दोस्तों type of circuit breakers जानने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है की Circuit breaker क्या होता है इसे कहां लगाते हैं दोस्तों Circuit breaker एक प्रकार का स्विच होता है जिससे हम इलेक्ट्रिसिटी की सप्लाई को बंद या चालू करते है।
हम इसे एक उदाहरण से समझे तो जैसे हमारे घरो में जो स्विच लगे होते है जिससे हम विद्युत की सप्लाई को बंद व चालू करते है और घरो में लगे उपकरण फैन, टीवी, बल्ब इनको चालू व बंद करते है पर यदि आपको कोई Electrical safety चाहिए तो आपको Circuit breaker की जरुरत पड़ेगी।
यदि सर्किट में कोई फाल्ट जैसे हाई करंट फ्लो, हाई वोल्टेज, अर्थ फाल्ट हो जाए तो स्विच कोई भी सुरक्षा नहीं देता है परंतु यदि आपने इस स्थान पर स्विच की जगह सर्किट ब्रेकर का प्रयोग करते हैं तो इस प्रकार का कोई भी फाल्ट आने पर सर्किट ब्रेकर तुरंत विद्युत सप्लाई को बंद कर देगा और सर्किट में लगे हुए सभी उपकरण सुरक्षित बच जाएंगे।
सर्किट ब्रेकर लो वोल्टेज से लेकर एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज तक में काम करने के लिए बनाए जाते हैं जैसे 2 एंपियर 230 वोल्ट से सर्किट ब्रेकर की शुरुआत हो जाती है इससे लेकर 765 kV तक की वोल्टेज के लिए सर्किट ब्रेकर बनाए जाते है।
मुख्यत: सर्किट ब्रेकर 6 प्रकार के होते हैं।
1. मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (Mcb)
2. एयर सर्किट ब्रेकर (Acb)
3. आयल सर्किट ब्रेकर (Ocb)
4. एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर (Abcb)
5. वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (Vcb)
6. SF6 सर्किट ब्रेकर
1. MCB |मिनिएचर सर्किट ब्रेकर :-
Type of circuit breakers में एक मिनिएचर सर्किट ब्रेकर है जिसको MCB के नाम से भी जाना जाता है MCB एक आटोमेटिक डिवाइस है,जब सर्किट में अचानक से ज्यादा करंट का बहाव आता है या यू कहे की सर्किट ओवरलोड होती है तो यही mcb ही सर्किट को सुरक्षा प्रदान करती है या जब शार्ट सर्किट की अवस्था सर्किट में उत्पन्न होती है तो यह बहने वाली धारा सप्लाई को काट देता है रोक देता है जिससे सर्किट में लगे इक्विपमेंट सुरछित हो जाते है MCB Single Pole और Single pole with neutral और Triple pole with neutral में उपलब्ध है।
मिनिएचर सर्किट ब्रेकर की संरचना :- ये 2 पोल , 3 पोल TP, 4 पोल प्रकार में होते हैं। mcb के अंदर एक आर्क शूट होता है।
मिनिएचर सर्किट ब्रेकर का कार्य सिद्धांत :- MCB ओवरलोड या शार्ट सर्किट होने पर अपने आप ही सर्किट को बंद कर देती है जिससे सर्किट में करंट का प्रवाह रुक जाता है और सर्किट को किसी प्रकार की हानि नहीं होती। mcb बाई मेटेलिक होती है इसका मतलब यह होता है जिस कंडक्टर से करंट का फ्लो होता है तथा जब तक हम खुद इसे चालू नहीं करते यह बंद रहती है जिससे परिपथ में धारा प्रवाह नहीं होता।
2. ACB | एयर सर्किट ब्रेकर :-
ACB एक इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट है इसके उपयोग से हम सर्किट में होने वाले short circuit, over current, earth fault से सेफ्टी कर पाते है एयर सर्किट ब्रेकर वायुमण्डली दबाव पर काम करता है|
Type of circuit breakers में यह एयर सर्किट ब्रेकर एक विशेष प्रकार का सर्किट ब्रेकर होता है जो सर्किट को जोड़ने और तोड़ने का काम करता है इसमें सर्किट का जोड़ना और तोड़ना दो इलेक्ट्रोड के माध्यम से होता है इन दोनों इलेक्ट्रोड में एक फिक्स कांटेक्ट होता है और दूसरा मूविंग कांटेक्ट होता है पर जब यह कांटेक्ट सर्किट को जोड़ते व तोड़ते हैं तो इन कांटेक्ट के बीच में चिंगारी निकलती है इस चिंगारी को खत्म करना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि अगर यह चिंगारी नहीं खत्म हुई तो यह पूरे सिस्टम को जला देगी।
इस चिंगारी को खत्म करने के लिए वायुमंडलीय दाब का उपयोग किया जाता है कांटेक्ट जहां पर होते हैं उसके ऊपर एक आर्क सूट लगा दिया जाता है जिसमें कई सारे बॉक्स बने हुए होते हैं जिनका कार्य यह होता है कि निकलने वाली चिंगारी को कई भागो में बांट देना जिससे चिंगारी कमजोर पड़ जाती है और जल्दी ही खत्म हो जाती है एयर सर्किट ब्रेकर 800 एंपियर से लेकर 10000 एंपियर तक के इलेक्ट्रिक सर्किट में over current, short circuit, Earth fault से सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है इसका प्रयोग लो टेंशन सप्लाई (440 वोल्ट)में किया जाता है।
एयर सर्किट ब्रेकर की संरचना- इसमें आंतरिक और वाह्यय रूप से कई डिवाइस कनेक्ट होती हैं जिसमें स्विच, इलेक्ट्रोड के कांटेक्ट, इंडिकेटर, कंट्रोलर, आर्क सूट, रिले होती है इसमें करंट ट्रांसफॉर्मर की मदद से हाई करंट को नापा जाता है।
Air circuit breaker के उपयोग के लाभ-
1- एयर सर्किट ब्रेकर के मेंटेनेंस में बहुत ही कम खर्च आता है।
2- इसका उपयोग करना बहुत ही आसान है।
3- इसका उपयोग बहुत ही सुरक्षित है।
4- यह compact होने के कारण बहुत ही छोटा होता है।
3. OCB | आयल सर्किट ब्रेकर :-
Type of circuit breakers में यह एक विशेष प्रकार का सर्किट ब्रेकर होता है इसमें इलेक्ट्रिक फायर को रोकने के लिए ट्रांसफार्मर आयल का उपयोग करते है इसमें जो आयल उपयोग करते है उसकी डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रैंथ 50 किलोवोल्ट/cm2 होता है ।
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह एक ऐसा सर्किट ब्रेकर होता है, जिसमें तेल का इस्तेमाल हर जगह होता है, जो नोटिस करते हैं उनका ऑपरेशन में चिंगारी दौड़ता है और इस चिंगारी को भागने के लिए एक इलेक्ट्रिक मैटेरियल के तौर पर तेल का इस्तेमाल होता है सर्किट ब्रेकर के इसी दृष्टिकोण को आयल के बीच में रखा जाता है।
आयल सर्किट ब्रेकर की उपस्थिति :- उसका रूप बहुत ही आसान होता है एक टैंक होता है और उस टैंक में दो वचन वचन होते हुए इन सीमित शीशे के माध्यम से इलेक्ट्रिक स्ट्रीम का प्रवाह होता है इस टैंक का एक तिहाई हिस्से ट्रांस्फर आयल में डूबते रहते हैं सर्किट ब्रेकर में ट्रांसफ़ॉर्मर तेल का उपयोग करने का मुख्य कारण दो कारणों से होता है पहला यह होता है कि दोनों नज़र के बीच जो चिंगारी साइट उसे डराती है और ध्यान और टैंक के बीच में मैटेरियल को इंसुलेट करना भी काम करती है।
आयल सर्किट ब्रेकर का कार्य सिद्धांत :- सामान्य अवस्था में सर्किट ब्रेकर के दोनों सर्कल एक दूसरे से जुड़े रहते हैं जिससे बिजली का प्रवाह आसानी से हो जाता है किसी कारणवश सर्किट में होने वाले फॉल्ट के कारण दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते हैं हैं।
इस प्रक्रिया में इन दोनों चिंताओं के बीच हाई वोल्टेज का वितत्व होता है, इस हाई वोल्टेज के कारण, स्मियरिंग के बीच चिंगारी डेसेटर्स, जो एक आग की तरह दिखते हैं, चिंगारी इतनी अधिक मात्रा में आय में बहुत अधिक आय शामिल है। ऊर्जा अधिक मात्रा में होती है, ऊष्मीय ऊर्जा संबंधी कारण होने के कारण चारों ओर का तापमान अचानक बढ़ जाता है, जिससे आयल स्टीम गैस में बदल जाता है, दोनों के बीच चिंगारी तब तक चर्चा करता रहता है जब तक दोनों एक दूसरे से एक निश्चित निर्धारण दूरी पर नहीं जाता है।
4. ABCB | एयरब्लास्ट सर्किट ब्रेकर :-
Type of circuit breakers की लिस्ट में यह 4th circuit breaker है।
इसमें जब कॉन्टेक्ट मिलता है और अलग होता है तो उनके बीच में चिंगारी होती है जिस पर प्रेसर से हवा डाली जाती है जिससे चिंगारी ख़तम हो जाती है।
इस प्रकार के सर्किट ब्रेकर में चिंगारी को ख़तम करने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है इसमें हवा को कम्प्रेसर से कनेक्ट कर के रखता है और जब कॉन्टेक्ट से चिंगारी दौड़ता है तो उस चिंगारी पर उसी हवा को प्रेसर से पहचान होती है जिससे चिंगारी ख़तम हो जाता है।
एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर :- इसमें भी एक जाम होता है जिसमें मूविंग क्वायल और फिक्सर कॉइल्स होती हैं। इसमें हवा के लिए एक लाइन उच्च दबाव पर हवा को भरने के लिए एयर कॉम्प्रेनर की आवश्यकता होती है। इसलिए इसमें सर्किट ब्रेकर के साथ-साथ एक कॉम्पेयर रूम भी बना रहा है।
एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर का कार्य सिद्धांत :-जब यह सर्किट ब्रेकर का कांटेक्ट खुल रहा है तो इसमें बहुत ज्यादा काम होने के कारण दोनों संपर्क पर क्लिक के बीच भारी स्पार्किंग होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों कांटेक्ट के बीच की हवा आयनित हो जाती है। और वही हमें चिंगारी के रूप में दिखाई देता है।
लेकिन जैसे ही संपर्क खुल रहा है वैसे ही हवा का वाल्व खुल जाता है और ही उच्च दबाव पर एकत्रित हवा चिंगारी पर तेजी से हमला करती है। इसका प्रेसर इतना स्पष्ट होता है कि संपत्ति के संबंध में चिंगारी के आयन प्रतीक हो जाते हैं। और चिंगारी कमजोर पड़ जाती है। इस प्रकार चिंगारी बज जाती है। सर्किट ब्रेकर के साथ मिलकर आवाज बहुत अधिक होती है। सर्किट ब्रेकर खुलने पर बम फटने की आवाज आती है।
5. VCB | वैक्यूम सर्किट ब्रेकर :-
Type of circuit breakers की लिस्ट में यह 5th circuit breaker है।
इस प्रकार के सर्किट ब्रेकर मे पैदा हुई चिंगारी को ख़तम करने के लिए माध्यम (वैक्यूम माध्यम) का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसे वैक्यूम सर्किट ब्रेकर कहते हैं। इसमें जमा की डिग्री 10 torr के परास में होती है।
वैक्यूम माध्यम एक बहुत ही अच्छा आयन रोधी मध्यम होता है इस माध्यम में चिंगारी को बुझाने के लिए हम वैक्यूम का उपयोग करते हैं इसमें चिंगारी अन्य माध्यमों की अपेक्षा 1000 गुना तेजी से बुझाई जाती है इस माध्यम में वैक्यूम का उपयोग किया जाता है इसलिए इसमें हवा बिल्कुल भी नहीं होती तो जब हवा नहीं होती तो हवा का आयनीकरण भी नहीं हो सकता।
सर्किट ब्रेकर की संरचना :- वेक्यूम सर्किट ब्रेकर में भी सभी ब्रेकरों की तरह दो कांटेक्ट होते हैं जिसमें से एक फिक्स कांटेक्ट होता है और एक मूविंग कांटेक्ट होता है इन दोनों कांटेक्ट को एक चेंबर में रखा जाता है जहां का पूरा एरिया वैक्यूम का होता है इस सर्किट ब्रेकर के चारों तरफ ग्लास या सिरेमिक को इंसुलेटिंग बॉडी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
सर्किट ब्रेकर का कार्य सिद्धांत :- इस सर्किट ब्रेकर का उपयोग 22 केवी से लेकर 66 केवी तक के ट्रांसमिशन लाइन में किया जाता है जब हम हाई वोल्टेज को ट्रांसमिशन लाइन से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं फिर वहां पर लगे हुए सब स्टेशन में ट्रांसफार्मर की मदद से वोल्टेज को स्टेप डाउन करते हैं तो वहां पर ट्रांसफार्मर को सप्लाई देने से पहले वैक्यम सर्किट ब्रेकर लगाया जाता है इसका उपयोग आउटडोर सबस्टेशन में किया जाता है इसमें मेंटेनेंस ना के बराबर होता है।
6. SF6 सर्किट ब्रेकर :-
Type of circuit breakers की लिस्ट में यह 6th circuit breaker है।
Sf6 सर्किट ब्रेकर मे चिंगारी को बुझाने के लिए sf6 गैस का उपयोग किया जाता है। Sf6 गैस का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह गैस एक इलेक्ट्रोनेगेटिव गैस है। जो मुक्त इलेक्ट्रॉन को सोख लेती है या उसे उदासीन कर देती है। इसे एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज रेंज में प्रयोग किया जाता है।
Sf6 सर्किट ब्रेकर में Sf6 गैस को एक सिलेंडर में भरा जाता है। इस सिलेंडर का कनेक्शन सर्किट ब्रेकर के इनलेट से कर दिया जाता है। इस सिलेंडर में गैस का प्रेशर 7.0 bar होता है Sf6 सर्किट ब्रेकर में जब Sf6 गैस का प्रेशर कम हो जाता है तो इसमें एक अलार्म लगा होता है जो कम प्रेशर पर बजने लगता है। जब Sf6 गैस का प्रेशर 5 kg/cm2 पर हो जाता है तो सर्किट ब्रेकर लॉकआउट हो जाता है। इसका मतलब यह है कि अब आप सर्किट ब्रेकर को ऑपरेट नहीं कर सकते हैं।
SF6 सर्किट ब्रेकर की संरचना :- सर्किट ब्रेकर में (moving contact) तथा फिक्स कांटेक्ट (fix contact) होते हैं। वे दोनों कांटेक्ट को एक चेंबर में रखा जाता है। इस चेंबर का Sf6 गैस से भरे सिलेंडर से कनेक्शन होता है।
सर्किट ब्रेकर का कार्य सिद्धांत :-जब कांटेक्ट बंद स्तिथि में होता है तब दोनों contacts के चारोतरफ sf6 गैस भरी होती है और उसका प्रेसर 2.8 kg/cm² होता है, जब ब्रेकर ऑपरेट होता है तब मूविंग कांटेक्ट पीछे आती है और उसकी वजह से चिंगारी उत्पन्न होती है| कॉन्टैक्ट के ओपन होने का समय और valve के ओपन होने का समय एक दूसरे से सामान होता है, जब वाल्व ओपन हो जाता है तब गैस 14 kg/cm² की प्रेसर से reservior से arc inturuption chamber में जाती है, SF6 का high pressure free electrons को अंदर शोख लेता है।
नोट- यह भी पढ़े सोलर सिस्टम कितने प्रकार का होता है।
1- सोलर सिस्टम कितने प्रकार का होता है।
2- 100 वाट बल्ब का क्या मतलब होता है?
3- हीटर का सप्लाई वायर गरम क्यों नहीं होता?
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