अर्थिंग क्यों किया जाता है?

अर्थिंग क्यों किया जाता है?
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घर की वायरिंग हो, मोटर का कनेक्शन हो सभी में अर्थिंग अनिवार्य होता है परन्तु अर्थिंग क्यों किया जाता है? यह सवाल जरूर उठता है की अर्थिंग किया ही क्यों जाता है।

हमारे आप के सेफ्टी के लिए अर्थिंग बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि earthing के न होने पर बड़ी दुर्घटना हो सकती है जिससे मनुष्य की जान भी जा सकती है।

तो यदि अर्थिंग इतना ही महत्वपूर्ण है तो आज हम अर्थिंग क्यों किया जाता है? समझेंगे। जिससे हम और हमारा घर भी सुरक्क्षित रहे।

आपने कभी न कभी किसी न किसी इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट का उपयोग जरूर किया होगा चाहे वो आप के घर में हो या आप जहां पर काम करते है।

वहां पर हो पर जब भी आप ने इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट का उपयोग किया होगा तो कभी न कभी आपको इलेक्ट्रिकल शॉक जरूर लगा होगा। इसी इलेक्ट्रिक शॉक से बचने के लिए हम अर्थिंग करते है।

जब भी इलेक्ट्रिक शॉक लगता है तो बहुत दर्द होता है और हमारे शरीर में बहुत सी प्रॉब्लम आ जाती है।

तो आपने यह जरूर सोचा होगा की हमारा काम भी हो जाये और हमें इलेक्ट्रिक शॉक भी न लगे ऐसा हो जाये तो अच्छा हो जाए परन्तु यह आप तभी समझ पाएंगे जब आप अर्थिंग क्यों किया जाता है? को समझ जायेंगे।

दोस्तों यह गारंटी मैं आपको देता हूं की इस पोस्ट में आपकी इस प्रॉब्लम का पूरा समाधान आपको मिल जाएगा और आप इलेक्ट्रिक्ल इक्विपमेंट से काम भी कर पाएंगे और आपको शॉक भी नहीं लगेगा।

अर्थिंग क्यों किया जाता है?

अगर आपके घर में इलेक्ट्रिसिटी आती है तो आपके घर में अर्थिंग जरूर हुआ होगा, पर आप यही सोचते होंगे की अर्थिंग क्यों जरुरी है।

दरअसल जब हमारे घर की वायरिंग होती है तो उसमें फेज के लिए एक तार डालते हैं न्यूटन के लिए एक तार डालते हैं और इन्हीं दोनों तारों में हमारे घर तक पावर हाउस से इलेक्ट्रिसिटी आती है।

यह दोनों तारों के उपयोग से हम अपने घर के सभी उपकरणों को सुचारू रूप से चला पाते हैं क्योंकि इन्हीं दोनों तारों में इलेक्ट्रिसिटी होती है।

परंतु आप घर के बोर्ड का कनेक्शन होते हुए जरूर देखा होगा उसमें फेज के लिए लाल तार न्यूट्रल के लिए काला तार इसके साथ-2 एक और तार जिसका रंग हरा होता है उसका भी कनेक्शन किया जाता है।

आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा की जब दो तारों से हमारे घर के सभी उपकरण चल जाते हैं तो इस तीसरे तार की क्या जरूरत है दरअसल यह तार अर्थिंग का होता है तो अब आपके मन में यह प्रश्न जरूर आ रहा होगा की आखिर यह तार हम डालते ही क्यों हैं।

इसकी क्या जरूरत है क्योंकि इसमें सप्लाई तो होती नहीं है। दरअसल इसी तार के माध्यम से जो लीकेज करंट उस इक्विपमेंट की बॉडी में है वह सीधे अर्थ में चली जाती है।

अर्थिंग क्यों किया जाता है?

अर्थिंग कैसे काम करती है?

आइये हम इसे बहुत ही आसान भाषा में समझते है।

कोई मोटर चल रही होती है और मान लीजिये आप ने उसे अर्थिंग से नहीं जोड़ रखा है और मोटर में चलते-2 कोई इलेक्ट्रिकल फाल्ट आ जाता है।

जिससे मोटर की वाइंडिंग जल जाती है और उसके अंदर की वाइंडिंग का वायर मोटर की बॉडी से छू जाता है या मोटर को सप्लाई देने वाली केबल कट कर मोटर की बॉडी से छू जाए।

अब चूकी मोटर में अर्थिंग नहीं है तो ऐसे में करंट मोटर की बॉडी में बहने लगेगी और यदि उसी समय आपने मोटर की बॉडी को छू लिया तो आपको काफी खतरनाक इलेक्ट्रिक शॉक लग जाएगा।

पर अगर आपने मोटर की बॉडी को अर्थिंग से जोड़ रखा है तो जो भी करंट मोटर की बॉडी में होगा वह अर्थिंग वायर के माध्यम से जमीन में चला जायेगा।

जिससे मोटर की बॉडी में करंट नहीं रहेगा अब ऐसे में यदि आप मोटर की बॉडी को छूते है तो आपको कोई इलेक्ट्रिक शॉक नहीं लगेगा। बस इसी सेफ्टी के लिए हम अर्थिंग करते है।

इसे भी जाने।

1- फ्यूज का उपयोग क्यों आवश्यक है?

2- आग के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव कौन सा है?

अर्थिंग करने पर हमें करंट क्यो नहीं लगता

करंट अपने कुछ नियम के अनुसार प्रवाहित होती है जैसे हम कम से कम दूरी का रास्ता चलना पसंद करते है ठीक उसी तरह करंट भी कम से कम रेजिस्टेंस और कम से कम दूरी का रास्ता पसंद करती है।

सामान्य रूप से हमारे शरीर का प्रतिरोध 1000 ओम होता है पर यदि हम अर्थिंग का प्रतिरोध चेक करे तो उसका प्रतिरोध 1 से 5 ओम के बीच में होता है।

अब फाल्ट की परिस्थित में करंट अपने नियम के अनुसार कम प्रतिरोध की रास्ते से ही बहना पसंद करेगी, क्योंकि आपके शरीर का प्रतिरोध 1 हजार ओम है और अर्थिंग का प्रतिरोध 1-5 ओम क बीच में है।

तो करेंट को अर्थ वायर के माध्यम से बहने पर कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा और पूरी लीकेज करेंट जमीन में चली जाएगी। और वह हमारे शरीर में नहीं जाएगी।

अर्थिंग कैसे करते है?

जमीन के अंदर 3.5 मीटर का गड्ढा खोदकर उसके अंदर कास्ट आयरन या कापर की प्लेट पर GI की स्ट्रिप को वेल्डिंग करके या GI के पाइप को वेल्डिंग करके जमीन के गड्ढे में डाला जाता है।

इसी को अर्थ इलेक्ट्रोड भी कहते हैं इस अर्थ इलेक्ट्रोड से साथ कंडक्टर वायर कनेक्ट करके बाहर निकाल लिया जाता है फिर उस गड्ढे में नमक और कोयला डालकर अर्थिंग को बनाया जाता है इसी को हम अर्थिंग सिस्टम कहते हैं।

नोट- चूकि पृथ्वी का विभव 0 होता है तो चाहे जितना भी वोल्टेज हो अगर वह पृथ्वी के संपर्क में आ जाता है तो वह वोल्टेज 0 हो जाता है

पर जब हम अर्थिंग करते है तो उसका रेजिस्टेंस 0 नहीं मिल पाता पर यह प्रयास करना चाहिए की अर्थिंग का रेजिस्टेंस 0 से 1 ओम के बीच में हो अधिकतम अर्थिंग का प्रतिरोध 2 ओम से अधिक नहीं होना चाहिए।

क्योंकि जितना अधिक प्रतिरोध होगा उतना ही लीकेज करंट के ग्राउंड होने में प्रॉब्लम आएगी।

इसके बाद जो भी हम उपकरण उपयोग करते हैं उसकी मैटेलिक बॉडी के साथ अर्थिंग से निकले हुए वायर को जोड़  देते हैं यह वायर चूकी सीधे जमीन से जुड़ा हुआ होता है इस प्रक्रिया को अर्थिंग (grounding) कहा जाता है।

Indian Electricity rule 1956 के अनुसार जो भी विद्युत उपकरण हम उपयोग करते हैं उसकी मेटल की जो बॉडी होती है उसमें अर्थ वायर का जुड़ा होना अनिवार्य है इससे फायदा यह होता है की जब कोई व्यक्ति उस विद्युत उपकरण के साथ कार्य करता है।

तो इससे उस व्यक्ति की और उस मशीन की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाती है किसी उपकरण की अर्थिंग जब हम करते है तो हमें ये ध्यान देना होता है की यदि उपकरण एक फेज का है तो एक अर्थिंग और यदि उपकरण 3 फेज का है तो 2 अर्थिंग करना चाहिए।

नोट- इसमें ध्यान ये रहे की अर्थिंग का वायर जितना ही मोटा होगा या यूं कहे की अर्थिंग वायर का क्रॉस सेक्शन एरिया जितना ही ज्यादा होगा उस वायर का प्रतिरोध उतना ही कम होगा।

और जब प्रतिरोध कम होगा तो लीकेज करंट आसानी से जमीन में चली जाएगी और अर्थिंग से जो सेफ्टी हमें मिलनी चाहिए वह मिल जाएगी।

अर्थिंग कितने प्रकार की होती है?

1- Strip and Wire earthing (स्ट्रिप और वायर अर्थिंग)
2- Rod Earthing (रॉड अर्थिंग)
3- Pipe Earthing (पाइप अर्थिंग)
4- Plate Earthing (प्लेट अर्थिंग)
5- Coil Earthing (कॉइल अर्थिंग)

6- Chemical Earthing (केमिकल अर्थिंग)

स्ट्रिप और वायर अर्थिंग

हम स्ट्रिप और वायर अर्थिंग को उस जगह पर करते हैं जिस जमीन में ज्यादा पत्थर होते है (ऐसी जमीन जो पथरीली होती है)। इस अर्थिंग को ट्रांसमिशन लाइन में ज्यादा उपयोग किया जाता है।

Earthing Meaning

 

रॉड अर्थिंग

रॉड अर्थिंग हम ऐसी जगह पर करते है जो जमीन रेतीली होती है जहाँ पर बालू रेत होता है, क्योंकि रेतीली जमीन में नमी (moisture) काफी ज्यादा होता है।

इसी कारण से हमें रेतीली जमीन पर काफी गहराई में अर्थिंग करनी होती है। गहराई ज्यादा होने के कारण ही अर्थिंग में रोड का उपयोग किया जाता है।

पाइप अर्थिंग

यह सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली अर्थिंग होती है, इस अर्थिंग में पाइप का उपयोग करते है। यह अर्थिंग 5 से 10 फीट तक की जाती है।

प्लेट अर्थिंग

इसको सबसे अच्छी अर्थिंग कहा जाता है। पावर जनरेटिंग स्टेशन और सबस्टेशन में Plate Earthing (प्लेट अर्थिंग) का ही उपयोग किया जाता है।

जहाँ पर ज्यादा करेंट बहती होता है (मतलब जिस जगह पर लोड  ज्यादा होता है) इस अर्थिंग को उसी जगह पर की जाती है।

coil अर्थिंग

coilअर्थिंग का काफी कम‌ उपयोग किया जाता है इस अर्थिंग में G.I. वायर से बनी coil का प्रयोग किया जाता है, इसका ज्यादातर उपयोग रेलवे में, इलेक्ट्रिकल पोल की अर्थिंग करने में करते है।

केमिकल अर्थिंग

केमिकल अर्थिंग आज के समय में सबसे अच्छे और किफायती होते है केमिकल अर्थिंग में कॉपर, कॉपर बोंडेड राड, GI इलेक्ट्रोड का उपयोग होता है।

इसमें इलेक्ट्रोड गड्ढे के बीच में स्थापित किया जाता है और उसके चारो तरफ केमिकल कंपाउंड को एक 4 इंच के प्लास्टिक पाइप के जरिये डाला जाता है केमिकल अर्थिंग मेंटेनेंस फ्री होता है, केमिकल अर्थिंग कम पानी वाले सतह में भी अच्छे से काम कर जाता है।

अर्थिंग सिस्टम की हमें जरूरत क्यों होती है?

किसी भी बिजली के उपकरण की अर्थिंग करने का मुख्य कारण यह होता है की मनुष्य को विद्युत के झटके से बचाना, कई बार ऐसा देखा गया है की बिजली के उपकरण जो हम अपने घरों में उपयोग करते हैं समय के साथ वे खराब होने लगते हैं।

इससे उनका इंसुलेशन कमजोर पड़ने लगता है।

अब इंसुलेशन कमजोर पड़ने के कारण उस उपकरण का जो फेस का वायर है वह किसी कारण से उस उपकरण की बॉडी के संपर्क में आ जाता है।

जिससे उस उपकरण की पूरी बॉडी में करंट आ जाता है इसे लीकेज करंट कहते हैं अब यदि किसी व्यक्ति ने उस उपकरण को छुआ तो उसे विद्युत का झटका लग जाएगा।

अब यहीं पर इस विद्युत उपकरण की बॉडी को अर्थिंग के वायर से जोड़ दिया जाए तो उस परिस्थिति में अर्थिंग का वायर क्योंकि पृथ्वी से जुड़ा हुआ होता है और पृथ्वी का विभव शून्य होता है।

जिस कारण से लीकेज करंट जो उस उपकरण की बॉडी में घूम रहा है वह अर्थिंग वायर के संपर्क में आते ही शून्य हो जाता है।

आपने बचपन में या सुना होगा की “यदि 0 से पहाड़ का गुणा कर दिया जाए तो पहाड़ भी 0 हो जाता है” इस प्रकार से लीकेज करंट उस उपकरण की बॉडी में रहेगा और जैसे ही कोई व्यक्ति उस उपकरण को छूता है उसकी मृत्यु हो सकती है।

अब चूंकि अर्थिंग वायर उस लीकेज करंट को 0 कर देता है तो अब जो भी व्यक्ति उस उपकरण की बॉडी को छुएगा उस व्यक्ति की जान को कोई भी खतरा नहीं होगा।

इसीलिए अर्थिंग सिस्टम बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है यह अर्थिंग उस समय भी बहुत ज्यादा आवश्यक हो जाता है जब बरसात का मौसम होता है और आकाशीय बिजली गिरती है।

अब जिस घर में अर्थिंग की गई है और उसकी छत पर एरियल लगा हुआ है तो वह आकाशी बिजली उस घर को किसी प्रकार से कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाती है और जो भी आकाशी बिजली होती है।

एरियल के माध्यम से जमीन में चली जाती है ध्यान रहे अर्थिंग वायर का रंग हरा होता है।

चूंकि धरती पर जो भी प्राकृतिक चीजें हैं उनका रंग हरा होता है इसीलिए अर्थिंग के वायर का रंग हरा ही रखा जाता है।

अर्थिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

1- अर्थिंग करते समय स्थान का चयन करना महत्वपूर्ण होता है अर्थिंग ऐसे स्थान पर करना चाहिए जहां पर बच्चे न पहुंच पाएं।

2- अर्थिंग किसी इलेक्ट्रीशियन की देखरेख में करवाना चाहिए।

3- अर्थिंग का अधिकतम प्रतिरोध 5 ओंम से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

4- अर्थिंग वायर सामान्यतया उपकरण की मेटलिक बॉडी से कनेक्ट होना चाहिए।

5- अर्थिंग में समय-समय पर पानी और नमक डालते रहना चाहिए।

6- अर्थिंग को प्रत्येक क्वार्टर में अर्थ टेस्टर की मदद से चेक करते रहना चाहिए।

निष्कर्ष

इस पोस्ट में हमें जाना की अर्थिंग क्यों किया जाता है? अर्थिंग करना हमारे लिए क्यों जरुरी है अगर किसी इलेक्ट्रिकल सिस्टम में अर्थिंग नहीं है तो उस इलेक्ट्रिकल सिस्टम में क्या-2 दिक्कत आ सकती है।

यह भी पढ़े।

1- वैद्युतिक सुरक्षा नियम क्या है

2- Bijli ka bill kam kaise kare 10 सबसे आसान तरीके


अब भी कोई सवाल आप के मन में हो तो आप इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है या फिर इंस्टाग्राम पर rudresh_srivastav” पर भी अपना सवाल पूछ सकते है।

अगर आपको इलेक्ट्रिकल की वीडियो देखना पसंद है तो आप हमारे चैनल target electrician  पर विजिट कर सकते है। धन्यवाद्

अर्थिंग क्यों किया जाता है? से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (Mcq)-

1- अर्थिंग का मतलब क्या होता है?
किसी विद्युत उपकरण की मैटेलिक बॉडी में जो लीकेज करंट होती है वह किसी मनुष्य को या उस मशीन को नुकसान पहुंचा सकता है।

इस लीकेज करेंट उपकरण की बाड़ी से खत्म करके प्रथ्वी में पहुंचा देने की प्रक्रिया को अर्थिंग कहते हैं।

2- अर्थिंग कैसे करते हैं?
अर्थिंग करने के लिए 3.5 मीटर या 10 फुट का गड्ढा खोदकर उसमें एक 12 फुट का पाइप या जीआई स्ट्रिप में 2 फुट × 2 फुट वर्गाकार प्लेट बेल्ड करके उस गड्ढे में डाल दें

और फिर उसमें नमक और कोयला पर्त के अनुसार पहले नमक फिर कोयला फिर नमक फिर कोयला डालकर भरदे और ऊपर मिट्टी डालकर गड्ढे को बंद कर दें इस प्रकार से अर्थिंग बनाई जाती हैं

3- सबसे अच्छी अर्थिंग कौन सी है?
आज के समय में केमिकल अर्थिंग सस्ती भी पड़ती है और इसकी लाइफ भी बहुत ज्यादा होती है इसलिए यह कह सकते हैं कि केमिकल अर्थिंग सबसे अच्छी अर्थिंग है।

4- अर्थिंग में पानी डालना चाहिए?
अर्थिंग में पानी तभी डालना चाहिए जब वहां पर नमी 20% रह जाए या अर्थिंग का रजिस्टेंस 5 ओम हमसे ज्यादा हो जाए।

5- अर्थिंग बिजली के झटके को कैसे रोकता है?
जब उस उपकरण की बॉडी में अर्थिंग का तार जोड़ते हैं तो चूंकि पृथ्वी का पोटेंशियल 0 होता है और अर्थिंग का वायर पृथ्वी से ही जुड़ा होता है तो जो भी लीकेज करंट होती है वह पृथ्वी के संपर्क में आते ही 0 हो जाती है।

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