Transformer kitne prakar ke hote hain | ट्रांसफार्मर के प्रकार

Transformer kitne prakar ke hote hain | ट्रांसफार्मर के प्रकार
Like Tweet Pin it Share Share Email

दोस्तों जब भी आपसे किसी इंटरव्यू में या कही पर ट्रांसफार्मर की बात की जाती होगी तो आप से यह पूछा जरूर गया होगा की Transformer kitne prakar ke hote hain

यह सवाल आपको सोचने पर जरूर मज़बूर करता होगा की इसकी जानकारी हम कहाँ से पा सकते है पर शायद आपको इस सवाल का जवाब मिला हो या न मिला हो

परन्तु आज आप को इस सवाल का जवाब विस्तार से आपको समझाया जायेगा ताकि आपको अच्छी और बेहतर जानकारी आपको मिल सके।

What is transformer | ट्रांसफार्मर क्या है?

दोस्तों ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते है इसे जानने से पहले ये जाने की what is transformer इसकी खोज माइकल फैराडे ने 1831 में और जोसफ हेनरी ने 1832 में किया था

ट्रांसफार्मर एक विशेष प्रकार का बिजली का उपकरण है जो उसके मिलने वाले वोल्टेज को कम व ज्यादा करता है परन्तु उसको जो फ्रेक्वेंसी मिल रही है

इसे भी पढ़े- 1- DG सेट क्या है?

2- स्टार डेल्टा स्टार्टर क्या है?

3- इंडक्शन मोटर क्या है?

उसमे कोई भी परिवर्तन नहीं करता मतलब अगर 50 Hz की फ्रेक्वेंसी आ रही है तो वह 50 Hz ही आउटपुट में देगा और इसके साथ-2 ट्रांसफार्मर केवल Ac सप्लाई पर ही काम करता है

क्योकि इस सप्लाई में फ्रेक्वेंसी होती है ट्रांसफार्मर कभी भी Dc सप्लाई पर काम नहीं करता क्योकि Dc सप्लाई में फ्रेक्वेंसी नहीं होती ट्रांसफार्मर को हम स्टेप्लाइजर में छोटे रूप में करते है

और पावर हाउस में बड़े रूप में करते है हर एक जगह पर ट्रांसफार्मर का केवल इतना ही कम होता है की वह कम वोल्टेज को ज्यादा कर देगा और ज्यादा वोल्टेज को कम कर देगा।

इसकी एक पहचान यह भी है की ट्रांसफार्मर में कोई भी घूमने वाला पार्ट नहीं होता और इसीलिए ट्रांसफार्मर की एफिशन्सी 97% से 98% तक होती है।

नोट- अगर ट्रांसफार्मर का उपयोग न किया जाये तो हम इलेक्ट्रिसिटी की कल्पना भी नहीं कर सकते है।

ट्रांसफार्मर में कौन सा तेल डाला जाता है?

ट्रांसफार्मर में कौन सा तेल डाला जाता है अगर आप सोच रहे है तो मैं आप को बता दूँ की ट्रांसफार्मर आयल एक विशेष प्रकार का खनिज तेल होता है
जैसे पेट्रोल डीजल जमीन से निकाला जाता है ठीक उसी तरह से ट्रांसफॉर्मर ऑयल की जमीन से निकाला जाता है ट्रांसफॉर्मर का जो टैंक होता है उसके अंदर ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग रखी होती है
इसी टैंक में ट्रांसफॉर्मर ऑयल को भर दिया जाता है एक विशेष प्रकार का तेल होता है यह तेल इंसुलेटेड तेल होता है ट्रांसफार्मर में किसी प्रकार की जो समस्या आती है
उसे समस्या से ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग को ट्रांसफॉर्मर ऑयल सुरक्षित रखता है जब वाइंडिंग से लोड को जोड़ा जाता है तो वाइंडिंग में से करंट का बहाव होने लगता है
और इस कारण से ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग गर्म होने लगती है अगर इस हीट से वाइंडिंग को बचाया न जाए तो ट्रांसफार्मर जल जाएगा कुल मिलाकर ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग को ठंडा रखना होता है
और इस काम के लिए हम ट्रांसफॉर्मर ऑयल का उपयोग करते हैं ट्रांसफॉर्मर ऑयल में बाइंडिंग को डुबो दिया जाता है
जिससे बाइंडिंग की गर्मी ट्रांसफॉर्मर ऑयल में ट्रांसफर होती है और ट्रांसफार्मर के साइड में विंग्स लगाकर जो रेडिएटर होती है
इसके माध्यम से ट्रांसफॉर्मर ऑयल को ठंडा किया जाता है और यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।

ट्रांसफार्मर कैसे जलता है?

ट्रांसफार्मर के जल जाने के पीछे कई कारण होते है जिसमे से पहला ओवरलोड है जैसे मान लीजिए की ट्रांसफार्मर 25 केवीए का है पर आप उस पर 26, 28 केवीए या उससे भी अधिक लोड डालते है

तो ट्रांसफार्मर ओवरलोड होकर जल जायेगा। दूसरा है की ट्रांसफार्मर में लगा हुवा जो ब्रीदर होता है उसमे सिलिका जेली भरी होती है जो की जब सही स्थिति में होता है

तो उस टाइम पर सिलिका जेली जा रंग नीला होता है पर कुछ टाइम के बाद सिलिका जेली का रंग भूरा हो जाता है

अब अगर भूरे सिलिका जेली को सही न किया गया तो इससे ट्रांसफार्मर के आयल में नमी चली जाएगी और ट्रांसफार्मर जल जायेगा।

ट्रांसफार्मर में शॉर्टसर्किट होने पर ट्रांसफार्मर जल जाता है ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग अगर ज्यादा गरम हो जाये तो भी वाइंडिंग का इंसुलेशन वीक हो जायेगा और ट्रांसफार्मर जल जायेगा।

ऐसे कई कारण है जिससे ट्रांसफार्मर जल जाता है।

इसे भी पढ़े- 1- 3 फेज मोटर कनेक्शन

2- इलेक्ट्रिक बोर्ड का कनेक्शन

3- क्या होता है Kwh का फुल फॉर्म

ट्रांसफार्मर का तेल कैसे चेक करें?

ट्रांसफार्मर का जो आयल होता है उसे टाइम-टाइम पर फ़िल्टर करने की जरुरत होती है अगर उसे फ़िल्टर न किया जाये तो उसमें नमी जो आ जाती है

वह ट्रांसफार्मर को जला देगी वास्तव में फिल्टर करने के लिए जिस मशीन का उपयोग किया जाता है वह एक्चुअल में एक हीटर होता है इसमें होता यह है कि एक पाइप होता है

Transformer kitne prakar ke hote hain

और उस पाइप के चारों तरफ हीटर लगा दिया जाता है और उस पाइप के अंदर से ट्रांसफर आयल को पास कराया जाता है जिससे उस आयल के चारों तरफ गर्मी होती है

जिससे ट्रांसफॉर्मर ऑयल के अंदर जो भी नमी होती है वह खत्म हो जाती है और ट्रांसफॉर्मर ऑयल को तब तक फिल्टर किया जाता है मतलब उस पाइप के अंदर से गुजारा जाता है

जब तक की ट्रांसफार्मर आयल का इंसुलेशन रेजिस्टेंस उतना हो जाये की जिस ट्रांसफार्मर में उस आयल का उपयोग करना है उस ट्रांसफार्मर की इनपुट वोल्टेज से 10 प्रतिशत ज्यादा हो जाये।

ट्रांसफॉर्मर आयल का इंसुलेशन रेजिस्टेंस चेक करने के लिए एक मशीन का उसे किया जाता है इस मशीन में 2 इलेक्ट्रोड होते है

जिनके बीच में 2.5 से 4 मिलीमीटर का गैप होता है अब जिस ट्रांसफार्मर में उस आयल का उसे करना है तो मान लेते है की उस ट्रांसफार्मर की इनपुट वोल्टेज 11 kv है

तो उस इलेक्ट्रोड से टैंक को फ़िल्टर किये गए आयल से भर दे जिससे इलेक्ट्रोड डूब जाये अब उन इलेक्ट्रोड पर वोल्टेज अप्लाई किया जाता है

जो की 11 kv से 10 प्रतिशत ज्यादा हो यही 12.5 या 13 kv तक वोल्टेज अप्लाई किया जाता है अगर इलेक्ट्रोड के बीच में फायर होता है

तो वही उस समय ट्रांसफार्मर आयल की ब्रेकडाउन वोल्टेज होगी अगर 0 से 13 kv के बीच में स्पार्क होता है तो आयल को और फ़िल्टर किया जाता है

और तब तक फ़िल्टर किया जाता है जब तक की 13 kv की वोल्टेज आने तक इलेक्ट्रोड के बीच में स्पार्क न हो इसी तरह से आयल का ब्रेकडाउन वोल्टेज  चेक किया जाता है।

Transformer kitne prakar ke hote hain | ट्रांसफार्मर के प्रकार

आदर्श ट्रांसफार्मर- आदर्श ट्रांसफार्मर की दक्षता शतप्रतिशत होती है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता कुछ कारणों से ट्रांसफार्मर में हानि हो जाती है

चूँकि ट्रांसफार्मर एक स्थिर उपकरण है इसीलिए इसमें लॉस बहुत कम होता है सामान्य रूप से ट्रांसफार्मर की दक्षता 98% तक रहती है।

वोल्टेज के आधार पर–

 

1- स्टेप अप  ट्रांसफार्मर (Step Up Transformer)- यह ट्रांसफार्मर इलेक्ट्रिसिटी के ट्रांसमिशन के लिए उपयोग किया जाता है जहां पर इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है

वहां से हजारों किलोमीटर दूर यहां पर उपभोक्ता है वहां तक इलेक्ट्रिसिटी इसी ट्रांसफार्मर की मदद से पहुंचाया जाता है

यह ट्रांसफार्मर वोल्टेज को बढ़ा देता है (जैसे- 6.6kv,11kv, 33kv, 132kv220kv, 440kv और इससे भी ज्यादा) इसीलिए इसका नाम स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर है

अभी आप बड़ी हुई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से काफी लंबी दूरी तक भेजी जाती है जैसा कि आप जानते हैं कि ट्रांसफार्मर में दो प्रकार की वाइंडिंग होती है

पहली प्राइमरी और दूसरी सेकेंडरी इसमें भी वही दो प्रकार की वाइंडिंग होती है मगर इसमें प्राइमरी में डेल्टा कनेक्शन होता है और सेकेंडरी में भी डेल्टा कनेक्शन होता है।

मतलब डेल्टा/डेल्टा कनेक्शन होता है जब इन ट्रांसफार्मर की मदद से वोल्टेज को बढ़ा दिया जाता है तो करंट कम हो जाती है

जिससे इलेक्ट्रिसिटी को दूर-दूर तक भेजने में कम खर्च आता है क्योंकि जब करंट कम होगी तो तार पतले लगाने पड़ेंगे तारों को सपोर्ट देने वाले टावर हल्के लगाने पड़ेंगे

कुल मिलाकर इलेक्ट्रिसिटी को एक जगह से दूसरी जगह तक भेजने का खर्चा बहुत कम हो जाएगा।

2- स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर (Step Down Transformer)- यह ट्रांसफार्मर जैसा नाम से पता चल रहा है की स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर यह वोल्टेज को हाई से लो में चेंज करता है

इसका मतलब यह हुवा की जब वोल्टेज को हम स्टेपअप ट्रांसफार्मर से हाई करके और ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से जब सप्लाई पावर हाउस तक पहुँचता है

फिर स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर से उस वोल्टेज को डाउन करके (440volt, 230volt) में बदल देते है इस ट्रांसफार्मर में जो वाइंडिंग का कनेक्शन होता है

वह डेल्टा से स्टार होता है क्योंकि इस सप्लाई को हम अपने घरों में उपयोग करते है जिसके लिए हमें न्यूट्रल की जरुरत पड़ती है।

फेज की संख्या के आधार पर–

 

1- सिंगल फेज ट्रांसफार्मर (Single Phase Transformer)- यह ट्रांसफार्मर 1 फेज का ट्रांसफार्मर होता है मतलब इस ट्रांसफार्मर की जो आउटपुट वोल्टेज होती है वह 230 वोल्ट होती है

इस ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग होती है जिसमें पहली वाइंडिंग प्राइमरी और दूसरी वाइडिंग सेकेंडरी वाइंडिंग होती है प्राइमरी वाइंडिंग में हम इनपुट सप्लाई हाई वोल्टेज के रूप में देते हैं

और सेकेंडरी वाइंडिंग हमें लो वोल्टेज 230 बोल्ट देता है कुल मिलाकर या ट्रांसफार्मर स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर है।

2- थ्री फेज ट्रांसफार्मर (Three Phase Transformer)- यह ट्रांसफार्मर 3 फेज का ट्रांसफार्मर होता है

मतलब जैसा सिंगल फेज ट्रांसफॉर्मर 230 बोल्ट आउटपुट में मिलता था ठीक उसी तरह से इस ट्रांसफार्मर में आउटपुट में 440 बोल्ट आउटपुट में मिलता है

इस ट्रांसफार्मर में जो वाइंडिंग होती है उसकी संख्या तीन होती है मतलब प्राइमरी साइड 3 वाइंडिंग और सेकेंडरी साइड 3 वाइंडिंग होती है।

कोर के आधार पर–

 

कोर टाइप ट्रांसफार्मर- इस ट्रांसफार्मर की क्वायल बेलनाकार होती है इसके अलावा यह अंडाकार में भी हो सकता है यह एक फर्मा पर लपेटकर बनाया जाता है

छोटे ट्रांसफार्मरों के लिए आयताकार काट क्षेत्रफल की कोर प्रयोग की जाती है बड़े ट्रांसफार्मरों में कोर को लगभग गोल किया जाता है

इस प्रकार की कोर को क्रूसीफार्म सेक्शन की कोर कहते हैं बेलनाकार क्वाइलों की यांत्रिक शक्ति अधिक होती है

तार को इनमें चूड़ीदार रूप में लपेटा जाता है तथा हर तरह को पेपर, कपड़े या माइका से इंसुलेट किया जाता है कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग को इंसुलेट करना आसान होता है

इसलिए इसे कोर के पास रखा जाता है फुलर बोर्ड के सिलेंडरों का प्रयोग क्वाइलों को कोर से अलग करने के लिए किया जाता है

इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग कोर का अधिक भाग ढक कर रखती है आमतौर पर प्राइमरी तथा सेकेंडरी क्वायल अलग-अलग होती है

पर लीकेज की मात्रा कम करने के लिए इन्हें दोनों और एक दूसरे पर अलग-अलग तो हूं में लपेटा जाता है।

शैल टाइप ट्रांसफार्मर- इनमें क्वाइलों का अधिक भाग कोर्ट द्वारा ढका जाता है इसके क्वायल डिस्क के रूप में लपेटे जाते हैं क्वाइलों से बनी डेस्क की तहे पेपर से इंसुलेट की जाती हैं

पूरी वाइंडिंग इन डिस्को को जोड़कर बनती है इनकी कोर सारी आयताकार रूप की या बटे हुए रूप में हो सकती है

इनको रोको आपस में जुड़ा रखने के लिए मजबूत लोहे के फ्रेम होने चाहिए इस विशेष प्रकार के फ्रेम या फ्लैप ट्रांसफार्मर में पैदा होने वाली आवाज को कम करते है

क्वाइलों की तार का साइज इन में चलने वाली करंट के आधार पर लिया जाता है।

बेरी टाइप ट्रांसफॉर्मर- इसमें वाइंडिंग केंद्र के मध्य सांझीं कोर पर की जाती है तथा इनके आसपास कोर के कई भाग होते हैं

इस प्रकार फ्लक्स को कई मार्ग प्राप्त हो जाते हैं इसका चुंबकीय क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावशाली होता है तथा इसकी बनावट जटिल होती है इसे फाइंड करना भी कठिन होता है

इसीलिए इस प्रकार के ट्रांसफार्मर बहुत कम बनाए जाते हैं तथा इनका प्रयोग भी कम ही किया जाता है।

इंस्ट्रूमेंट में उपयोग के आधार पर–

 

करंट ट्रांसफार्मर- यह ट्रांसफार्मर एक इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफॉर्मर है मतलब इसका उपयोग हम विद्युत को मापने के लिए करते हैं ट्रांसफार्मर हम सब स्टेशन में घरों में फैक्ट्रियों में उपयोग करते हैं

इस ट्रांसफार्मर को हम सीटी नाम से भी जानते हैं मतलब करंट ट्रांसफॉर्मर यह ट्रांसफार्मर लाइन के सिरीज में लगाया जाता है मतलब जो लाइन का तार होता है

उसमें सिटी को पहना दिया जाता है और उस सिटी से निकले हुए S1 S2 के तार को हम एंपीयर मीटर पर ले जाकर के कनेक्ट कर देते हैं इसमें जो प्राइमरी साइड होता है

वह लाइन का तार होता है और सिटी के तार S1 S2 सेकेंडरी साइड होते हैं या ट्रांसफॉर्मर स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर होता है।

पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर- यह ट्रांसफार्मर भी एक इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफॉर्मर होता है इसका उपयोग हम वोल्टेज नापने के लिए करते हैं या ट्रांसफार्मर लाइन के पैरलल में लगाया जाता है

ट्रांसफॉर्मर स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर होता है मतलब हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में बदल देता है।

आटो ट्रांसफार्मर- यह एक विशेष प्रकार का ट्रांसफार्मर होता है इस ट्रांसफार्मर में प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग एक ही होती है और इसमें किसी भी कोर का उपयोग नहीं होता है

इसमें जो वाइंडिंग उपयोग होती है उसमें कुछ-कछ क्वाएल के टर्न के बाद बीच-बीच में टैप निकाल दिया जाता हैं इससे ट्रांसफार्मर के वाइंडिंग का प्रतिरोध बदलता है जिससे वोल्टेज अप डाउन होता है।

निष्कर्ष

दोस्तों इस पोस्ट में आप लोगो ने Transformer kitne prakar ke hote hain के बारे में जाना।

इसमें हम Transformer kitne prakar ke hote hain और ट्रांसफार्मर का उपयोग हम कहां-2 पर करते है और भी कई प्रश्नों का उत्तर इस पोस्ट में आपने जाना।

फिर भी आपका कोई प्रश्न है उसे जरूर पूछे मैं उसका उत्तर जरूर देने का प्रयास करूँगा।

नोट- यह भी पढ़े।

1- सोलर सिस्टम कितने प्रकार का होता है।

2- 100 वाट बल्ब का क्या मतलब होता है?

3- हीटर का सप्लाई वायर गरम क्यों नहीं होता?

4- पावर फैक्टर क्या है?

5- MCB कितने प्रकार की होती है

6- VFD क्या है इसकी पूरी जानकारी।

7- MCB क्या होता है।


अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।

अगर आपको इलेक्ट्रिकल की वीडियो देखना पसंद है तो आप हमारे चैनल target electrician  पर विजिट कर सकते है। धन्यवाद्

Transformer kitne prakar ke hote hain से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-

1- ट्रांसफार्मर कितने वोल्ट का होता है?

ट्रांसफार्मर 3 फेज में 415 वोल्ट का और 1 फेज में 230 वोल्ट का होता है लेकिन जब इलेक्ट्रिसिटी को पैदा किया जाता है तो 11 kv में वोल्टेज होती है जिसे स्टेपअप करके अलग-2 वोल्टेज पर जैसी वोल्टेज की जरुरत होती है तो जो वोल्टेज ट्रांसफार्मर आउटपुट में देता है उतने वोल्ट का ट्रांसफार्मर हुवा फिर इसी बढ़ी वोल्टेज को ट्रांसमिट किया जाता है।

2- ट्रांसफार्मर का दूसरा नाम क्या है?

ट्रांसफार्मर इलेक्ट्रिसिटी का एक बहुत ही जरुरी उपकरण है और इसका दूसरा नाम परिणामित्र होता है इसमें किसी प्रकार का कोई भी घूमने वाली चीज नहीं लगी होती है इसीलिए इसमें लॉस बहुत ही काम होता है लगभग 2 प्रतिशत।

3- ट्रांसफार्मर का जनक कौन है?

Transformer इसकी खोज माइकल फैराडे ने 1831 में और जोसफ हेनरी ने 1832 में किया था

4- ट्रांसफार्मर की कोर किसकी बनी होती है?

ट्रांसफार्मर एलेक्ट्रो मैग्नेट इंडक्शन के सिद्धांत या इसको अन्योन्य प्रेरण का सिद्धांत भी कहते है पर काम करता है ट्रांसफार्मर की जो कोर होती है वह नर्म लोहे के क्रोड का बना होता है।

5- ट्रांसफार्मर में कौन सा नुकसान?

ट्रांसफार्मर एक बिना हम को इलेक्ट्रिसिटी नहीं मिल सकती यह हमारे लिए बहुत ही आवश्यक उपकरण है परन्तु इसमें कुछ नुकसान भी है जैसे आयरन लॉस, कॉपर लॉस ये जब ट्रांसफार्मर में इलेक्ट्रिसिटी से जोड़ते है तो होने लगता है।