स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है?

स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है?
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स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है? इसके लिए बहुत से लोग कंफ्यूज होते है की स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग  कैसे करे की हमारा स्टार्टर बनने के बाद सही तरीके से काम करे स्टार डेल्टा स्टार्टर विशेष प्रकार का स्टार्टर पैनल होता है इसका उपयोग 7.5 हॉर्स पावर से बड़ी मोटर को चलने में करते है।

इसे एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन में उपयोग किया जाता है इस स्टार्टर का उपयोग थ्री फेज की सप्लाई में किया जाता है

हम लोग इलेक्ट्रिकल की किताब में और टीचर से यही पढ़ते आ रहे है की 7.5 हॉर्स पावर से बड़ी मोटर का कनेक्शन स्टार में नहीं करना चाहिए ऐसी मोटर का कनेक्शन स्टार डेल्टा स्टार्टर में करना चाहिए।

स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग करने से मोटर की लाइफ अच्छी रहती है और मोटर अपनी पूरी पावर के साथ काम करता है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर से जिस इंडक्शन मोटर का कनेक्शन होता है उस मोटर की जो वाइंडिंग होती है उसको मोटर के स्टार्ट होने के समय स्टार में सप्लाई दी जाती है

और जब मोटर स्टार में स्टार्ट होती है और अपनी 75 प्रतिशत स्पीड तक पहुंच जाती है तब स्टार की सप्लाई को बदल करके डेल्टा कर दिया जाता है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर का कार्य सिद्धांत

इंडक्शन मोटर में उत्पन्न हुआ बल आघूर्ण (Torque) , उसको मिलने वाले वोल्टेज के वर्ग के समानुपाती होता है। इसका मतलब यह हुवा की उसको जो वोल्टेज दिया जाता है

उसके परिमाण को बढ़ाने पर ,बलाघूर्ण  वर्ग के अनुपात में बढ़ता है। यदि उत्पन्न हुआ टार्क T तथा उसको दिया जाने वाला वोल्टेज V हो तब-

T ∝ V2

अर्थात जब वोल्टेज को थोड़ा सा बढ़ाया जाता है तो टार्क बहुत ज्यादा बढ़ जाता है अब जब टार्क बढ़ जायेगा तब बाहर से अधिक मात्रा में विधुत धारा मोटर में प्रवाहित होगी।

मोटर को जब ON किया जाता है उस समय अचानक बहुत अधिक टार्क पैदा हो तो वह मोटर से जुड़े अन्य मशीनो को नुकसान पंहुचा सकता है।

इसके अलावा अगर मोटर का टार्क अचानक काफी ज्यादा हो जाये तो स्टेटर में अचानक बहुत अधिक मात्रा में विधुत धारा प्रवाहित होने लगेगा

इस कारण से स्टेटर में बहुत अधिक मात्रा में गरम होने लगेगा और स्टेटर जल जायेगा।

ऐसी समस्या न आये इसके लिए इंडक्शन मोटर को धीरे-2 स्टार्ट करना चाहिए और मोटर धीरे स्टार्ट हो इसके लिए जो उसे वोल्टेज दिया जाता है वह काम करना पड़ेगा।

जब थ्री फेज इंडक्शन मोटर को स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग करके स्टार्ट किया जाता ,तब मोटर के स्टार्टिंग के समय मोटर के स्टेटर को स्टार में कनेक्शन करके, स्टार्टर द्वारा थ्री फेज पॉवर सप्लाई दिया जाता है

क्योकि स्टार कनेक्शन में Coil का फेज वोल्टेज लाइन वोल्टेज से  (1/√3) गुना कम होता है।

अर्थात मोटर के स्टेटर में जो coil होती है उसको जब स्टार में जोड़कर On किया जाता तब Coil का फेज़ वोल्टेज आटोमेटिक (1/√3) गुना कम हो जाता है और इंडक्शन मोटर आसानी से धीरे-2 स्टार्ट हो जाती है।

एक बार जब मोटर स्टार्ट होकर अपने नामांकित (rated) गति का 75 प्रतिशत गति को प्राप्त कर लेती है

तब मोटर को दुबारा स्टार्टर द्वारा डेल्टा कनेक्शन में जोड़ दिया जाता है जिससे मोटर एक नियत गति पर चलने लगती है।

इसे भी पढ़े-

1-  रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर कैसे बनाएं?

2-  DOL स्टार्टर का उपयोग कब करना चाहिए?

स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है?

स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है? जब हम किसी छोटी मोटर को चलाते हैं जैसे कि 7.5 एचपी से नीचे की मोटर तो उसका कनेक्शन स्टार में करते हैं स्टार में करने से हमें यह फायदा मिलता है

कि मोटर को कम वोल्टेज मिलती है और मोटर जब स्टार्ट होती है तो वह अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना करंट लेती है तो यह स्टार्टर इस हाई करंट को कंट्रोल करता है।

परंतु जब मोटर 7.5 हॉर्स पावर से बड़ी होती है और जब उसे स्टार्ट करते करते हैं तो वह भी अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना करंट लेती है

परंतु जब मोटर बड़ी होती है तो उसे ज्यादा करंट की आवश्यकता होती है परंतु उसे हमें स्टार्टिंग के हाई करंट से भी बचाना होता है इसीलिए स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में मोटर को सबसे पहले स्टार में चलाते हैं

जिससे उसका स्टार्टिंग करंट कम हो जाता है और फिर बाद में जब वह 75% की स्पीड पर आ जाता है तो उसे डेल्टा पर शिफ्ट कर दिया जाता है और मोटर को पूरा वोल्टेज मिल पाता है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर के भाग

स्टार डेल्टा स्टार्टर कई भागों से मिलकर के बनता है जैसे इसमें सबसे पहले 1 पावर की एमसीबी होती है और दूसरी कंट्रोल की एमसीबी होती है।

उसके बाद 3 पावर कांटेक्टर होता है और उसके बाद एक बाईमेटलिक ओवरलोड रिले होता है 1 ऑन पुश बटन होता है और एक ऑफ पुश बटन होता है इसके साथ-साथ 3 इंडिकेटर होते हैं।

जिसमें से एक ऑन दूसरा ऑफ और तीसरा ट्रिप का सिग्नल देता है और कुछ वायर का उपयोग किया जाता है इसकी वायरिंग करने के लिए। अब आइए इनके पार्ट को एक-2 करके समझ लेते हैं।

1- MCB-  स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में दो प्रकार की एमसीबी का उपयोग किया जाता है जिसमें से पहली एमसीबी कंट्रोल की एमसीबी होती है इसकी करंट रेटिंग 2 एंपियर की होती है।

इसके स्थान पर हम फ्यूज का भी उपयोग कर लेते हैं और दूसरी एमसीबी पावर एमसीबी होती है जोकि मोटर को थ्री फेज की पावर सप्लाई देने के लिए उपयोग किया जाता है।

यह एमसीबी मोटर के सीरीज में होती है ध्यान रहे यह एमसीबी मोटर के फुल लोड करंट के 2 गुना से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

2- पावर कांटेक्टर- इसका जैसे नाम से पता चल रहा है यह पावर कांटेक्टर होता है इसका उपयोग हम स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत मोटर को पावर सप्लाई देने के लिए करते हैं

क्योंकि मोटर को सीधे हम पावर सप्लाई नहीं दे सकते इसीलिए इसका उपयोग किया जाता है इसमें ऊपर और नीचे कनेक्शन करने के लिए तीन कांटेक्ट ऊपर और तीन कांटेक्ट नीचे होते हैं

जहां पर T1 T2 T3 लिखा होता है वहां पर ओवरलोड रिले को लगाते है

ऊपर जो हमारी मेन थ्री फेज सप्लाई कि केबल होती है उसका कनेक्शन करते हैं और नीचे जो मोटर को सप्लाई ले जाने वाली केबल होती है उसको लाकर ओवरलोड रिले के नीचे वाले भाग में कनेक्शन कर देते हैं

ऊपर और नीचे कहां पर कनेक्शन करना है अगर आपको इसमें कन्फ्यूजन होती है तो जहां पर 3 फेज की सप्लाई देनी है कांटेक्टर के ऊपर वाले भाग पर L1 L2 L3 लिखा होता है

जिसका मतलब होता है लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3 और कांटेक्टर के नीचे वाले भाग पर T1 T2 T3 लिखा होता है इसका मतलब होता है टर्मिनल 1, टर्मिनल 2, टर्मिनल 3 इस कांटेक्टर में 2 भाग होते हैं

पहला पावर का जो कि 3 फेज का होता है और दूसरा कंट्रोल का जोकि कंट्रोल वायरिंग में उपयोग होता है

इसकी पावर सप्लाई सिंगल फेज (110 वोल्ट, 230 वोल्ट) की होती है। कही-2 पर 415 वोल्ट की कण्ट्रोल सप्लाई भी होती है।

जब आप कांटेक्टर को खोल कर के देखेंगे तो उसके अंदर एक सिलिकॉन स्टील की बनी कोर होती है जिसका आकार E l के आकार का होता है आप देखेंगे कि यह कोर दो भागों में कांटेक्टर में होता है

नीचे वाले भाग में क्वायल को पहनाया जाता है जब तक क्वायल में सिंगल फेज की सप्लाई नहीं आएगी तब तक जो 3 फेज की सप्लाई L1 L2 L3 पर आ रही थी वह T1 T2 T3 पर नहीं आएगी अब जब क्वायल में सप्लाई दी जाती है

तो क्वायल के अंदर मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है इससे सिलिकॉन स्टील की नीचे वाली कोर एक अस्थाई चुम्बक बन जाती है जो ऊपर वाली कोर को अपनी ओर खींच लेती है

और ऊपर वाली कोर से लगा हुवा जो प्लंजर होता है उसी में सप्लाई बंद और चालू करने वाली किट जुडी होती है अब जब ऊपर वाला प्लंजर नीचे वाले प्लंजर से आकर चिपक जाता है

तो सप्लाई पास करने वाली किट भी चिपक जाती है और 3 फेज की सप्लाई L1 L2 L3 से T1 T2 T3 पर पहुंच जाती है और उसके नीचे ओवरलोड रिले लगी होती है

जिसके माध्यम से सप्लाई मोटर के टर्मिनल पर पहुंच जाएगी जिससे मोटर चालू हो जाएगी।

3- बाईमेटलिक ओवरलोड रिले- स्टार डेल्टा स्टार्टर में यह एक थर्मल रिले होती है यह बाईमेटलिक सिद्धांत पर काम करती है थर्मल रिले में करंट को सेट करने का एक नांब होता है

इसमें बाईमेटलिक का मतलब होता है द्वि-धात्विक मतलब इसमें दो धातु का उपयोग किया जाता है पहली धातु की पट्टी से करंट का प्रवाह किया जाता है

अगर करंट उसकी सेट पॉइंट से ज्यादा प्रवाहित होती है तो उसके साथ में लगी हुई दूसरी धातु की जो पट्टी होती है उसका मेल्टिंग प्वाइंट पहली पट्टी से कम होता है

जिससे करंट जब ज्यादा फ्लो होती है तो कम मेल्टिंग प्वाइंट वाली जो मेटल की पट्टी होती है वह मुड़ जाती है और ओवरलोड रिले ट्रिप हो जाती है जिससे ओवरलोड रिले कांटेक्टर की कंट्रोल सप्लाई को काट देता है

जिससे क्वायल की सप्लाई बंद हो जाती है और क्वायल के अंदर का मैगनेट ख़तम हो जाता है और सिलिकॉन स्टील की कोर का जो चुम्बक होता है वह भी ख़त्म हो जाता है और इससे ऊपर का प्लंजर छूट जाता है

सप्लाई पास करने वाली किट छूट जाती है और मोटर को सप्लाई जाना बंद हो जाती है।

4- पुश बटन- स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में पुश बटन का बहुत महत्तव होता है पुश बटन इसका मतलब होता है की ऐसा बटन जिसको पुश किया जाता है

यह पुश बटन 2 रंग में होता है पहला पुश बटन हरा रंग का होता है और दूसरा पुश बटन लाल रंग का होता है और इसमें 2 प्रकार के एलिमेंट लगे होते है हरा रंग का जो पुश बटन होता है

उसमे NO (नार्मल ओपन) का एलिमेंट लगा होता है और लाल रंग के पुश बटन में NC (नार्मल क्लोज) का एलिमेंट लगा होता है। हरा पुश बटन स्टार्टर को ऑन करता है और लाल पुश बटन स्टार्टर को बंद करता है। 

5- इंडिकेटर- स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में इंडिकेटर का बहुत महत्तव होता है यह स्टार्टर किस स्थिति में है मतलब वह ऑन है या ऑफ है या ट्रिप है इसकी जानकारी के लिए इंडिकेटर लगाया जाता है इसमें हरा रंग का इंडिकेटर तब जलता है

जब स्टार्टर ऑन होता है मतलब मोटर चल रही होती है और लाल रंग का इंडिक्टर तब जलता है जब स्टार्टर ऑफ होता है मतलब मोटर बंद होती है और अंतिम इंडिकेटर पीला रंग का होता है

यह तब ऑन होता है जब मोटर ओवर लोड होती है जिस कारण से मोटर में ज्यादा करंट जाने पर ओवर लोड रिले ट्रिप हो जाती है और पीला रंग का इंडिकेटर ऑन हो जाता है

अब अगर आप स्टार्टर को ऑन करेंगे तो स्टार्टर ऑन नहीं होगा स्टार्टर को ऑन करने के लिए पहले ओवरलोड रिले को रिसेट करना होगा

तब पीला रंग का इंडिकेटर बंद होगा और तभी स्टार्टर ऑन होने के लिए हेल्दी होगा।

स्टार डेल्टा स्टार्टर कण्ट्रोल ड्राइंग 

स्टार डेल्टा स्टार्टर में 2 प्रकार की वायरिंग होती है जिसमे पहली वायरिंग से हम मोटर को 3 फेज पावर सप्लाई देते है जिससे मोटर चलती है इसे पावर वायरिंग कहते है

और दूसरी वायरिंग से हम इस मोटर को मिलने वाली पावर सप्लाई को कंट्रोल करते है इसका मतलब हुवा की स्टार्टर में लगा हुवा जो कॉन्टैक्टर (जो 3 फेज सप्लाई को पास करता है) होता है

उसकी कंट्रोल सप्लाई सिंगल फेज में होती है यानी 110 वोल्ट या 230 वोल्ट होती है उसको रिमोट से दूर से ऑन और ऑफ करते है।

इस सप्लाई को कंट्रोल सप्लाई कहते है कुल मिलाकर हम यह कह सकते है की स्टार्टर में दो प्रकार की वायरिंग होती है पहली पावर वायरिंग और दूसरी कंट्रोल वायरिंग।

स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है?

ऊपर स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग को बनाया गया है और यह वायरिंग कण्ट्रोल वायरिंग है इसमें कांटेक्टर को रिमोट से कंट्रोल करते है स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में जो-2 उपकरण  का उपयोग होता है

उसमे MCB,ओवरलोड रिले,ऑफ पुश बटन,ऑन पुश बटन,3 कांटेक्टर और हर एक कांटेक्टर का एक NO कांटेक्ट और स्टार कांटेक्टर का एक NC और डेल्टा कांटेक्टर का एक NO होता है।

अब हमें सबसे पहले एक DOL स्टार्टर बनाना है

नोट- DOL स्टार्टर बनाना सीखे।

इसमें सिंगल फेज सप्लाई 1 नंबर से निकलकर 2 नंबर MCB के आउटपुट में आएगा और 3 नंबर ओवरलोड रिले के NC पॉइंट पर जायेगा

और 4 नंबर NC पॉइंट से निकलकर 5 नंबर OFF पुश बटन में जायेगा और 6 नंबर ऑफ पुश बटन से निकलकर 7 नंबर ON पुश बटन में जायेगा

और 8 नंबर ON पुश बटन से निकलकर 9 नंबर कांटेक्टर के A2 पॉइंट पर जायेगा और कांटेक्टर के A1 पॉइंट 14 नंबर पर न्यूट्रल की सप्लाई आएगी

अब जब ON पुश बटन को हम दबाएंगे तो सिंगल फेज सप्लाई MCB से निकलकर ओवरलोड रिले में जाएगी फिर ओवरलोड रिले से निकलकर OFF पुश बटन में जाएगी

और फिर OFF पुश बटन से निकलकर ON पुश बटन में जाएगी और ON पुश बटन से निकलकर कांटेक्टर की क्वायल पर आएगी

और दूसरे साइड पर न्यूट्रल आएगा तो कांटेक्टर एक बार तो ON होगा पर जैसे ही आप ऑन पुश बटन से ऊँगली हटाएंगे तुरंत कांटेक्टर ऑफ हो जायेगा

मतलब कांटेक्टर होल्ड नहीं होगा तो इसके लिए एक होल्डिंग सप्लाई देनी होगी यह सप्लाई हम ऑफ पुश बटन के आउटपुट 6 नंबर से निकाले या ON पुश बटन के इनपुट 7 नंबर से निकाले

और कांटेक्टर के NO पॉइंट 11 नंबर पर दे और उसके आउटपुट 12 नंबर से निकलकर कांटेक्टर के A2 पॉइंट 9 पर दे   

अब जब आप ऑन पुश बटन को दबाएंगे तो एक बार कांटेक्टर ऑन होगा और जैसे ही कांटेक्टर ऑन होगा तो तुरंत कांटेक्टर का NO कांटेक्ट NC में बदल जायेगा और सप्लाई जो 11 नंबर पर आ रही थी

वह 12 नंबर से निकलकर कांटेक्टर के A2 पॉइंट पर पहुंच जायेगा और कांटेक्टर को होल्ड करा देगी जिससे कांटेक्टर परमानेंट ON ही रहेगा (इसी सप्लाई को होल्डिंग सप्लाई कहते है)

अब इसके बाद ऑन पुश बटन के आउटपुट 8 नंबर से सप्लाई 13 नंबर उठा कर टाइमर के  A1 पॉइंट और टाइमर के कॉमन टर्मिनल पर दे दें और टाइमर के A2 पर न्यूट्रल आएगा।

और उसके बाद टाइमर के 2 NO  टर्मिनल 15 और 16 से में 15 से सप्लाई निकालकर डेल्टा कांटेक्टर के NC पर जायेगा इसके बाद डेल्टा कांटेक्टर के NC से निकलकर स्टार कांटेक्टर के A1 पर जाएगी।

और दूसरी सप्लाई का तार टाइमर के 16 नंबर से निकलकर स्टार कांटेक्टर के NC टर्मिनल पर जायेगा और NC टर्मिनल से सप्लाई निकल कर डेल्टा कांटेक्टर के A2 टर्मिनल 18 नंबर पर जायेगा।

इसके बाद अंतिम में स्टार  कांटेक्टर के 19 नंबर Aऔर डेल्टा कांटेक्टर के 19 नंबर A1 टर्मिनल पर न्यूट्रल की सप्लाई देते है।

इस प्रकार स्टार डेल्टा स्टार्टर की कण्ट्रोल वायरिंग होती है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर पावर वायरिंग

स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग करने में 3 फेज सप्लाई सबसे पहले MCB के इनपुट में जायेगा और फिर MCB के आउटपुट से सप्लाई निकालकर मेन कांटेक्टर के इनपुट L1 L2 L(लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3) में आएगा

Star delta starter panel

और वही से डेल्टा कांटेक्टर के इनपुट L1 L2 L(लाइन 1, लाइन 2, लाइन 3) पर आएगा

अब जब मेन कांटेक्टर ऑन होगा सप्लाई मेन कांटेक्टर से निकलकर ओवरलोड रिले के इनपुट में जायेगा और ओवरलोड रिले से निकलकर 3 फेज पावर सप्लाई मोटर को चली जाएगी

उसके बाद मेन कांटेक्टर के बाद स्टार कांटेक्टर ON होगा मोटर की कनेक्शन प्लेट पर 6 टर्मिनल होते है

जिसमे से 3 टर्मिनल पर ओवरलोड रिले से निकले तीन तार कनेक्ट हो जायेंगे और बाकी बचे मोटर के 3 टर्मिनल पर डेल्टा कांटेक्टर से निकले 3 तार जुड़ेंगे पर जब स्टार्टर स्टार्ट होगा

तो मेन कांटेक्टर और स्टार कांटेक्टर ON होगा पर स्टार कांटेक्टर के ऊपर के 3 टर्मिनल शार्ट होते है क्योकि जब स्टार्टर ON होता है तो मोटर स्टार में ऑन होती है

तो जिसमे मोटर का स्टार कनेक्शन स्टार कांटेक्टर पर बनता है पर जब टाइमर कुछ टाइम बाद अपने कांटेक्ट बदलता है तो डेल्टा कांटेक्टर ऑन होता है और स्टार कांटेक्टर ऑफ हो जाता है

और डेल्टा कांटेक्टर से 3 फेज निकलकर मोटर में जाती है जिससे मोटर स्टार डेल्टा में चलने लगती है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर मोटर कनेक्शन

स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में मोटर का कनेक्शन करने के लिए स्टार्टर से 6 तार निकलते है जो 3 coil के होते है 

अब आप जब मोटर के टर्मिनल प्लेट को खोलेंगे तो उस पर U1 V1 W1 एक-2 coil के एक सिरे है और U2 V2 W2 दूसरे सिरे है

फिर सबसे पहले U1 V1 W1 पर मेन कांटेक्टर के ओवरलोड रिले से निकले 3 फेज के तार को कनेक्ट कर दे

फिर डेल्टा कांटेक्टर से निकले 3 तार को U2 V2 W2 पर कनेक्ट कर दे पर इसमें U1 को जो फेज की सप्लाई दी जाएगी उससे अलग फेज की सप्लाई दूसरे सिरे U को दे जैसे U1  को R फेज तो U2 Y फेज दे

ऐसे ही V1 को Y दे तो V2 को B फेज दे और W1 को R फेज दे तो W2  को Y फेज दे

नोट- कुल मिलाकर एक coil को 415 वोल्ट की सप्लाई देनी होती है। यही इस स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग का मोटर कनेक्शन का थंब रूल है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर का कनेक्शन करने में सावधानी

स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग में जो पुश बटन लगे होते हैं उनका कनेक्शन अच्छी प्रकार से करना चाहिए। वायर को अच्छे से टाइट करें जिससे कनेक्शन ढीला ना रह जाए

क्योंकि कनेक्शन अगर ढीला रह गया तो स्टार्टर प्रॉपर तरीके से काम नहीं करेगा।

कनेक्शन करते समय जितनी जरूरत हो उतना ही वायर का उपयोग करें क्योंकि अधिक वायर जब आप ले लेते हैं तो बढे हुए वायर की ड्रेसिंग नहीं हो पाती।

मोटर का कनेक्शन करने के बाद मोटर को चला करके एक बार जरूर देख ले की स्टार डेल्टा स्टार्टर में लगे स्टार कांटेक्टर, मेन कांटेक्टर और डेल्टा कांटेक्टर सही से चल रहे है या नहीं।

स्टार डेल्टा स्टार्टर से लाभ

1- 7.5 हॉर्स पावर से ऊपर के मोटर के लिए स्टार डेल्टा स्टार्टर का उपयोग किया जाता है। 

2- इसे चलाना बहुत ही आसान है और इसका मेंटेनेंस सस्ता है।

3- इसका कंट्रोल सर्किट और पावर सर्किट बनाना आसान है।

4- चूंकि इसकी सर्किट बहुत ही आसान है इसलिए इसमें किसी फाल्ट को खोजना बहुत ही आसान होता है।

5- डायरेक्ट ऑन लाइन के तुलना में इसमें लाइन करंट (1/√3) गुना कम होता है। 

स्टार डेल्टा स्टार्ट से हानि

1- इससे स्टार्ट करने पर मोटर की प्राम्भिक टार्क कम होता है इसलिए इसे वैसे जगह पर उपयोग नही किया जा सकता है जहा हाई टार्क की जरुरत हो। 

2- जब मोटर स्टार्ट होती है तो वह अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना ज्यादा करंट लेती है।

निष्कर्ष

दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगो ने स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है? के बारे में जाना की स्टार डेल्टा स्टार्टर की वायरिंग कैसे होती है।

इसकी वायरिंग हम कैसे करते हैं, इसमें कितने प्रकार की वायरिंग होती है, जब स्टार डेल्टा स्टार्टर बन जाता है उसके बाद हम मोटर का कनेक्शन कैसे करते हैं।

स्टार डेल्टा स्टार्टर में कितने प्रकार से मोटर का कनेक्शन होता है, स्टार डेल्टा स्टार्टर का वर्किंग प्रिंसिपल क्या होता है, इसकी ड्राइंग कैसे बनती है, इसका फायदा क्या है और नुकसान क्या है।

स्टार डेल्टा स्टार्टर का कनेक्शन करते समय हमें क्या-2 सावधानी बरतनी चाहिए और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आप ने जाना।

फिर भी आपका कोई प्रश्न है उसे जरूर पूछे मैं उसका उत्तर जरूर देने का प्रयास करूँगा।

यह भी पढ़े –  MCB कितने प्रकार की होती है


अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।

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स्टार डेल्टा स्टार्टर की जरुरत क्यों होती है? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-

1- स्टार डेल्टा स्टार्टर क्यों लगाते हैं?

यह स्टार्टर 7.5 हॉर्स पावर से ज्यादा की मोटर को चलाने में इसका उपयोग किया जाता है यह मोटर को उसके पूरे वोल्टेज के 58 प्रतिशत वोल्टेज पर स्टार कनेक्शन पर चलता है फिर जब मोटर अपनी 75 प्रतिशत गति पर आ जाती है तब मोटर डेल्टा पर शिफ्ट हो जाती है।

2- स्टार कनेक्शन कैसे काम करता है?

मोटर में 3 क्वायल होती है जिसमे से एक क्वायल के 2 सिरे होते है तो 3 क्वायल के 6 सिरे होंगे अब हर एक क्वायल का एक सिरा आपस में जोड़ दो बाकी बचे हर एक क्वायल के एक-2 सिरे में 3 फेज देते है। 

3- मोटर में डेल्टा और स्टार कनेक्शन में क्या अंतर है?

मोटर में 3 क्वायल होती है जिनके 6 सिरे होते है जब स्टार कनेक्शन होता है तो एक क्वायल को 230 वोल्ट दिया जाता है और जब डेल्टा कनेक्शन होता है तो एक क्वायल को 415 वोल्ट दिया जाता है। 

4- स्टार्टर क्यों लगाया जाता है?

जब हम मोटर को चलाते है तो मोटर जब स्टार्ट होती है तो वह अपने फुल लोड करंट का 8 से 10 गुना करंट ज्यादा लेती है यह करंट मोटर को जला सकती है जिसे नियंत्रित करने के लिए हम स्टार्टर का उपयोग करते है।

5- स्टार डेल्टा स्टार्टर की आवश्यकता क्यों है?

डायरेक्ट ऑन लाइन स्टार्टर के तुलना में इसमें लाइन करंट (1/√3) गुना कम होता है। और इसमें स्टार्टिंग टार्क कम होता है। और इसमें मोटर को पहले स्टार में चला कर करंट काम कर लेते है और फिर आसानी से मोटर को डेल्टा में शिफ्ट कर देते है और फुल करंट देते है।