रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं?

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं?
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दोस्तों रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर एक विशेष प्रकार का स्टार्टर होता है इस रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं? क्योकि इसे एक विशेष प्रकार के ऑपरेशन में उपयोग किया जाता है

मान लीजिए हमें किसी चीज को कुछ देर के लिए सीधा चलाना है यानी घड़ी की दिशा में और कुछ देर बाद उसी को हमें उल्टी दिशा में चलाना है

यानी घड़ी के उल्टे दिशा में अब हमें इस काम के लिए दो मोटरों की आवश्यकता होगी और उनके लिए दो अलग-अलग स्टार्टर की जरूरता होगी तभी हमारी यह जरूरत पूरी हो पाएगी।

परंतु इस काम में जब दो मोटरों का उपयोग होगा और दो स्टार्टर का उपयोग होगा तो उसमें खर्चा ज्यादा आएगा अब हमें खर्चे को कम करना है

तो उसके लिए हमें एक ही मोटर को उल्टा और सीधा यानी क्लाकवाइज ओर एंटीक्लाकवाइज दोनों दिशा में चलाना है

तो हमें इसी रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर की जरूरत पड़ेगी यह  स्टार्टर किसी एक मोटर को उल्टी और सीधी दोनों दिशा में चला सकता है।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर का कार्य सिद्धांत

जब मोटर को आगे चलाने वाला पुशबटन दबाया जाता है तो मोटर सीधी दिशा में चलती है और तबतक रिवर्स कांटेक्टर चालू नहीं होता है।

और जब मोटर को बंद करके मोटर को उल्टी दिशा चलाने वाला पुशबटन दबाया जाता है और मोटर उल्टी दिशा में चलती है तब तक फॉरवर्ड कांटेक्टर चालू नहीं होता।

कुल मिलाकर जब तक रिवर्स कांटेक्टर चालू रहेगा तब तक फॉरवर्ड कांटेक्टर चालू नहीं होगा। और जब तक फॉरवर्ड कांटेक्टर चालू रहेगा तबतक रिवर्स कांटेक्टर चालू नहीं होगा।

मतलब दोनों कांटेक्टर एक दूसरे से इंटरलॉक होते है।

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1- सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?

2- 3 फेज को मोटर से कैसे कनेक्ट करें?

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर के भाग

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं? क्योकि कई भागों से मिलकर के बनता है जैसे इसमें सबसे पहले 1 पावर की एमसीबी होती है और दूसरी कंट्रोल की एमसीबी होती है।

उसके बाद दो पावर कांटेक्टर होता है और उसके बाद एक बाईमेटलिक ओवरलोड रिले होता है दो ऑन पुश बटन होता है और एक ऑफ पुश बटन होता है इसके साथ-साथ 4 इंडिकेटर होते हैं।

जिसमें से एक फॉरवर्ड दूसरा रिवर्स और बाकी के बचे 2 इंडिकेटर में एक ऑफ और दूसरा ट्रिप का सिग्नल देता है और कुछ वायर का उपयोग किया जाता है

इसकी वायरिंग करने के लिए। अब आइए इनके पार्ट को एक-2 करके समझ लेते हैं।

1- MCB- रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं? इसमें दो प्रकार की एमसीबी का उपयोग किया जाता है जिसमें से पहली एमसीबी कंट्रोल की एमसीबी होती है इसकी करंट रेटिंग 2 एंपियर की होती है।

इसके स्थान पर हम फ्यूज का भी उपयोग कर लेते हैं और दूसरी एमसीबी पावर एमसीबी होती है जोकि मोटर को थ्री फेज की पावर सप्लाई देने के लिए उपयोग किया जाता है।

यह एमसीबी मोटर के सीरीज में होती है ध्यान रहे यह एमसीबी मोटर के फुल लोड करंट के 2 गुना से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

2- पावर कांटेक्टर- इसका जैसे नाम से पता चल रहा है यह पावर कांटेक्टर होता है इसका रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर बनाने में उपयोग हम मोटर को पावर सप्लाई देने के लिए करते हैं

क्योंकि मोटर को सीधे हम पावर सप्लाई नहीं दे सकते इसीलिए इसका उपयोग किया जाता है इसमें ऊपर और नीचे कनेक्शन करने के लिए तीन कांटेक्ट ऊपर और तीन कांटेक्ट नीचे होते हैं

जहां पर T1 T2 T3 लिखा होता है वहां पर ओवरलोड रिले को लगाते है

ऊपर जो हमारी मेन थ्री फेज सप्लाई कि केबल होती है उसका कनेक्शन करते हैं और नीचे जो मोटर को सप्लाई ले जाने वाली केबल होती है उसको लाकर ओवरलोड रिले के नीचे वाले भाग में कनेक्शन कर देते हैं

ऊपर और नीचे कहां पर कनेक्शन करना है अगर आपको इसमें कन्फ्यूजन होती है तो जहां पर 3 फेज की सप्लाई देनी है कांटेक्टर के ऊपर वाले भाग पर L1 L2 L3 लिखा होता है

जिसका मतलब होता है लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3 और कांटेक्टर के नीचे वाले भाग पर T1 T2 T3 लिखा होता है इसका मतलब होता है टर्मिनल 1, टर्मिनल 2, टर्मिनल 3 इस कांटेक्टर में 2 भाग होते हैं

पहला पावर का जो कि 3 फेज का होता है और दूसरा कंट्रोल का जोकि कंट्रोल वायरिंग में उपयोग होता है

इसकी पावर सप्लाई सिंगल फेज (110 वोल्ट, 230 वोल्ट) की होती है। कही-2 पर 415 वोल्ट की कण्ट्रोल सप्लाई भी होती है।

जब आप कांटेक्टर को खोल कर के देखेंगे तो उसके अंदर एक सिलिकॉन स्टील की बनी कोर होती है जिसका आकार E l के आकार का होता है आप देखेंगे कि यह कोर दो भागों में कांटेक्टर में होता है

नीचे वाले भाग में क्वायल को पहनाया जाता है जब तक क्वायल में सिंगल फेज की सप्लाई नहीं आएगी तब तक जो 3 फेज की सप्लाई L1 L2 L3 पर आ रही थी वह T1 T2 T3 पर नहीं आएगी अब जब क्वायल में सप्लाई दी जाती है

तो क्वायल के अंदर मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है इससे सिलिकॉन स्टील की नीचे वाली कोर एक अस्थाई चुम्बक बन जाती है जो ऊपर वाली कोर को अपनी ओर खींच लेती है

और ऊपर वाली कोर से लगा हुवा जो प्लंजर होता है उसी में सप्लाई बंद और चालू करने वाली किट जुडी होती है अब जब ऊपर वाला प्लंजर नीचे वाले प्लंजर से आकर चिपक जाता है

तो सप्लाई पास करने वाली किट भी चिपक जाती है और 3 फेज की सप्लाई L1 L2 L3 से T1 T2 T3 पर पहुंच जाती है और उसके नीचे ओवरलोड रिले लगी होती है

जिसके माध्यम से सप्लाई मोटर के टर्मिनल पर पहुंच जाएगी जिससे मोटर चालू हो जाएगी।

3- बाईमेटलिक ओवरलोड रिले- रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर बनाने में थर्मल रिले का उपयोग किया जाता है यह बाईमेटलिक सिद्धांत पर काम करती है थर्मल रिले में करंट को सेट करने का एक नांब होता है

इसमें बाईमेटलिक का मतलब होता है द्वि-धात्विक मतलब इसमें दो धातु का उपयोग किया जाता है पहली धातु की पट्टी से करंट का प्रवाह किया जाता है

अगर करंट उसकी सेट पॉइंट से ज्यादा प्रवाहित होती है तो उसके साथ में लगी हुई दूसरी धातु की जो पट्टी होती है उसका मेल्टिंग प्वाइंट पहली पट्टी से कम होता है

जिससे करंट जब ज्यादा फ्लो होती है तो कम मेल्टिंग प्वाइंट वाली जो मेटल की पट्टी होती है वह मुड़ जाती है और ओवरलोड रिले ट्रिप हो जाती है जिससे ओवरलोड रिले कांटेक्टर की कंट्रोल सप्लाई को काट देता है

जिससे क्वायल की सप्लाई बंद हो जाती है और क्वायल के अंदर का मैगनेट ख़तम हो जाता है और सिलिकॉन स्टील की कोर का जो चुम्बक होता है वह भी ख़त्म हो जाता है और इससे ऊपर का प्लंजर छूट जाता है

सप्लाई पास करने वाली किट छूट जाती है और मोटर को सप्लाई जाना बंद हो जाती है।

4- पुश बटन- जैसा की नाम से ही पता चल रहा है की पुश बटन इसका मतलब होता है की ऐसा बटन जिसको पुश किया जाता है इसका उपयोग रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर बनाने में किया जाता है।

यह पुश बटन 2 रंग में होता है पहला पुश बटन हरा रंग का होता है और दूसरा पुश बटन लाल रंग का होता है और इसमें 2 प्रकार के एलिमेंट लगे होते है हरा रंग का जो पुश बटन होता है

उसमे NO (नार्मल ओपन) का एलिमेंट लगा होता है और लाल रंग के पुश बटन में NC (नार्मल क्लोज) का एलिमेंट लगा होता है। हरा पुश बटन स्टार्टर को ऑन करता है और लाल पुश बटन स्टार्टर को बंद करता है। 

इसे भी पढ़े-

1- DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?

5- इंडिकेटर- स्टार्टर किस स्थिति में है मतलब वह रिवर्स में चल रहा है या फॉरवर्ड में चल रहा है या ऑफ है या ट्रिप है इसकी जानकारी के लिए इंडिकेटर लगाया जाता है कुलमिलाकर रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर किस स्थिति में इससे पता चलता है इसमें हरा रंग का इंडिकेटर तब जलता है

जब स्टार्टर ऑन होता है मतलब मोटर चल रही होती है और लाल रंग का इंडिक्टर तब जलता है जब स्टार्टर ऑफ होता है मतलब मोटर बंद होती है और अंतिम इंडिकेटर पीला रंग का होता है

यह तब जलता होता है जब मोटर ओवर लोड होकर ट्रिप होती है जिस कारण से मोटर में ज्यादा करंट जाने पर ओवर लोड रिले ट्रिप हो जाती है और पीला रंग का इंडिकेटर ऑन हो जाता है

अब अगर आप स्टार्टर को ऑन करेंगे तो स्टार्टर ऑन नहीं होगा स्टार्टर को ऑन करने के लिए पहले ओवरलोड रिले को रिसेट करना होगा

तब पीला रंग का इंडिकेटर बंद होगा और तभी स्टार्टर ऑन होने के लिए हेल्दी होगा।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर की कंट्रोल ड्राइंग

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं?

ऊपर रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर की कंट्रोल ड्राइंग है इसमें कांटेक्टर को रिमोट से कंट्रोल करते है रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर में जो-2 उपकरण  का उपयोग होता है

उसमे MCB, ओवरलोड रिले, ऑफ पुश बटन, ऑन पुश बटन 2, कांटेक्टर 2 और दोनों कांटेक्टर का एक NO कांटेक्ट इसके साथ-साथ दोनों कांटेक्टर के एक NC होता है।

इसमें सिंगल फेज सप्लाई 1 नंबर से निकलकर 2 नंबर MCB के आउटपुट  से निकलकर 3 नंबर ओवरलोड रिले के NC पॉइंट पर जायेगा

और 4 नंबर NC पॉइंट से निकलकर 5 नंबर OFF पुश बटन में जायेगा और ऑफ पुश बटन से निकलकर 6 नंबर दोनों ON पुश बटन के इनपुट में जायेगा

अब इसके बाद पहले फॉरवर्ड कांटेक्टर की वायरिंग करेंगे।

अब ON पुश बटन से निकलकर रिवर्स कांटेक्टर के NC 7 में जायेगा फिर रिवर्स कांटेक्टर के NC से निकलकर फॉरवर्ड कांटेक्टर की क्वाइल के A2 8 टर्मिनल पर कनेक्ट कर देंगे

अब इसके बाद होल्डिंग सप्लाई कांटेक्टर को देना होगा जिसके लिए 6 नंबर की ही सप्लाई लेकर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NO 6 पर देंगे

फिर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NO 9 नंबर से निकालकर रिवर्स कांटेक्टर के NC टर्मिनल पर जोड़ देंगे इस प्रकार से होल्डिंग सप्लाई का कनेक्शन होगा।

और अंतिम में फॉरवर्ड कांटेक्टर के A1 पर न्यूट्रल सप्लाई का कनेक्शन कर देंगे।  

इसके बाद रिवर्स कांटेक्टर की वायरिंग करेंगे।

अब ON पुश बटन से सप्लाई निकालकर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NC 10 में जायेगा फिर फॉरवर्ड कांटेक्टर NC से निकालकर रिवर्स कांटेक्टर की क्वाइल के A2 11 टर्मिनल पर कनेक्ट कर देंगे

अब इसके बाद होल्डिंग सप्लाई कांटेक्टर को देना होगा जिसके लिए 6 नंबर की ही सप्लाई लेकर रिवर्स कांटेक्टर के NO 6 पर देंगे

फिर रिवर्स कांटेक्टर के NO 12 नंबर से निकालकर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NC टर्मिनल पर जोड़ देंगे इस प्रकार से होल्डिंग सप्लाई का कनेक्शन होगा।

और अंतिम में रिवर्स कांटेक्टर के A1 पर न्यूट्रल सप्लाई का कनेक्शन कर देंगे।

अब जब फॉरवर्ड के ON पुश बटन को हम दबाएंगे तो सिंगल फेज सप्लाई MCB से निकलकर ओवरलोड रिले में जाएगी फिर ओवरलोड रिले से निकलकर OFF पुश बटन में जाएगी

और फिर OFF पुश बटन से निकलकर ON पुश बटन में जाएगी और ON पुश बटन से निकलकर रिवर्स कांटेक्टर के NC में जाएगी

और फिर रिवर्स कांटेक्टर के NC से निकलकर फॉरवर्ड कांटेक्टर के A2 पर पहुंचेगी और A1 पर न्यूट्रल सप्लाई पहले से ही आ रही थी तुरंत फॉरवर्ड कांटेक्टर ON हो जायेगा।

इसके बाद फॉरवर्ड कांटेक्टर ON तो हो जायेगा पर जैसे ही हम अपनी ऊँगली हटाएंगे तो कांटेक्टर ऑफ हो जायेगा तो कांटेक्टर को होल्ड कराने के लिए होल्डिंग सप्लाई देनी होगी

जिसके लिए ON पुशबटन के इनपुट से सप्लाई उठा कर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NO को दे फिर NO के आउटपुट से सप्लाई उठा कर रिवर्स कांटेक्टर के NC के इनपुट टर्मिनल पर जब जोड़ देंगे तो तुरंत कांटेक्टर होल्ड हो जायेगा।  

इसके बाद जब हमें मोटर को रिवर्स यानी उलटी दिशा में चलाना हो तो सबसे पहले ऑफ पुशबटन को प्रेस करे जिससे मोटर बंद हो जाएगी।

इसके बाद रिवर्स के ON पुश बटन को हम दबाएंगे तो सिंगल फेज सप्लाई MCB से निकलकर ओवरलोड रिले में जाएगी फिर ओवरलोड रिले से निकलकर OFF पुश बटन में जाएगी

और फिर OFF पुश बटन से निकलकर ON पुश बटन में जाएगी और ON पुश बटन से निकलकर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NC में जाएगी

और फिर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NC से निकलकर रिवर्स कांटेक्टर के क्वाइल A2 पर पहुंचेगी और A1 पर न्यूट्रल सप्लाई पहले से ही आ रही थी तुरंत रिवर्स कांटेक्टर ON हो जायेगा।

इसके बाद रिवर्स कांटेक्टर ON तो हो जायेगा पर जैसे ही हम अपनी ऊँगली हटाएंगे तो कांटेक्टर ऑफ हो जायेगा

तो कांटेक्टर को होल्ड कराने के लिए होल्डिंग सप्लाई देनी होगी जिसके लिए ON पुशबटन के इनपुट से सप्लाई उठा कर रिवर्स कांटेक्टर के NO को दे

फिर NO के आउटपुट से सप्लाई उठा कर फॉरवर्ड कांटेक्टर के NC के इनपुट टर्मिनल पर जब जोड़ देंगे तो तुरंत कांटेक्टर होल्ड हो जायेगा।  

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर की पावर ड्राइंग

Reverse forward starte power wiring

इसमें 3 फेज सप्लाई सबसे पहले MCB के इनपुट में जायेगा और फिर MCB के आउटपुट से सप्लाई निकालकर दोनों कांटेक्टर के इनपुट L1 L2 L(लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3) में आएगा

और फॉरवर्ड कांटेक्टर के आउटपुट T1 T2 T(टर्मिनल 1, टर्मिनल 2, टर्मिनल 3) से निकलकर ओवरलोड रिले के इनपुट में जाएगा और ओवरलोड रिले के आउटपुट से निकलकर सीधा मोटर के टर्मिनल में पहुंच जायेगा।

अब रिवर्स कांटेक्टर के आउटपुट T1 T2 T(टर्मिनल 1, टर्मिनल 2, टर्मिनल 3) से सप्लाई निकालकर फेज को आपस में बदल दे जिससे फेज सिक्वेन्स बदल जायेगा।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर का मोटर कनेक्शन

दोस्तों रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर में मोटर का कनेक्शन दो प्रकार से किया जाता है। जिसमे से पहला स्टार कनेक्शन और दूसरा डेल्टा कनेक्शन तो आइए इन कनेक्शन को एक-2 करके समझते हैं।

1- स्टार कनेक्शन- दोस्तों रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर में सबसे मुख्य कनेक्शन स्टार कनेक्शन होता है सबसे ज्यादा इसी में मोटर का कनेक्शन किया जाता है

इस कनेक्शन में सबसे मुख्य रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है की स्टार्टर से निकलकर जो तीन फेज आते है तो उसको हम मोटर के साथ कैसे कनेक्ट करें

क्योंकि मोटर के टर्मिनल पर एक प्लेट लगी होती है उसमें मोटर के अंदर से निकलकर 6 वायर की लीड निकलती हैं

जब आप प्लेट को देखेंगे तो उसमें U1 V1 W1 और उसके नीचे U2 V2 W2 लिखा होता है और इन्हीं में आपको थ्री फेज देना होता है

परंतु इसमें यह कन्फ्यूजन होती है कि 6 टर्मिनल होते हैं और सप्लाई 3 फेज की यानी की 3 तार होते हैं तो कनेक्शन कैसे करें इसके लिए हम मोटर का कनेक्शन स्टार में करते हैं

इसमें U1 U2 एक क्वायल, V1 V2 एक क्वायल और W1 W2 एक क्वायल है

अब सबसे पहले हम स्टार में कनेक्शन करने के लिए या तो U1 V1 Wको एक स्ट्रिप से शार्ट कर दे मतलब तीनो क्वायल का एक सिरा शार्ट कर दे और बाकी बचे U2 V2 W2 में 3 फेज RYB कनेक्ट कर दे

या U2 V2 Wको शार्ट कर दे और U1 V1 W1 में 3 फेज RYB कनेक्ट कर दे तो मोटर स्टार में चलने लगेगी। इसमें मोटर का कनेक्शन करने पर मोटर में जाने वाली जो हाई करंट है वह कंट्रोल हो जाती है

इस कनेक्शन का उपयोग सामान्य रूप से 0 से 7.5 हॉर्स पावर की मोटर में ही किया जाता है।

रिवर्स डायरेक्शन कनेक्शन- रिवर्स में जब मोटर को चलाना होता है तो कांटेक्टर के इनपुट में R Y B थ्री फेज सीधे कांटेक्टर में दे दें।

इसे भी पढ़े-

1- अर्थिंग क्यों किया जाता है?

नोट- इस कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ इतना ही मुख्य रूप से ध्यान देना है की मोटर की एक क्वायल को केवल 230 वोल्ट ही देना है इससे ना कम और ना इससे ही ज्यादा।

2- डेल्टा कनेक्शन- इस कनेक्शन में 3 कोर की केबल 1 केबल का उपयोग किया जाता है जिसमें RYB तीनो फेज आते है।

डेल्टा कनेक्शन छोटी मोटरों के लिए नहीं होता है परन्तु ऐसा भी नहीं है की डेल्टा कनेक्शन छोटी मोटर में नहीं कर सकते है

यह कनेक्शन मोटर पर कितना प्रतिशत लोड है इस पर निर्भर करता है।

इस कनेक्शन का उपयोग बड़ी मोटरों में किया जाता है क्योंकि जैसा मैंने आपको ऊपर बताया की मोटर की टर्मिनल प्लेट पर U1 U2 V1 V2 W1 W2 लिखा होता है

तो मोटर को डेल्टा में कनेक्शन करना है तो सबसे पहले आप को अपने दिमाग में यह रखना है की इसमें मोटर की एक क्वायल को 415 वोल्ट देना है

तो अब जैसा की ऊपर बताया की U1 U2 एक क्वायल, V1 V2 एक क्वायल और W1 W2 एक क्वायल है

तो U1 को R फेज दे और इस क्वायल के दूसरे सिरे U2 में B फेज दे तो इस तरह से U1 Uएक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा।

अब V1 V2 में V1 को Y फेज दे और इस क्वायल के दूसरे सिरे V2 में R फेज दे तो इस तरह से V1 V2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा और अंतिम में W1 W2 में W1 को B फेज दे

और इस क्वायल के दूसरे सिरे W2 में Y फेज दे तो इस तरह से W1 W2 एक क्वायल को 415 वोल्ट मिल जायेगा।

नोट- इस कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ इतना ही मुख्य रूप से ध्यान देना है की मोटर की एक क्वायल को केवल 415 वोल्ट ही देना है इससे ना कम और ना इससे ज्यादा।

फॉरवर्ड डायरेक्शन कनेक्शन- फॉरवर्ड में जब मोटर को चलाना होता है तो रिवर्स कांटेक्टर जिस सीक्वेंस में मोटर को सप्लाई दे रहा है मान लेते है की R Y B का सीक्वेंस है

तो फॉरवर्ड में मोटर को चलाने के लिए फॉरवर्ड के कांटेक्टर का इनपुट फेज बदल देंगे जैसे R Y B के स्थान पर Y B R थ्री फेज सीधे कांटेक्टर में दे दें इसका मतलब यह हुवा की फेज का सीक्वेंस बदल देना है।

तो इस तरह से रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर को सप्लाई दे जाती है।

कब मोटर का कनेक्शन स्टार में करे और कब डेल्टा में

अगर मोटर का कनेक्शन डेल्टा में कर दिया तो चूकी मैंने आपको ऊपर बताया की मोटर की एक क्वायल को 415 वोल्ट यानी 2 फेज देते है

तो मोटर के स्टेटर में ज्यादा मैग्नेटिक फील्ड बनेगी और उस समय मोटर पर लोड कम डाला गया है तो मोटर की एफिशिएंसी कम हो जाएगी

इसको एक उदाहरण से समझते है की अगर कोई 10 हॉर्स पावर की मोटर है और उसका कनेक्शन अगर डेल्टा में है तो उस मोटर पर कम से कम 60 से 70% लोड तो होना ही चाहिए

अगर लोड 20 से 30% ही है तो मोटर की एफिशिएंसी बहुत ही कम हो जाएगी और मोटर में लॉसेस बहुत ही बढ़ जायेंगे मतलब 10 हॉर्स पावर की मोटर का फुल लोड करेंट 15 एम्पेयर है

तो अगर क्लैंप मीटर से करंट नापने पर 10 से 12 एम्पेयर आ रहा है तब तो मोटर को डेल्टा में चलने दे परन्तु अगर 5 से 6 एम्पेयर आ रहा है तो तुरंत मोटर का कनेक्शन स्टार में कर दे।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं? सावधानी

स्टार्टर में जो पुश बटन लगे होते हैं उनका कनेक्शन अच्छी प्रकार से करना चाहिए। वायर को अच्छे से टाइट करें जिससे कनेक्शन ढीला ना रह जाए

क्योंकि कनेक्शन अगर ढीला रह गया तो स्टार्टर प्रॉपर तरीके से काम नहीं करेगा।

कनेक्शन करते समय जितनी जरूरत हो उतना ही वायर का उपयोग करें क्योंकि अधिक वायर जब आप ले लेते हैं तो बढे हुए वायर की ड्रेसिंग नहीं हो पाती।

मोटर का कनेक्शन करने के बाद मोटर को चला करके एक बार जरूर देख ले की वह रिवर्स और फॉरवर्ड दोनों डायरेक्शन में चल रही है या नहीं

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर से लाभ

1- यह स्टार्टर अन्य स्टार्टर की तुलना में बहुत सस्ता पड़ता है।

2- इसे चलाना बहुत ही आसान है और इसका मेंटेनेंस भी काफी सस्ता है।

3- इसका कंट्रोल सर्किट और पावर सर्किट बनाना बहुत ही आसान है।

4- चूंकि इसकी सर्किट बहुत ही आसान है इसलिए इसमें किसी फाल्ट को खोजना बहुत ही आसान होता है।

5- इस स्टार्ट से जैसे ही मोटर स्टार्ट होती है तो वह 100% टार्क से चलती है।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर से हानि

1- इस स्टार्टर से मोटर की स्टार्टिंग करंट को कम नहीं किया जा सकता।

2- जब मोटर स्टार्ट होती है तो वह अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना ज्यादा करंट लेती है।

3- स्टार्टर को जब स्टार्ट किया जाता है तो इसकी लाइन वोल्टेज बहुत कम हो जाती है।

4- स्टार्टर से जब मोटर को चलाते हैं तो उसका स्टार्टिंग टार्क बहुत ज्यादा होता है मतलब जहां पर कम टार्क की जरूरत हो वहां के लिए यह स्टार्टर उपयुक्त नहीं है।

निष्कर्ष

दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगो ने रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं? के बारे में जाना की रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर क्या होता है।

इसकी वायरिंग हम कैसे करते हैं, इसमें कितने प्रकार की वायरिंग होती है, जब रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर बन जाता है उसके बाद हम मोटर का कनेक्शन कैसे करते हैं।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर में कितने प्रकार से मोटर का कनेक्शन होता है, रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर का वर्किंग प्रिंसिपल क्या होता है, इसकी ड्राइंग कैसे बनती है, इसका फायदा क्या है और नुकसान क्या है।

रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर का कनेक्शन करते समय हमें क्या-2 सावधानी बरतनी चाहिए और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आप ने जाना।

फिर भी आपका कोई प्रश्न है उसे जरूर पूछे मैं उसका उत्तर जरूर देने का प्रयास करूँगा।

नोट- यह भी पढ़े।

1- ट्यूबलाइट में चोक क्यों लगाते है?


अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।

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रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-

1- रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर क्या है?

यह स्टार्टर एक विशेष प्रकार का स्टार्टर है इसमें एक ही मोटर से हम 2 प्रकार के काम लेते है मतलब जब हमें जरुरत है तो हम मोटर को सीधी दिशा में चलाएंगे और जब हमें जरुरत है तो हम मोटर को उलटी दिशा में चलाएंगे।

2- हम फॉरवर्ड रिवर्स स्टार्टर का उपयोग कहां करते हैं?

इस स्टार्टर का उपयोग हम सबसे ज्यादा कन्वेयर में करते है जिसे हमें सीधा और उल्टा दोनों दिशा में चलाना होता है या इसका उपयोग हम उन स्थानों पर करते है जहाँ पर मोटर को उल्टा और सीधा चलाना होता है।

3- रिवर्स स्टार्टर कैसे काम करता है?

इसमें जो कंटक्टर होता है उसका फेज सिक्वेन्स बदल दिया जाता है जिससे मोटर का फेज एंगल बदल जाता है और मोटर उल्टी दिशा में चलने लगती है।

4- स्टार्टर क्यों लगाया जाता है?

जब हम मोटर को चलाते है तो मोटर जब स्टार्ट होती है तो वह अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना करंट ज्यादा लेती है यह करंट मोटर को जला सकती है जिसे नियंत्रित करने के लिए हम स्टार्टर का उपयोग करते है।

5- मोटर स्टार्टर का उद्देश्य क्या है?

मोटर में स्टार्टर का उद्देश्य यह होता है की मोटर को जब हमें चलाना हो तो हमें मोटर के पास जाने की जरुरत न पड़े और इसके साथ-साथ मोटर में कोई खराबी न आये।