सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?

सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?
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दोस्तों किसी भी सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? इस पोस्ट में आप इसको आसानी से करना सीखा जायेंगे।

कोई भी मोटर बिना कनेक्शन के चलाई नहीं जा सकती मोटर का कनेक्शन करने के लिए उसे सप्लाई वायर से जोड़ना होता है।

सिंगल फेज मोटर क्या है

Single phase motor ही दुनिया की सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली मोटर है इसका कारण यह है कि यह मोटर अन्य मोटरों की तुलना में सबसे ज्यादा मजबूत मोटरों की श्रेणी में आती है

और उसके साथ-2 इस मोटर का मेंटेनेंस भी बहुत कम है Single phase motor को आप घरेलू मोटर भी कह सकते हैं क्योंकि यह मोटर घर के लगभग सभी उपकरणों में उपयोग की जाने वाली मोटर है

जैसे पंखा में, मिक्सी में, कूलर में पानी की मोटर में आदि। सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? इस मोटर को चलाने के लिए हमें सिर्फ 1 फेज और न्यूट्रल सप्लाई की जरूरत होती है यानी कि सिंगल फेज सप्लाई मोटर को चलाया जाता है।

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सिंगल फेज मोटर के भाग

Single phase motor कई भागों से मिलकर बना होता है जिसमे से कुछ मोटर का रोटर वाउन्ड होता है और कुछ मोटर का रोटर वाउन्ड नहीं होता है।

स्टेटर- स्टेटर Single phase motor का स्थिर भाग होता है इसी में वाइंडिंग की जाती है और इसी के अंदर लैमिनेटेड सिलिकान स्टील की कोर लगाई जाती है

इसी लैमिनेटेड सिलिकान स्टील की कोर में स्लॉट कटे होते है इन्ही स्लॉट में वाइंडिंग के वायर को कई फेरों में करके रखा जाता है

और फिर इन्ही फेरों से सप्लाई की केबल को कनेक्ट कर दिया जाता है जिससे मैग्नेटिक फील्ड बनती है और मोटर चलती है।

रोटर- रोटर शब्द “रोटेटिंग” से लिया गया है लोहे की शॉट पर सिलिकॉन स्टील की लेमिनेटेड कोर को फिट किया जाता है जिसे हम रोटर कहते है

और यदि हम रोटर के ऊपर वाले भाग को देखे तो रोटर के ऊपर वाले भाग पर तिरछे स्लॉट होते है और इसी स्लॉट में फिट की गई वाइंडिंग को रोटर वाइंडिंग कहा जाता है

बेअरिंग- किसी मशीन के अंदर उपयोग की जाने वाली यह युक्ति है, यह मशीन के घूमने वाले भाग को बेस देने व उसके भाग को सही अलाइनमेंट में रखने में मदद करती है, उसको बियरिंग (Bearing) कहते हैं।

हम लोग प्रतिदिन साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, मोटर, पंखा आदि को उपयोग करते है ये सामान हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है

जैसे कार, मोटरसाइकिल, से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते है और मोटर से बहुत सारे काम होते है पंखा हमें हवा देता है कहने का मतलब यह है

की इन सभी उपकरणों में बेअरिंग लगी होती है और इसी से यह सभी उपकरण चल पाते है। और हमारे जीवन के लिए उपयोगी बन पाते है।

कम्यूटेटर- कम्यूटेटर Ac/Dc दोनों मशीनों में प्रयोग किया जाता है यह विद्युत धारा की दिशा को बदलने का काम करता है

यह कार्बन ब्रश के साथ मिलकर घूमने वाले स्विच के तरह काम करता है

इसे इस प्रकार से भी कह सकते है की दिक्परिवर्तक, आर्मेचर पर उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा (AC) को कार्बन ब्रश की सहायता से डीसी धारा में बदल देता है

या इसे ऐसा भी कह सकते है कि यह जनरेटर में Ac सप्लाई को Dc सप्लाई में और मोटर में Dc सप्लाई को Ac सप्लाई में बदलता है।

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शाफ़्ट- यह आकृति में बेलनाकार होता है या मशीन को घूमकर पावर ट्रांसमिट करता है और यह मशीन पर मशीन के घूमने वाले भागों को शक्ति प्रदान करने का काम करता है

शॉट द्वारा पावर ट्रांसमिशन का काम पुली पर फिट किए जाने वाले उपकरण जैसे गियर, पुली आदि के द्वारा करता है।

वाइंडिंग- किसी भी मोटर को जब सप्लाई दी जाती है तो वह सप्लाई मोटर के अंदर वाइंडिंग में ही जाती है मतलब सप्लाई के तारों को वाइंडिंग से ही जोड़ा जाता है

वाइंडिंग कॉपर के इंसुलेटेड तारों को कई फेरों में लपेटकर बनाया जाता है जिसको हम क्वायल का भी नाम देते हैं

इसी में जो सप्लाई देते हैं तो मोटर के अंदर मैग्नेटिक फील्ड जनरेट होती है और मोटर घूमने लगती है।

कार्बन ब्रश- कार्बन ब्रश एक ऐसे ब्रश होते हैं जो ना तो केवल कार्बन से बने होते हैं और ना ही किसी धातु से बने होते हैं इसमें कार्बन को छोटा सा आकार दिया जाता है

इसमें सामान्य रूप से कार्बन और तांबा को एक विशेष अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है।

जिसकी वजह से इसको कार्बन ब्रश कहा जाता है मोटर में लगे हुए अधिकतर ब्रश कार्बन के बने होते हैं

इसी कारण इस ब्रश को कार्बन ब्रश कहते हैं मगर बड़ी मोटर में जो ब्रश लगाए जाते हैं वह कार्बन और ग्रेफाइट को मिलाकर बनाए जाते हैं।

टर्मिनल- जहां पर मोटर को सप्लाई देने के लिए बिजली के तार जोड़े जाते हैं उसको टर्मिनल कहते हैं या इसको हम मोटर टर्मिनल भी कहते हैं

इसी जगह पर वाइंडिंग के तार अंदर से आकर कनेक्ट होते हैं और मोटर को उपयुक्त वोल्टेज की सप्लाई दी जाती है।

Single Phase Induction Motor सेल्फ स्टार्ट क्यों नहीं होता है?

यह प्रश्न अक्सर अलग-2 जगहों पर पूछा जाता है की सिंगल फेज इंडक्शन मोटर सेल्फ स्टार्टिंग क्यों नहीं होती। तो मैं आपको बता दूँ की इस प्रश्न का उत्तर सिंगल फेज इंडक्शन मोटर के वर्किंग प्रिंसिपल में छुपा है

जब मोटर को इलेक्ट्रिक सप्लाई से जोड़ा जाता है तो मोटर के स्टेटर में मैग्नेटिक फ्लक्स पैदा होता है जो की अल्टेरनेटिंग प्रकार का होता है

और इसकी प्रवृति पल्सेटिंग होती है मतलब इसका मान प्रत्येक सेकण्ड बदलता रहता है 1 सेकण्ड में 50 बार धनात्मक और 50 बार ऋणात्मक होता है और इससे पैदा हुवे टार्क का कुल मान 0 हो जाता है

जिससे रोटर एक ही स्थान पर फिक्स हो जाता है और वह घूम नहीं पाता है परन्तु अगर रोटर को हम अगर किसी भी दिशा में एक बार घुमा दे तो रोटर उसी दिशा में घूमने लगेगा।

इसका मतलब यह हुवा की मोटर को एक बार सप्लाई देने पर वह सेल्फ स्टार्ट नहीं होगा बल्कि उसे स्टार्ट करना होगा किसी बहरी बल से घुमाना पड़ता है।

सिंगल फेज मोटर टर्मिनल को कैसे पहचाने

 

4 वायर का पंखा- जब पंखा के अंदर की वाइंडिंग से 4 वायर निकलते है।

दोस्तों Single phase motor सिंगल फेज से चलती है अब जहाँ तक रही मोटर टर्मिनल की बात तो इससे पहले आपको मोटर की वाइंडिंग के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

Single phase motor में 2 प्रकार की वाइंडिंग होती है जिसमे से पहली स्टार्टिंग वाइंडिंग और दूसरी रनिंग वाइंडिंग होती है

मुख्य वाइंडिंग या रनिंग वाइंडिंग वह वाइंडिंग होती है जो बाहर के साइड होती है इसमें बड़ी क्वायल और लपटों की संख्या अधिक रखी जाती है इसका प्रतिरोध अधिक होता है।

स्टार्टिंग वाइंडिंग वाइंडिंग वह वाइंडिंग होती है जो अंदर के साइड होती है इसमें छोटी क्वायल और लपटों की संख्या कम रखी जाती है इसका प्रतिरोध कम होता है।

कुलमिलाकर मोटर में 2 वाइंडिंग होती है जिसमे से पहली रनिंग और दूसरी स्टार्टिंग होती है।

अब जानते है की वाइंडिंग को कैसे पहचाने- 

इसके लिए आपके पास सीरीज लैंप या मल्टीमीटर होना चाहिए रनिंग वाइंडिंग को जब चेक करेंगे

तो रनिंग वाइंडिंग के 2 सिरे होंगे जब आप सीरीज लैंप से चेक करेंगे तो सीरीज लैंप के 2 तार होंगे तो उसे रनिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाए

तो सीरीज बल्ब में कम रोशनी होगी यानी बल्ब धीमा जलेगा।

अब अगर आप मल्टीमीटर से चेक करते है तो मल्टीमीटर को रेजिस्टेंस के मोड पर सेट करे और मल्टीमीटर के दोनों तारों को रनिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाएं

तो मल्टीमीटर पर की रीडिंग अधिक आएगी यानी वाइंडिंग का रेजिस्टेंस अधिक होगा।

अब जानते है की स्टार्टिंग वाइंडिंग के बारे में तो सीरीज लैंप के दोनों सिरों को स्टार्टिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाएं

तो सीरीज बल्ब रनिंग वाइंडिंग के तुलना में तेज जलेगा यानी रनिंग वाइंडिंग की तुलना में अधिक रोशनी देगा।

अब मल्टीमीटर से चेक करने पर मल्टीमीटर से दोनों तारों को स्टार्टिंग वाइंडिंग के दोनों सिरों पर लगाएं तो रनिंग वाइंडिंग की तुलना में मल्टीमीटर पर रीडिंग कम आएगी

यानी स्टार्टिंग वाइंडिंग का रेजिस्टेंस रनिंग वाइंडिंग की तुलना में कम होगा।

तो इस प्रकार से रनिंग और स्टार्टिंग वाइंडिंग के सिरों का पता चल गया।

3 वायर का पंखा- जब पंखा के अंदर की वाइंडिंग से 3 वायर निकलते है।

दोस्तों जब पंखा के अंदर की वाइंडिंग से 3 वायर निकले होते है तो उस पंखा की वाइंडिंग को ऐसे पहचानते है की जैसा ऊपर आपको बताया की रनिंग वाइंडिंग के 2 सिरे और स्टार्टिंग वाइंडिंग के 2 सिरे होते है

और जब इसको हम पता कर लेते है तब एक रनिंग वाइंडिंग का सिरा और एक स्टार्टिंग वाइंडिंग का सिरा दोनों को आपस में ट्विस्ट कर देते है और इसी को कॉमन वायर कहते है

अब बाकी बचे 2 वायर जिसमे से एक वायर रनिंग वाइंडिंग का और दूसरा स्टार्टिंग वाइंडिंग का तो कुलमिलाकर 3 वायर है।

इसमें पहला कॉमन का वायर दूसरा रनिंग वाइंडिंग का एक वायर और तीसरा स्टार्टिंग वाइंडिंग का वायर अब कुछ-2 पंखो में यही वायर बाहर होते है

अब इसमें रनिंग वाइंडिंग को पहचानने के लिए सीरीज लैंप का 1 वायर कॉमन पर लगाए और एक-2 करके दोनों वायर पर लगाए तो जिसमे बल्ब धीमा जलेगा वह रनिंग वाइंडिंग है

और फिर कॉमन का वायर हटाना नहीं है और दूसरे वायर में सीरीज का वायर लगाए तो बल्ब तेज जलेगा तो यह स्टार्टिंग वाइंडिंग का तार हुवा।

इसी तरह से मल्टीमीटर को रेजिस्टेंस पर सेट करे और उसके एक वायर को कॉमन पर लगाए और दूसरा एक-2 करके दोनों वायर पर लगाए

तो एक में रेजिस्टेंस ज्यादा आएगा दूसरे की तुलना में तो वह रनिंग वाइंडिंग हुवा और दूसरे में रेजिस्टेंस कम आएगा तो वह स्टार्टिंग वाइंडिंग का होगा।

सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?

4 वायर के पंखा में कपैसिटर का कनेक्शन-

सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? अब जब आपने रनिंग और स्टार्टिंग वाइंडिंग के सिरों का पता लगा लिए तो अब मोटर को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए कपैसिटर का कनेक्शन करना होगा।

सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?
सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?

इसके लिए रनिंग वाइंडिंग का एक सिरा और स्टार्टिंग वाइंडिंग का एक सिरा दोनों को आपस में जोड़ दे यह सिरा कॉमन सिरा होगा इसी में न्यूट्रल के तार को जोड़ा जायेगा।

अब बाकी बचे दो सिरे जिसमे से एक सिरा रनिंग वाइंडिंग का और एक सिरा स्टार्टिंग वाइंडिंग का होगा

अब इन्ही दोनों सिरों के बीच में कपैसिटर को कनेक्ट कर दे और जो सिरा रनिंग वाइंडिंग का हो उसी में फेज का वायर कनेक्ट कर दे पंखा सीधा चलेगा।

3 वायर के पंखा में कपैसिटर का कनेक्शन-

सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? 3 वायर के पंखा में जो कॉमन वायर है उसमे न्यूट्रल का कनेक्शन करे और बाकी बचे दोनों तारों में कपैसिटर का कनेक्शन कर दे और रनिंग वाइंडिंग में फेज कनेक्ट कर दे।

नोट- सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? इसमें याद रखने की बात यह है की कॉमन में न्यूट्रल का वायर कनेक्ट होगा और रनिंग वाइंडिंग के सिरे में फेज का वायर कनेक्ट होगा। इस तरह से पंखा एक बार में ही सीधा चलेगा।

निष्कर्ष

दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगो ने सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? के बारे में जाना।

इसमें हम सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है?, सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कितने प्रकार से होते है

Single phase motor का कनेक्शन करते समय हमें क्या-2 सावधानी बरतनी चाहिए और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आप ने जाना।

फिर भी आपका कोई प्रश्न है उसे जरूर पूछे मैं उसका उत्तर जरूर देने का प्रयास करूँगा।

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1- सही मान का MCB कैसे ढूंढे?


अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।

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सिंगल फेज की मोटर का कनेक्शन कैसे होता है? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-

1- किस मोटर की दक्षता सबसे अधिक होती है?

Dc मोटर की तुलना अगर Ac मोटर से की जाये तो Dc मोटर ज्यादा कुशल होती है Dc मोटर में इलेक्ट्रिसिटी के बेहतर उपयोग होता है।

2- सिंगल फेज इंडक्शन मोटर कैसे काम करती है?

इस मोटर में जब कपैसिटर लगा दिया जाता है तो यह मोटर सेल्फ स्टार्ट हो जाती है इसमें कपैसिटर 1 फेज को स्प्लिट कर देता है और 1 फेज को 2 फेज की तरह वेवहार करवाता है जिससे मोटर में रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है और मोटर घूमने लगती है।

3- कौन सा बेहतर सिंगल फेज या 3 फेज पावर है?

1 फेज की तुलना में 3 फेज अधिक कुशल होता है या इसको ऐसे भी कह सकते है की सिंगल फेज की तुलना में 3 फेज में 3 गुना पावर अधिक होती है।

4- सिंगल फेज मोटर सेल्फ स्टार्टिंग क्यों नहीं होती है।

सिंगल फेज मोटर में 1 फेज की सप्लाई दी जाती है जिससे मोटर में जो मैग्नेटिक फील्ड पैदा होती है वह रोटेटिंग नहीं होती है इसी लिए मोटर अपने आप स्टार्ट नहीं हो पाती परन्तु जब इसमें कपैसिटर लगा देते है तो यही मैग्नेटिक फील्ड रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड में बदल जाती है और मोटर सेल्फ स्टार्ट बन जाती है।

5- सेल्फ स्टार्टिंग कौन सी मोटर है?

केवल 3 फेज मोटर ही सेल्फ स्टार्ट होती है क्योकि इसमें 3 फेज होते है और ये तीनो फेज एक दूसरे से 120 डिग्री पर शिफ्ट होते है जिससे मोटर में सप्लाई देते है रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है और मोटर स्टार्ट हो जाती है।