हम आप ट्यूबलाइट की वायरिंग जब करते है तो ट्यूबलाइट में चोक क्यों लगाते है? यह प्रश्न मन में जरूर आता होगा इस पोस्ट में आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा।
Choke को हम Ballast भी कहते है। Choke एक प्रकार का ताम्बा का कॉइल होता है जो लोहे के एक कोर पर लपेटी हुई होती है।
ट्यूबलाइट के जलने में Choke की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
ट्यूबलाइट का सर्किट डायग्राम
ट्यूबलाइट का पूरा कनेक्शन सीरीज में होता है सीरीज का मतलब यह हुआ की ट्यूबलाइट को जलाने के लिए जितने भी उपकरण लगाए जाते हैं।
उनमें चोक, स्टार्टर और ट्यूबलाइट सभी सीरीज में जोड़े जाते हैं। सीरीज कनेक्शन का मतलब इसमें करंट का रास्ता एक ही होता है।
सिंगल ट्यूबलाइट का कनेक्शन
एक ट्यूबलाइट के कनेक्शन को ऊपर के चित्र में दिखाया गया है इसमें फेज की सप्लाई 1 नंबर से निकल कर 2 नंबर यानी चोक में जाएगी।
फिर 3 नंबर चोक से निकल कर 4 नंबर ट्यूबलाइट फिलामेंट के एक पॉइंट पर जाएगी फिर 5 नंबर ट्यूबलाइट फिलामेंट पॉइंट से निकलकर 6 नंबर यानी स्टार्टर के एक पॉइंट पर जाएगी।
और 7 नंबर के निकलकर 8 नंबर यानी ट्यूबलाइट फिलामेंट के दूसरे साइड के पहले पॉइंट पर जाएगी फिर 9 नंबर ट्यूबलाइट फिलामेंट के पॉइंट से निकल कर 10 नंबर यानी न्यूट्रल पर पहुंच जाएगी।
इस प्रकार से ट्यूबलाइट का सर्किट डायग्राम बनता है।
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डबल ट्यूबलाइट का कनेक्शन
दो ट्यूबलाइट का कनेक्शन ऊपर के चित्र में दिखाया गया है इसमें पहले फेज की सप्लाई 1 नंबर से निकल कर 2 नंबर यानी की स्विच में जाएगी।
फिर 3 नंबर स्विच से निकल कर 4 नंबर चोक में जाएगी फिर 5 नंबर से निकलकर 6 नंबर पहली ट्यूबलाइट के एक पॉइंट पर जाएगी।
फिर 7 नंबर से निकलकर 8 नंबर स्टार्टर के एक पॉइंट पर जाएगी और 9 नंबर से निकलकर 10 नंबर पर पहली ट्यूबलाइट के दूसरे साइड के पहले पॉइंट पर कनेक्ट होगी।
और 11 नंबर से निकलकर 12 नंबर दूसरी ट्यूबलाइट के फिलामेंट के एक साइड के पहले पॉइंट पर कनेक्ट होगी और 13 नंबर से निकलकर 14 नंबर पर दूसरी ट्यूबलाइट के स्टार्टर के एक पॉइंट पर कनेक्ट होगी।
और 15 नंबर से निकलकर 16 नंबर पर दूसरी ट्यूबलाइट के दूसरे साइड के पहले पॉइंट पर कनेक्ट होगी और 17 नंबर से निकलकर 18 नंबर पर न्यूट्रल से जुड़ जाएगी।
इस तरह से डबल ट्यूबलाइट का सर्किट डायग्राम होता है इसमें ध्यान देने की बात यह है की इसमें एक ही चोक से 2 ट्यूबलाइट के कनेक्शन का डायग्राम है।
ट्यूबलाइट में चोक क्यों लगाते है?
ट्यूबलाइट में चोक क्यों लगाते है? इसका मुख्य कारण ट्यूबलाइट को मिलने वाला हाई वोल्टेज है ट्यूबलाइट में चोक सबसे महत्वपूर्ण उपकरण होता है ट्यूबलाइट को स्टार्ट होने में हाई वोल्टेज और हाई करंट की जरूरत होती है उसको देने का काम चोक करता है।
सबसे पहले फेज की सप्लाई चोक में जाती है उसके बाद बाकी के इक्विपमेंट में जाती है।
ट्यूबलाइट कैसे काम करता है
जैसे ही हम स्विच को ऑन करते हैं तो फेज की सप्लाई स्विच से निकलकर सबसे पहले चोक में जाती है फिर चोक से निकलकर क्योंकि ट्यूबलाइट में 2 फिलामेंट होते हैं।
इसमें एक फिलामेंट के 1 पॉइंट पर आती है फिर दूसरे पॉइंट से निकलकर सप्लाई स्टार्टर के 1 पॉइंट पर पहुंचती है।
फिर स्टार्टर के दूसरे टर्मिनल से निकलकर ट्यूबलाइट के दूसरे फिलामेंट के पहले पॉइंट पर पहुंचती है।
फिर दूसरे पॉइंट से निकलकर न्यूट्रल से जुड़ जाती है इस तरह से ट्यूबलाइट का कनेक्शन होता है।
ये पूरा कनेक्शन सीरीज में होता है जिससे ट्यूबलाइट जलती है।
ट्यूबलाइट का कार्य सिद्धांत
फ्लोरोसेंट ट्यूबलाइट में मरकरी भरा होता है जोकि गैस के रूप में होता है।
अब इस मरकरी को अयोनाईज करने के लिए हमें हाई वोल्टेज और हाई करंट की जरुरत होती है।
तो अब यह हाई करंट और हाई करंट हमें मिलेगा कहाँ पर।
क्योकि जो सप्लाई घरो में 220 या 230 वोल्ट की आती है उससे तो ट्यूबलाइट जलेगी नहीं तो फिर उस सप्लाई से ट्यूबलाइट जल कैसे जाती है।
इन्ही सब कामो के लिए हम चोक को लगाते है।
अब जैसे ही ट्यूबलाइट की सप्लाई हम आन करते है तो उसमे लगा हुवा स्टार्टर शार्ट सर्किट हो जाता है और जिसे ही शार्ट सर्किट होता है तो वह पर बहुत ज्यादा करंट का फ्लो होता है।
तो इस प्रकार से ट्यूबलाइट को आन होने के लिए हाई करंट की जरुरत होती है वह पूरी हो जाती है।
अब यदि यह हाई करंट लगातार फ्लो होता रहा तो यह हाई करंट पूरी वायरिंग को जला देगा।
अब यही पर हमें जरुरत पड़ती ही choke coil की क्योकि इस हाई एम्पेयर के करंट को हमें कण्ट्रोल भी तो करना है।
तो इस हाई एम्पेयर के करेंट को चोक कण्ट्रोल कर लेता है और ट्यूबलाइट को जलने के लिए जितने करंट की जरुरत होती है वह पूरी हो जाती है।
अब बात आती ही हाई वोल्टेज की तो इसको भी बनाने का काम भी choke coil ही करता है choke coil 230 वोल्ट को 1100 वोल्ट तक बढ़ा देता ही।
बस एक बार हाई वोल्टेज के बाद ट्यूबलाइट नार्मल वोल्टेज 230 वोल्ट पर ही जलती है।
तो इस प्रकार ट्यूबलाइट को जलने के लिए जो हाई वोल्टेज और हाई करंट की आवश्यकता होती है वह चोक से पूरी हो जाती है और इस प्रकार से ट्यूबलाइट जल जाती है।
अब हमें पास तो 230 वोल्ट की ही सप्लाई ही आ रही है उसे सामान्य रूप से ट्यूबलाइट को देने का काम भी चोक ही करता है।
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट को पढ़कर आप ट्यूबलाइट में चोक क्यों लगाते है? इसको समझ गए होंगे और इसके साथ-2 एक ट्यूबलाइट और दो ट्यूबलाइट का कनेक्शन डायग्राम अच्छे से समझ में आ गया होगा।
इसको आप समझ गए होंगे। फिर भी कोई confusion है तो आप कमेंट में बताये मैं आपकी confusion को जरूर दूर करूँगा।
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ट्यूबलाइट में चोक क्यों लगाते है? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-
1- किसी ट्यूबलाइट में चोक लगाने का उद्देश्य क्या है?
2- ट्यूब में कौनसी गैस होती है?
ट्यूबलाइट के अंदर ऑर्गन, नियोन आदि गैस को भरा जाता है।
3- 1 ट्यूब लाइट कितने वाट की होती है?
पहले जिस ट्यूबलाइट का हम उपयोग करते थे वह ट्यूबलाइट 40 वाट की होती थी और इस समय जो LED ट्यूबलाइट का उपयोग करते है वह 20 वाट की होती है।
4- ट्यूबलाइट की खोज किसने की थी?
5- ट्यूबलाइट में कौन सा पाउडर?
ट्यूबलाइट का रंग सफ़ेद होता है इसका कारण भी वही पाउडर होता है इसका नाम फ्लोरोसेंट पाउडर होता है।