिस्टर इसमें बस इतना अन्तर है कि रेजिस्टेंस एक राशि है।
और resistor resistance पैदा करने वाली device होती है परन्तु इन दोनो का मतलब रेजिस्टेंस ही होता हैं।
प्रतिरोध निकलने का फार्मूला-
R= V/I
R= रेजिस्टेंस
V= वोल्टेज
I= करंट
रेजिस्टेंस को कैसे मापा जाता है?
रेजिस्टेंस को कैसे मापा जाता है? इसके लिए हमारे पास 3 तरीके हैं।
इसमें से पहला है ओम का नियम और दूसरा है रेजिस्टेंस का कलर बैंड इससे रेजिस्टेंस के मान को कैलकुलेट किया जाता है।
और तीसरा होता है मल्टीमीटर को हम रेजिस्टेंस पर सेट करके रजिस्टेंस को माप सकते है।
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प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक
तापमान का रेजिस्टेंस को मापने में बहुत प्रभाव पड़ता है तापमान बढ़ने से बढ़ता है और तापमान घटने से कम होता है।
यानी इस पर तापमान का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। रेजिस्टेंस का मान तार की लंबाई, मोटाई और चौड़ाई पर भी निर्भर करता है।
तार की मोटाई बढ़ने पर रेजिस्टेंस का मान कम होता है और लंबाई बढ़ने पर रेजिस्टेंस का मान बढ़ता है।
किसी भी material का रेजिस्टेंस उसकी लम्बाई के अनुरूप होता है
किसी चालक का विशिष्ट प्रतिरोध उसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है। हर धातु का रेजिस्टेंस अलग-2 होता है।
जैसे चांदी तांबा एलुमिनियम लोहा प्लास्टिक रबड़ इनका रेजिस्टेंस अलग-2 होता है। कुछ जैसे-जैसे आर्गन हिलियम इनका तापमान बढ़ने पर रेजिस्टेंस कम होता है।
रजिस्टेंस कितने प्रकार के होते हैं
रेसिस्टर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
1-Fixed resistor
2-Variable resistor
1- Fixed resistor – इसका रेजिस्टेंस का मान निश्चित होता हैं।
2- Variable resistor – इसके रेजिस्टेंस का मान कम ज्यादा किया जा सकता हैं।
1- Fixed Resistor – इस रेजिस्टेंस का मान निश्चित होता हैं जिस सर्किट में निश्चित मान वाले रेजिस्टेंस की जरूरत पड़ती हैं वहां फिक्स रजिस्टर का उपयोग करते हैं।
इसके प्रतिरोध का मान निश्चित इसलिए होता हैं क्योंकि फिक्स रजिस्टर बनाते समय इसका मान निर्धारित कर दिया जाता हैं इसमें 2 पिन होती हैं।
2- Variable Resistor – वेरिएबल रजिस्टर वो रजिस्टर होते हैं जिनका मान बढ़ाया घटाया जा सकता हैं इसमें रजिस्टर के रेजिस्टेंस को जरुरत के अनुसार कम व ज्यादा किया जा सकता हैं।
इनकी नोब को घुमा करके इसके मान को सेट किया जाता है उसी से इसका मान fixed करते हैं इसका उपयोग टेलीविजन में किया जाता हैं यह 2 पिन (टर्मिनल) और 3 पिन के होते हैं।
प्रतिरोध का समायोजन
प्रतिरोध का समायोजन 2 प्रकार से किया जाता है। जिसमे से पहला सीरीज और दूसरा पैरेलल होता है।
श्रेणी क्रम संयोजन-
प्रतिरोध को इस तरह से संयोजित किया जाए कि उनमें धारा का मार्ग केवल एक ही रहे।
ऐसा संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहा जाता है। चित्र में प्रतिरोध R1, R2, R3 को श्रेणीबद्ध दिखाया गया है और इसमें वोल्टेज (V) पर धारा (I) प्रवाहित हो रही है।
R = R1 + R2 + R3
सभी प्रतिरोध को मिलने वाली वोल्टेज = V1, V2,V3
सभी को मिलने वाली वोल्टेज एक सामान होगी।
V=V1+V2+V3
V = IR
समान्तर क्रम संयोजन-
जब दो या दो से अधिक Resistance को इस प्रकार से जोड़ा जाए कि उनका एक सिरा एक साथ तथा दूसरा सिरा समान्तर में एक साथ जुड़ा हो तो इस प्रकार का संयोजन को समान्तर क्रम संयोजन कहा जाता है।
तीन रेजिस्टेंस R1, R2 तथा R3 समान्तर क्रम में में जोड़े गए है इनको मिलने वाली वोल्टेज V हैं।
I = धारा
I1, I2, I3 रेजिस्टेंस R1, R2, R3 में क्रमशः करंट का मान है।
ओह्म के नियमानुसार,
I=V/R
प्रतिरोध पर तापमान का प्रभाव
शुद्ध धातु जैसे तांबा, चांदी, सोना आदि का रेजिस्टेंस तापमान बढ़ाने पर बढ़ता है, इसीलिए इनका रेजिस्टेंस तापक्रम गुणांक धनात्मक (+) होता है।
मिश्र धातुओं का तापक्रम बढ़ाने पर Resistance बहुत कम बढ़ता है। जैसे- मैग्नीन, जर्मन सिल्वर आदि।
अर्द्धचालकों का रेजिस्टेंस तापमान के बढ़ने के साथ घटता है, और तापमान कम होने के साथ बढ़ता है। ऐसे पदार्थों का प्रतिरोध तापक्रम गुणांक ऋणात्मक (-) होता है।
प्रति ओम प्रति °C प्रतिरोध में परिवर्तन को प्रतिरोध तापक्रम गुणांक कहते हैं। यह परिवर्तन के अनुसार धनात्मक (+) तथा ऋणात्मक (-) प्रकार का होता है।
कलर कोड देखकर रेजिस्टेंस को कैसे मापा जाता है?
किसी Resistance का मान दर्शाने के लिए उसके ऊपर रंगों की तीन पट्टी या धारियां बना दी जाती है।
इन रंगों के अलावा एक और पट्टी भी बनाई जाती है जिसे टॉलरेंस रिंग कहते हैं यह रिंग सुनहरी या सिल्वर रंग की होती है सुनहरी रिग का अर्थ है।
समय के साथ या गर्मी से रजिस्टेंस का मान 5% कम या बढ़ सकता है।
सिल्वर रंग की पट्टी वाली रजिस्टैंसो का 10% जिन पर ऐसी कोई पट्टी ना होकर सिर्फ खाली स्थान हो उनका मान 20% कम या बढ़ सकता है।
इस प्रकार 5% वाले सबसे बढ़िया व 20% वाले सबसे घटिया रेजिस्टेंस होते हैं।
नीचे दिए गए स्लोगन से आप रजिस्टेंस के कलर कोड से रजिस्टेंस की वैल्यू निकल सकते है।
कैपिटल लेटर | कलर | कोड नंबर | मल्टीपल | टॉलरेंस रिंग कलर | टॉलरेंस |
B | Black | 0 | 100 | Gold | +/- 5% |
B | Brown | 1 | 101 | Silver | +/- 10% |
R | Red | 2 | 102 | No Color | +/- 20% |
O | Orange | 3 | 103 | ||
Y | Yellow | 4 | 104 | ||
G | Green | 5 | 105 | ||
B | Blue | 6 | 106 | ||
V | Violet | 7 | 107 | ||
G | Grey | 8 | 108 | ||
W | White | 9 | 109 | ||
– | Gold | – | 0.1 | ||
– | Silver | – | 0.01 |
प्रतिरोध का मान कैसे मालूम किया जाता है।
दिए गए Resistance को इस प्रकार पकड़ो की उसकी टॉलरेंस पट्टी राइट हैंड पर हो और लेफ्ट हैंड पर क्रमानुसार पहले, दूसरे, व तीसरे, रंगो को नोट कर ले।
इन रंगो के मान को नीचे लिखे सूत्र में प्रयोग करो तो आपको Resistance का मान पता चल जायेगा।
[(पहला रंग×10)+ दूसरा रंग]×(10) तीसरा रंग
उदाहरण- मान लो एक Resistance का पहला रंग पीला है, दूसरा जामुनी, और तीसरा रंग संतरी है तो रजिस्टेंस का मान क्या होगा।
पहला रंग= पीला- मान = 4
दूसरा रंग= जामुनी- मान = 7
तीसरा रंग= संतरी- मान = 3
रजिस्टेंस का मान= [(4×10)+7]×103
= [40+7]×103
= 47×103
= 47000 या 47 KΩ
→ एक अन्य तरीके से Resistance का मान निकालने के लिए पहले पीला का मान = 4 लिखो, फिर जामुनी का मान = 7 लिखो, और फिर तीसरा रंग संतरी (जिसका मान 3 है) तो उसके आगे 3 शून्य l
रजिस्टेंस की पावर रेटिंग
कोई भी रजिस्टेंस बिना खराब हुए, कितना करंट अपने में से गुजार सकता है।
यह उसकी पावर से पता चलता है दूसरे शब्दों में कहें तो रजिस्टेंस की पावर रेटिंग उस अधिक से अधिक करंट के बारे में बताता है, जिसके गुजरने से रजिस्टेंस सुरक्षित रहता है।
एक रजिस्टेंस की पावर उसमें से निकल रहे करंट के वर्ग व उसके रजिस्टेंस के गुणनफल के बराबर होता है।
रजिस्टेंस को पावर= (करंट)2×(रजिस्टेंस)
P= I2R
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट को पढ़कर आप रेजिस्टेंस को कैसे मापा जाता है? और कलर कोड से रजिस्टेंस का मान कैसे निकालते है समझ गए होंगे।
फिर भी कोई confusion है तो आप कमेंट में बताये मैं आपकी confusion को जरूर दूर करूँगा।
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रेजिस्टेंस को कैसे मापा जाता है? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-
1- रजिस्टेंस का क्या काम होता है?
यह किसी इलेक्ट्रिक सर्किट में करंट को फ्लो होने से रोकता है।
“जब किसी चालक में से करंट का बहाव होता है किसी उपकरण को चलने के लिए तो उस करंट को बहने में जो रूकावट पैदा होती” यही रजिस्टेंस का काम होता है।
2- रेजिस्टेंस क्या है हिंदी में समझाइए?
“किसी पदार्थ का वह विशेष गुण जिस कारण से यदि करंट उस पदार्थ के अंदर से गुजरती है। तो वह अपने अंदर से करंट के बहने का प्रबल विरोध करता है।” करंट को बहने से जो रोकता है वही रेजिस्टेंस होता है।
3- रजिस्टेंस का मात्रक क्या है?
रजिस्टेंस का मात्रक ओम (Ω) होता है। और यह ओम (Ω) का मान जितना ही ज्यादा होगा उतना ही करंट को चालक के अंदर से बहने में रूकावट होगी।
4- रजिस्टेंस की पहचान कैसे करें?
रजिस्टेंस पर बने कलर कोड को देख कर हम रजिस्टेंस को पहचानते है।
अलग-2 रंग का अलग-2 मान होता है और इन्ही कलर को एक विशेष तरीके में मिलकर रजिस्टेंस के मान को पता कर सकते है। सभी रजिस्टेंस पर 3 रंग की पट्टी बनाई जाती है।
5- रजिस्टर और रजिस्टेंस में क्या अंतर है?
रजिस्टर कई टाइप के होते है इनका जो काम करने का तरीका होता है उसी के आधार पर इनको अलग-2 श्रेणियों में रखा जाता है।
प्रमुख रूप से यह 2 प्रकार के होते है जिसमे से पहला फिक्स्ड रजिस्टर और दूसरा वेरिएबल रजिस्टर होता है।।
सभी रजिस्टर का अपना-2 Resistance होता है जो सर्किट में सर्किट एलिमेंट के रूप में काम करता है।
Good job sir God bless you
yah post aapko kaisa laga is post ne aapki koi madad ki
aur isme koi aur sudhar ki jarurat hai use bhi bataye